- – कलयुग में नैतिकता और संस्कारों का पतन हो रहा है, जहाँ माता-पिता को अपमान और अनादर का सामना करना पड़ रहा है।
- – समाज में अपराध और अन्याय बढ़ रहे हैं, जैसे कि हर गली में रावण बनकर लोग सीता का अपहरण कर रहे हैं।
- – बहनों और महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है, यहाँ तक कि पापी लोग भी राखी बांधकर धोखा दे रहे हैं।
- – भारत के महान इतिहास और संस्कृति का अपमान हो रहा है, और असली वीरता और न्याय की जगह भ्रष्टाचार और अन्याय ने ले ली है।
- – गरीब मजदूरों के बच्चे भूखे हैं, जबकि अमीरों की विलासिता चरम पर है, जिससे सामाजिक असमानता और बढ़ रही है।
- – कुल मिलाकर, कलयुग में उल्टी गंगा बह रही है, जहाँ सही और गलत का फर्क मिटता जा रहा है और परिवारों का सम्मान गिर रहा है।

कलयुग ये कैसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है,
माता पिता को शरवण आँखे दिखा रहा है।।
पहले था एक रावण और एक ही थी सीता,
पहले था एक रावण एक ही थी सीता,
अब हर गली में रावण, सीता चुरा रहा है,
कलयुग ये केसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है।।
कह दो हर एक बहन से अब तो सतर्क रहना,
कह दो हर एक बहन से अब तो सतर्क रहना,
पापी भी अब यहाँ पर राखी बंधा रहा है,
कलयुग ये केसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है।।
इतिहास क्या लिखेगा अब वो महान भारत,
इतिहास क्या लिखेगा अब वो महान भारत,
अब हर गली में अर्जुन रिक्शा चला रहा है,
कलयुग ये कैसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है।।
मजदुर का एक बेटा रोटी को तरस रहा है,
मजदुर का एक बेटा रोटी को तरस रहा है,
पर सेठ जी का कुत्ता रबड़ी को खा रहा है,
कलयुग ये केसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है।।
कलयुग ये कैसी उल्टी गंगा बहा रहा है,
माता पिता को शरवण ठोकर लगा रहा है,
माता पिता को शरवण आँखे दिखा रहा है।।
