- – यह गीत खाटू वाले बाबा के इंतजार और उनकी भक्ति की भावना को दर्शाता है।
- – भक्त प्रेम और श्रद्धा के साथ बाबा के आने की आस लगाए बैठे हैं।
- – बाबा को याद करने और उनसे फरियाद करने में कोई रोक-टोक नहीं है।
- – बाबा भक्तों की कमियों को नहीं देखते, बल्कि उनके प्रति दया और विश्वास रखते हैं।
- – गीत में बाबा को सेठों का सेठ और कश्ती का खेवनहार बताया गया है, जो सभी की मदद करते हैं।
- – गायक सुंदर लाल जी त्यागी ने इस भक्ति गीत को प्रस्तुत किया है।

कैसा सजा दरबार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है।।
तर्ज – साजन मेरा उस पार है।
लेकर के मोरछड़ी वो आएगा,
खाली झोलीयाँ भर जाएगा,
सेठो का सेठ साहूकार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है,
कैसा सजा दरबार हैं,
खाटू वाले का इंतज़ार है।।
प्रेमी तो आस लगाए बैठे है,
दिल में बाबा को बसाए बैठे है,
कश्ती का वो ही खेवनहार है
खाटू वाले का इंतज़ार है,
कैसा सजा दरबार हैं,
खाटू वाले का इंतज़ार है।।
हस हस के चाहे उसको याद करो,
आँखे भरके चाहे फरियाद करो,
ना कोई परदा ना दीवार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है,
कैसा सजा दरबार हैं,
खाटू वाले का इंतज़ार है।।
भक्तो का इम्तेहान नही लेगा,
कमियों पर बाबा ध्यान नही देगा,
‘सुंदरलाल’ को एतबार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है,
कैसा सजा दरबार हैं,
खाटू वाले का इंतज़ार है।।
कैसा सजा दरबार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है।।
गायक – सुन्दर लाल जी त्यागी।
