धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें Join Now

शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

कैला देवी चालीसा in Hindi/Sanskrit

॥ दोहा ॥
जय जय कैला मात हे
तुम्हे नमाउ माथ ॥
शरण पडूं में चरण में
जोडूं दोनों हाथ ॥

आप जानी जान हो
मैं माता अंजान ॥
क्षमा भूल मेरी करो
करूँ तेरा गुणगान ॥

॥ चौपाई ॥
जय जय जय कैला महारानी ।
नमो नमो जगदम्ब भवानी ॥

सब जग की हो भाग्य विधाता ।
आदि शक्ति तू सबकी माता ॥

दोनों बहिना सबसे न्यारी ।
महिमा अपरम्पार तुम्हारी ॥

शोभा सदन सकल गुणखानी ।
वैद पुराणन माँही बखानी ॥4॥

जय हो मात करौली वाली ।
शत प्रणाम कालीसिल वाली ॥

ज्वालाजी में ज्योति तुम्हारी ।
हिंगलाज में तू महतारी ॥

तू ही नई सैमरी वाली ।
तू चामुंडा तू कंकाली ॥

नगर कोट में तू ही विराजे ।
विंध्यांचल में तू ही राजै ॥8॥

धौलागढ़ बेलौन तू माता ।
वैष्णवदेवी जग विख्याता ॥

नव दुर्गा तू मात भवानी ।
चामुंडा मंशा कल्याणी ॥

जय जय सूये चोले वाली ।
जय काली कलकत्ते वाली ॥

तू ही लक्ष्मी तू ही ब्रम्हाणी ।
पार्वती तू ही इन्द्राणी ॥12॥

सरस्वती तू विद्या दाता ।
तू ही है संतोषी माता ॥

अन्नपुर्णा तू जग पालक ।
मात पिता तू ही हम बालक ॥

तू राधा तू सावित्री ।
तारा मतंग्डिंग गायत्री ॥

तू ही आदि सुंदरी अम्बा ।
मात चर्चिका हे जगदम्बा ॥16॥

एक हाथ में खप्पर राजै ।
दूजे हाथ त्रिशूल विराजै ॥

कालीसिल पै दानव मारे ।
राजा नल के कारज सारे ॥

शुम्भ निशुम्भ नसावनि हारी ।
महिषासुर को मारनवारी ॥

रक्तबीज रण बीच पछारो ।
शंखासुर तैने संहारो ॥20॥

ऊँचे नीचे पर्वत वारी ।
करती माता सिंह सवारी ॥

ध्वजा तेरी ऊपर फहरावे ।
तीन लोक में यश फैलावे ॥

अष्ट प्रहर माँ नौबत बाजै ।
चाँदी के चौतरा विराजै ॥

लांगुर घटूअन चलै भवन में ।
मात राज तेरौ त्रिभुवन में ॥24॥

घनन घनन घन घंटा बाजत ।
ब्रह्मा विष्णु देव सब ध्यावत ॥

अगनित दीप जले मंदिर में ।
ज्योति जले तेरी घर-घर में ॥

चौसठ जोगिन आंगन नाचत ।
बामन भैरों अस्तुति गावत ॥

देव दनुज गन्धर्व व किन्नर ।
भूत पिशाच नाग नारी नर ॥28॥

सब मिल माता तोय मनावे ।
रात दिन तेरे गुण गावे ॥

जो तेरा बोले जयकारा ।
होय मात उसका निस्तारा ॥

मना मनौती आकर घर सै ।
जात लगा जो तोंकू परसै ॥

ध्वजा नारियल भेंट चढ़ावे ।
गुंगर लौंग सो ज्योति जलावै ॥32॥

हलुआ पूरी भोग लगावै ।
रोली मेहंदी फूल चढ़ावे ॥

जो लांगुरिया गोद खिलावै ।
धन बल विद्या बुद्धि पावै ॥

जो माँ को जागरण करावै ।
चाँदी को सिर छत्र धरावै ॥

जीवन भर सारे सुख पावै ।
यश गौरव दुनिया में छावै ॥36॥

जो भभूत मस्तक पै लगावे ।
भूत-प्रेत न वाय सतावै ॥

जो कैला चालीसा पढ़ता।
नित्य नियम से इसे सुमरता ॥

मन वांछित वह फल को पाता ।
दुःख दारिद्र नष्ट हो जाता ॥

गोविन्द शिशु है शरण तुम्हारी ।
रक्षा कर कैला महतारी ॥40॥

॥ दोहा ॥
संवत तत्व गुण नभ भुज सुन्दर रविवार ।
पौष सुदी दौज शुभ पूर्ण भयो यह कार ॥
॥ इति कैला देवी चालीसा समाप्त ॥

Kaila Devi Chalisa in English

॥ Doha ॥
Jai Jai Kaila Maat He
Tumhe Namau Maath
Sharan Padun Main Charan Mein
Jodu Dono Haath

Aap Jani Jaan Ho
Main Mata Anjaan
Kshama Bhool Meri Karo
Karun Tera Gungan

॥ Chaupai ॥
Jai Jai Jai Kaila Maharani
Namo Namo Jagadamba Bhavani

Sab Jag Ki Ho Bhagya Vidhata
Aadi Shakti Tu Sabki Mata

Dono Bahina Sabse Nyari
Mahima Aparampaar Tumhari

Shobha Sadan Sakal Gunkhani
Vaid Puranan Mahi Bakhani ॥4॥

Jai Ho Maat Karauli Wali
Shat Pranaam Kalisil Wali

Jwalaji Mein Jyoti Tumhari
Hinglaj Mein Tu Mahataari

Tu Hi Nai Samri Wali
Tu Chamunda Tu Kankali

Nagar Kot Mein Tu Hi Viraje
Vindhyanchal Mein Tu Hi Raje ॥8॥

Dholagadh Beloun Tu Mata
Vaishnavdevi Jag Vikhyata

Nav Durga Tu Maat Bhavani
Chamunda Mansha Kalyani

Jai Jai Suy Chole Wali
Jai Kali Kalkatte Wali

Tu Hi Lakshmi Tu Hi Brahmani
Parvati Tu Hi Indrani ॥12॥

Saraswati Tu Vidya Data
Tu Hi Hai Santoshi Mata

Annapurna Tu Jag Palak
Maat Pita Tu Hi Hum Balak

Tu Radha Tu Savitri
Tara Matangding Gayatri

Tu Hi Aadi Sundari Amba
Maat Charchika He Jagadamba ॥16॥

Ek Haath Mein Khappar Raje
Duje Haath Trishul Viraje

Kalisil Pai Danav Maare
Raja Nal Ke Karaj Saare

Shumbh Nishumbh Nasavan Haari
Mahishasur Ko Maranwari

Raktabeej Ran Beech Pacharo
Shankhasur Taine Sanharo ॥20॥

Unche Neeche Parvat Waari
Karti Mata Singh Sawaari

Dhvaja Teri Upar Faharave
Teen Lok Mein Yash Phailave

Asht Prahar Maa Naubat Bajai
Chandi Ke Chautara Virajai

Langur Ghatuan Chale Bhavan Mein
Maat Raaj Tero Tribhuvan Mein ॥24॥

Ghanan Ghanan Ghan Ghanta Bajat
Brahma Vishnu Dev Sab Dhyavat

Agnit Deep Jale Mandir Mein
Jyoti Jale Teri Ghar-Ghar Mein

Chausath Jogin Aangan Naachat
Baman Bhairon Astuti Gaavat

Dev Danuj Gandharv Va Kinnar
Bhoot Pishaach Naag Naari Nar ॥28॥

Sab Mil Mata Toy Manave
Raat Din Tere Gun Gaave

Jo Tera Bole Jaykara
Hoy Maat Uska Nistara

Mana Manouti Aakar Ghar Sai
Jaat Laga Jo Tonku Parasai

Dhvaja Naariyal Bhent Chadave
Gungar Laung So Jyoti Jalave ॥32॥

Halwa Puri Bhog Lagave
Roli Mehndi Phool Chadave

Jo Languriya God Khilave
Dhan Bal Vidya Buddhi Paave

Jo Maa Ko Jagran Karave
Chandi Ko Sir Chhatra Dharave

Jeevan Bhar Saare Sukh Paave
Yash Gaurav Duniya Mein Chaave ॥36॥

Jo Bhabhoot Mastak Pai Lagave
Bhoot-Pret Na Vay Satave

Jo Kaila Chalisa Padhta
Nitya Niyam Se Ise Sumarta

Man Vanchhit Vah Phal Ko Paata
Dukh Daridra Nasht Ho Jaata

Govind Shishu Hai Sharan Tumhari
Raksha Kar Kaila Mahtari ॥40॥

॥ Doha ॥
Samvat Tatva Gun Nabh Bhuj Sundar Ravivaar
Paush Sudi Dooj Shubh Poorn Bhayo Yah Kaar
॥ Iti Kaila Devi Chalisa Samapt ॥

कैला देवी चालीसा PDF Download

कैला देवी चालीसा का अर्थ

दोहा

जय जय कैला मात हे

तुम्हे नमाउ माथ
शरण पड़ूं मैं चरण में
जोड़ूं दोनों हाथ

आप जानी जान हो

मैं माता अंजान
क्षमा भूल मेरी करो
करूं तेरा गुणगान

चौपाई

जय जय जय कैला महारानी

नमो नमो जगदम्ब भवानी
सब जग की हो भाग्य विधाता
आदि शक्ति तू सबकी माता

दोनों बहिना सबसे न्यारी

महिमा अपरम्पार तुम्हारी
शोभा सदन सकल गुणखानी
वैद पुराणन माँही बखानी

जय हो मात करौली वाली

शत प्रणाम कालीसिल वाली
ज्वालाजी में ज्योति तुम्हारी
हिंगलाज में तू महतारी

तू ही नई सैमरी वाली

तू चामुंडा तू कंकाली
नगर कोट में तू ही विराजे
विंध्यांचल में तू ही राजे

धौलागढ़ बेलौन तू माता

वैष्णवदेवी जग विख्याता
नव दुर्गा तू मात भवानी
चामुंडा मंशा कल्याणी

जय जय सूये चोले वाली

जय काली कलकत्ते वाली
तू ही लक्ष्मी तू ही ब्रम्हाणी
पार्वती तू ही इन्द्राणी

सरस्वती तू विद्या दाता

तू ही है संतोषी माता
अन्नपुर्णा तू जग पालक
मात पिता तू ही हम बालक

तू राधा तू सावित्री

तारा मतंगडिंग गायत्री
तू ही आदि सुंदरी अम्बा
मात चर्चिका हे जगदम्बा

एक हाथ में खप्पर राजै

दूजे हाथ त्रिशूल विराजै
कालीसिल पै दानव मारे
राजा नल के कारज सारे

शुम्भ निशुम्भ नसावनि हारी

महिषासुर को मारनवारी
रक्तबीज रण बीच पछारो
शंखासुर तैने संहारो

ऊँचे नीचे पर्वत वारी

करती माता सिंह सवारी
ध्वजा तेरी ऊपर फहरावे
तीन लोक में यश फैलावे

अष्ट प्रहर माँ नौबत बाजै

चाँदी के चौतरा विराजै
लांगुर घटूअन चलै भवन में
मात राज तेरौ त्रिभुवन में

घनन घनन घन घंटा बाजत

ब्रह्मा विष्णु देव सब ध्यावत
अगनित दीप जले मंदिर में
ज्योति जले तेरी घर-घर में

चौसठ जोगिन आंगन नाचत

बामन भैरों अस्तुति गावत
देव दनुज गन्धर्व व किन्नर
भूत पिशाच नाग नारी नर

सब मिल माता तोय मनावे

रात दिन तेरे गुण गावे
जो तेरा बोले जयकारा
होय मात उसका निस्तारा

मना मनौती आकर घर सै

जात लगा जो तोंकू परसै
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ावे
गुंगर लौंग सो ज्योति जलावै

हलुआ पूरी भोग लगावै

रोली मेहंदी फूल चढ़ावे
जो लांगुरिया गोद खिलावै
धन बल विद्या बुद्धि पावै

जो माँ को जागरण करावै

चाँदी को सिर छत्र धरावै
जीवन भर सारे सुख पावै
यश गौरव दुनिया में छावै

जो भभूत मस्तक पै लगावे

भूत-प्रेत न वाय सतावै
जो कैला चालीसा पढ़ता
नित्य नियम से इसे सुमरता

मन वांछित वह फल को पाता

दुःख दारिद्र नष्ट हो जाता
गोविन्द शिशु है शरण तुम्हारी
रक्षा कर कैला महतारी

दोहा

संवत तत्व गुण नभ भुज सुन्दर रविवार

पौष सुदी दौज शुभ पूर्ण भयो यह कार

कैला देवी चालीसा का महत्व

कैला देवी चालीसा का पाठ भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह चालीसा माँ कैला देवी की स्तुति और आराधना का एक अद्भुत माध्यम है, जिसमें उनके अद्वितीय रूप, शक्ति, और महिमा का वर्णन किया गया है। चालीसा के माध्यम से भक्त माता से अपने जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति की कामना करते हैं और उन्हें अपनी इच्छाओं की पूर्ति का वरदान प्राप्त होता है।

कैला देवी की पूजा का विशेष महत्व

माँ कैला देवी को नव दुर्गा का एक रूप माना जाता है, और वह शक्ति और करुणा की प्रतीक हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा की जाती है जो जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई, जैसे कि आर्थिक संकट, मानसिक तनाव, या शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे हों। यह मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से कैला देवी चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें माता का विशेष आशीर्वाद मिलता है, जिससे उनके सभी दुःख और दरिद्रता का अंत हो जाता है।

कैला देवी चालीसा का पाठ कैसे करें

  • समय: चालीसा का पाठ विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार के दिन किया जाता है, जो माता की पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं। हालाँकि, भक्त इसे किसी भी दिन, विशेष रूप से नवरात्रि के दिनों में, कर सकते हैं।
  • विधि: भक्त चालीसा का पाठ स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर करते हैं। माता की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर और चालीसा का नियमित पाठ करने से माता प्रसन्न होती हैं।
  • उपचार: कैला देवी चालीसा के साथ नारियल, रोली, और चंदन अर्पित किया जाता है, और मिठाई का भोग लगाकर अंत में आरती की जाती है।

चालीसा पाठ के लाभ

  1. संकटों से मुक्ति: जो भी भक्त कैला देवी चालीसा का नियमित रूप से पाठ करता है, उसके जीवन से हर प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं।
  2. मनोकामना पूर्ति: माता कैला देवी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं, चाहे वह आर्थिक, शारीरिक या मानसिक हो।
  3. धन और समृद्धि: माता का आशीर्वाद पाने से भक्त को जीवन में धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  4. आध्यात्मिक शांति: चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है, जिससे जीवन के कठिन समय में धैर्य और साहस बनाए रखा जा सके।

कैला देवी के विभिन्न रूप

  • काली: माता के काली रूप में, वह अज्ञानता, अंधकार और बुराई का नाश करती हैं।
  • चामुंडा: चामुंडा देवी के रूप में, वह राक्षसों का संहार करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
  • वैष्णवी: वैष्णो देवी के रूप में, वह भक्तों के लिए सौम्यता और ममता का प्रतीक हैं।
  • सरस्वती: माता सरस्वती के रूप में, वह विद्या और ज्ञान का दान करती हैं।

चालीसा पाठ के साथ अन्य अनुष्ठान

  • जागरण और कीर्तन: चालीसा के पाठ के साथ-साथ जागरण और भजन-कीर्तन करने से माता विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं।
  • चाँदी का छत्र चढ़ाना: जो भक्त चाँदी का छत्र चढ़ाते हैं या सिर पर धारण करते हैं, उन्हें माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • ध्वजा चढ़ाना: कैला देवी मंदिरों में ध्वजा चढ़ाने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और उनके घर में सुख-शांति बनी रहती है।

शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *