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है हारे का सहारा श्याम,
लखदातार है तू ॥

दोहा – कलयुग के सच्चे देव तुम्ही,
साँचा तेरा दरबार,
भक्तों का बेड़ा पार करे,
मेरा श्याम धणी सरकार ॥

है हारे का सहारा श्याम,
लखदातार है तू,
है तीन बाण धारी,
है तीन बाण धारी,
लीले सवार तू,
हैं हारे का सहारा श्याम,
लखदातार है तू ॥

पांडवो के कुल में तुमने,
जन्म ले लिया,
श्री कृष्णा को शीश का,
दान दे दिया,
वीर बर्बरीक बना श्री श्याम,
तू सरकार है,
हैं हारे का सहारा श्याम,
लखदातार है तू,
है तीन बाण धारी,
है तीन बाण धारी,
लीले सवार तू ॥

अहिलवती के लाल तूने,
कमाल कर दिया,
जो भी शरण में आया,
मालामाल कर दिया,
हारे का तू सहारा,
सुनता पुकार है,
हैं हारे का सहारा श्याम,
लखदातार है तू,
है तीन बाण धारी,
है तीन बाण धारी,
लीले सवार तू ॥

घर घर में तेरी चर्चा,
तेरी ऊंची शान है,
कलयुग में खाटू वाला,
जग में महान है,
दिल में बिठाके ‘दिलबर’,
को निहारता रहूं,
हैं हारे का सहारा श्याम,
लखदातार है तू,
है तीन बाण धारी,
है तीन बाण धारी,
लीले सवार तू ॥

है हारें का सहारा श्याम,
लखदातार है तू,
है तीन बाण धारी,
है तीन बाण धारी,
लीले सवार तू,
हैं हारे का सहारा श्याम,
लखदातार है तू ॥

है हारे का सहारा श्याम: भजन का अर्थ

यह भजन केवल एक साधारण स्तुति नहीं, बल्कि भक्तों के जीवन में खाटू श्याम जी की उपस्थिति का एक विस्तृत दर्शन प्रस्तुत करता है। प्रत्येक पंक्ति में गहरा आध्यात्मिक अर्थ और भक्त के जीवन में उनकी कृपा का प्रतीकात्मक संदर्भ छिपा हुआ है। यहाँ इस भजन के हर शब्द को विस्तार से समझने का प्रयास किया गया है।


है हारे का सहारा श्याम, लखदातार है तू

गहन अर्थ:

यह पंक्ति श्याम जी के समर्पण और कृपालु स्वभाव का वर्णन करती है।

  • हारे का सहारा: जब भक्त अपने जीवन में किसी कठिनाई या हार का सामना करता है, तो वह श्याम जी को अपनी अंतिम आशा के रूप में देखता है। यहाँ “हारा” केवल सांसारिक पराजय नहीं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कठिनाइयों का भी प्रतीक है।
  • लखदातार: इस शब्द से श्याम जी की असीम उदारता प्रकट होती है। वे न केवल भक्तों की भौतिक इच्छाओं को पूर्ण करते हैं, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक संतुष्टि भी प्रदान करते हैं।

दोहा – कलयुग के सच्चे देव तुम्ही, साँचा तेरा दरबार

गहन अर्थ:

  • कलयुग के सच्चे देव: यह एक महत्वपूर्ण पंक्ति है जो श्याम जी को कलयुग का आदर्श और सच्चा देवता मानती है। जहाँ अन्य युगों में विष्णु के अन्य अवतारों की पूजा की जाती थी, वहीं कलयुग में श्याम जी अपने भक्तों के लिए तात्कालिक और सरल समाधान प्रदान करते हैं।
  • साँचा तेरा दरबार: “साँचा” का अर्थ है निष्पक्ष और सत्य। श्याम जी का दरबार हर भक्त के लिए समान है, जहाँ जाति, धर्म, और अन्य भेदभाव नहीं चलते। उनका न्याय और कृपा हर भक्त के लिए समान रूप से उपलब्ध है।
  • भक्तों का बेड़ा पार करे: यह पंक्ति केवल संकटों से मुक्ति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मोक्ष का संकेत भी देती है। यह बताता है कि उनकी शरण में आने वाले भक्त संसार के चक्र से पार हो जाते हैं।
  • मेरा श्याम धणी सरकार: यहाँ “धणी” और “सरकार” शब्द श्याम जी की राजा के रूप में स्थिति और उनकी जिम्मेदारी को प्रकट करते हैं। भक्त उन्हें अपने जीवन के स्वामी और पालनकर्ता के रूप में स्वीकार करता है।

है तीन बाण धारी, लीले सवार तू

गहराई से व्याख्या:

  • तीन बाण धारी: यह बर्बरीक (खाटू श्याम) के जीवन से जुड़ी कहानी को संदर्भित करता है। तीन बाण उनके न्याय, संकल्प और सटीकता का प्रतीक हैं। ये दर्शाते हैं कि कैसे श्याम जी अपने भक्तों की समस्याओं को सटीक और संतुलित तरीके से हल करते हैं।
  1. पहला बाण: सत्य और धर्म का प्रतीक।
  2. दूसरा बाण: भक्तों की रक्षा का प्रतीक।
  3. तीसरा बाण: अधर्म का नाश करने का प्रतीक।
  • लीले सवार: यह पंक्ति भगवान श्याम की विभिन्न लीलाओं का संदर्भ देती है, जो उन्होंने धरती पर अपने भक्तों की भलाई के लिए कीं। “सवार” शब्द उनके जीवन को सुव्यवस्थित करने और संकटों से उबारने की उनकी भूमिका को दर्शाता है।

पांडवों के कुल में तुमने, जन्म ले लिया

गहरा तात्पर्य:

यह पंक्ति भगवान श्याम के महाभारत से जुड़े होने की कथा को सामने लाती है।

  • पांडवों के कुल में जन्म: भगवान श्याम के रूप में बर्बरीक का जन्म इस धरती पर धर्म और न्याय की स्थापना के लिए हुआ।
  • श्री कृष्णा को शीश का दान दे दिया: यह घटना श्याम जी के त्याग और समर्पण का प्रतीक है। बर्बरीक ने बिना किसी झिझक के अपना सिर श्रीकृष्ण को दान कर दिया ताकि धर्मयुद्ध में सच्चाई की जीत हो सके।
  • वीर बर्बरीक बना श्री श्याम: बर्बरीक का बलिदान इतना महान था कि वह “श्याम” के रूप में पूजनीय हो गए।

अहिलवती के लाल तूने, कमाल कर दिया

व्याख्या:

  • अहिलवती के लाल: यह पंक्ति बर्बरीक के पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाती है। उनकी माँ अहिलवती ने उन्हें धर्म और वीरता के उच्च आदर्श सिखाए।
  • कमाल कर दिया: बर्बरीक का बलिदान और उनकी महानता को “कमाल” कहा गया है। यह पंक्ति उनके असाधारण कार्यों और धर्म की रक्षा के लिए उनके अटल समर्पण को दर्शाती है।

जो भी शरण में आया, मालामाल कर दिया

गहरा भावार्थ:

यह केवल भौतिक समृद्धि का वादा नहीं है। “मालामाल” शब्द का अर्थ है मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक संतोष। भक्त जब श्याम जी की शरण में आता है, तो उसे जीवन की सच्ची समृद्धि और आनंद प्राप्त होता है।


घर घर में तेरी चर्चा, तेरी ऊंची शान है

विश्लेषण:

यह श्याम जी की वर्तमान काल में व्याप्त महिमा का वर्णन करता है।

  • कलयुग में खाटू वाला, जग में महान है: इस पंक्ति में खाटू श्याम जी की सार्वभौमिक स्वीकार्यता और महिमा को दर्शाया गया है। कलयुग में जब भक्त अधर्म और अनिश्चितता से जूझते हैं, तब श्याम जी उनकी मदद करते हैं।
  • दिल में बिठाके ‘दिलबर’, को निहारता रहूं: यहाँ भक्त की व्यक्तिगत भावना व्यक्त होती है। “दिलबर” शब्द से श्याम जी के प्रति एक गहरा आत्मीय लगाव प्रकट होता है। यह भाव दर्शाता है कि भक्त अपने प्रभु को अपने हृदय में स्थायी रूप से स्थान देना चाहता है।

भजन का समापन: है हारे का सहारा श्याम

समापन में यह स्पष्ट किया गया है कि श्याम जी उन सभी के लिए एकमात्र सहारा हैं, जो जीवन के संघर्षों में पराजित महसूस करते हैं। यह पंक्ति बार-बार दोहराकर भक्त अपने विश्वास को और गहरा करता है।

  • तीन बाण धारी: अंत में फिर से तीन बाण धारी का उल्लेख भक्तों को यह याद दिलाने के लिए किया गया है कि श्याम जी अपने सिद्धांतों और धर्म के प्रति अडिग हैं।
  • लखदातार: समापन में यह दोहराया गया कि श्याम जी की कृपा असीमित है और वह हर भक्त की भलाई के लिए तत्पर रहते हैं।

यह भजन न केवल खाटू श्याम जी की महिमा का गान करता है, बल्कि भक्त और भगवान के बीच एक गहरे भावनात्मक और आध्यात्मिक संबंध को भी उजागर करता है।

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