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मैंने अर्ज़ी लगायी मेरे श्याम को,
बाबा ले लो खबरिया एक बार हो,
किसने आकर मेरी चलाई नाव हो,
ना ही माझी दिखे ना पतवार हो,
मैंने अर्ज़ी लगाई मेरे श्याम को ॥
दुःख के बदल मंडराए,
काली रात को,
नैया डोले रे डोले,
खाये हिचकोले डोले रे डोले,
बाबा साथ दो,
छोड़ ना देना बाबा,
दुखिया अनाथ को,
तू तो सबसे बड़ा है दीनानाथ हो,
बाबा ले खबरिया एक बार हो,
मैंने अर्ज़ी लगाई मेरे श्याम को ॥

आपके बिना ना,
नैया पार हो,
आये कोई तूफां,
या तेज़ धार हो,
कैसे रोकूं बोलो,
आंसू की धार को,
आजा करके सवारी,
लीले साथ हो,
बाबा ले खबरिया एक बार हो,
मैंने अर्ज़ी लगाई मेरे श्याम को ॥

‘रंजीता’ गाये आज,
पुकार आपको,
आंधी हो या तूफां,
बचाना नाव को,
‘सत्य’ कहता ये ही है,
अरदास हो,
‘ज्योति’ लिखती,
ना टूटे विश्वास हो,
बाबा ले खबरिया एक बार हो,
मैंने अर्ज़ी लगाई मेरे श्याम को ॥

मैंने अर्ज़ी लगायी मेरे श्याम को,
बाबा ले लो खबरिया एक बार हो,
किसने आकर मेरी चलाई नाव हो,
ना ही माझी दिखे ना पतवार हो,
मैंने अर्ज़ी लगाई मेरे श्याम को ॥

मैंने अर्ज़ी लगाई मेरे श्याम को: भजन का सम्पूर्ण अर्थ

यह भजन भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्त की गहन भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करता है। इसमें भक्त अपने दुखों और समस्याओं का वर्णन कर भगवान श्रीकृष्ण से सहायता की प्रार्थना करता है। आइए इस भजन के प्रत्येक पंक्ति का विस्तार से अर्थ समझते हैं।


मैंने अर्ज़ी लगाई मेरे श्याम को

अर्थ: इस पंक्ति में भक्त भगवान श्रीकृष्ण से विनती कर रहा है कि उसने अपनी फरियाद भगवान के सामने रख दी है। “अर्ज़ी” लगाने का मतलब है अपनी प्रार्थना या निवेदन करना, जिससे भक्त उम्मीद कर रहा है कि भगवान उसकी पुकार सुनेंगे।


बाबा ले लो खबरिया एक बार हो

अर्थ: यहां “बाबा” शब्द भगवान श्रीकृष्ण के लिए प्रयोग हुआ है। भक्त उनसे निवेदन कर रहा है कि भगवान एक बार उसकी स्थिति पर ध्यान दें और उसकी समस्याओं का संज्ञान लें।


किसने आकर मेरी चलाई नाव हो, ना ही माझी दिखे ना पतवार हो

अर्थ: इस पंक्ति में भक्त कहता है कि उसकी जीवन की नैया (नाव) को कौन चला रहा है, उसे नहीं पता। वह यह भी नहीं जानता कि उसे चलाने वाला माझी (खिवैया) कहां है, और उसे कोई पतवार भी नजर नहीं आ रही है। यहाँ नाव को जीवन की प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है, जो जीवन की अनिश्चितताओं को दर्शाता है।


दुःख के बदल मंडराए, काली रात को

अर्थ: भक्त अनुभव कर रहा है कि उसके जीवन में दुःख के बादल घिर आए हैं और जीवन में अंधकार छा गया है। काली रात यहाँ दुःख और संकट की स्थिति को प्रकट करती है।


नैया डोले रे डोले, खाये हिचकोले डोले रे डोले

अर्थ: भक्त कह रहा है कि उसकी जीवन-नैया हिचकोले खा रही है, अर्थात् उसका जीवन अस्थिर और संकटों से भरा हुआ है। यह पंक्ति जीवन की कठिनाइयों और अज्ञात भय को दर्शाती है।


बाबा साथ दो, छोड़ ना देना बाबा, दुखिया अनाथ को

अर्थ: भक्त भगवान से विनती कर रहा है कि वे उसका साथ दें और उसे संकटों में अकेला ना छोड़ें। वह स्वयं को दुखी और अनाथ महसूस कर रहा है, और उसे केवल भगवान का सहारा चाहिए। यहाँ भक्त की गहरी भक्ति और समर्पण झलकता है।


तू तो सबसे बड़ा है दीनानाथ हो

अर्थ: भगवान श्रीकृष्ण को “दीनानाथ” यानी दुखियों के नाथ के रूप में संबोधित किया गया है। भक्त मानता है कि भगवान दीन-दुखियों के सबसे बड़े सहारा हैं और वही उसे इस संकट से निकाल सकते हैं।


बाबा ले खबरिया एक बार हो, मैंने अर्ज़ी लगाई मेरे श्याम को

अर्थ: यह पंक्ति फिर से भगवान से उसी विनती को दोहरा रही है कि वह उसकी अर्ज़ी को सुनें और उसकी सहायता करें।


आपके बिना ना, नैया पार हो

अर्थ: भक्त का मानना है कि उसकी जीवन नैया भगवान के बिना पार नहीं हो सकती। यहाँ जीवन की यात्रा को नदी के पार जाने की तुलना की गई है और भक्त ने अपना पूरा भरोसा भगवान पर छोड़ दिया है।


आये कोई तूफां, या तेज़ धार हो

अर्थ: जीवन में चाहे तूफान आए या फिर मुश्किलें और विपत्तियाँ आएं, भक्त का विश्वास है कि भगवान उसकी रक्षा करेंगे और उसकी नैया को सुरक्षित पार कराएंगे।


कैसे रोकूं बोलो, आंसू की धार को

अर्थ: भक्त दुख से इतना व्याकुल है कि वह अपने आंसुओं की धारा को रोकने में असमर्थ है। वह भगवान से पूछता है कि कैसे इस दुख को सहन करूँ और इस वेदना से उबर पाऊँ।


आजा करके सवारी, लीले साथ हो

अर्थ: भक्त भगवान से प्रार्थना कर रहा है कि वे उसके जीवन में आकर उसे सहारा दें और उसकी नैया को पार लगाएं। यहाँ भगवान को सहायक के रूप में पुकारा गया है, जो भक्त की नैया की सवारी करेंगे।


‘रंजीता’ गाये आज, पुकार आपको

अर्थ: यहां ‘रंजीता’ एक भक्त का नाम हो सकता है, जो भगवान की महिमा गा रही है और भगवान को पुकार रही है। यह उसकी गहरी श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करता है।


आंधी हो या तूफां, बचाना नाव को

अर्थ: चाहे जीवन में कैसी भी विपत्तियाँ आएं, भक्त भगवान से प्रार्थना कर रहा है कि वे उसकी नैया को बचाएं। यहाँ भगवान से अडिग विश्वास और सुरक्षा की मांग की जा रही है।


‘सत्य’ कहता ये ही है, अरदास हो

अर्थ: भक्त के विश्वास की पुष्टि होती है कि सत्य केवल यही है कि उसकी अरदास (प्रार्थना) भगवान से ही पूरी होगी। यहाँ सत्यता को भगवान की कृपा में विश्वास के रूप में प्रस्तुत किया गया है।


‘ज्योति’ लिखती, ना टूटे विश्वास हो

अर्थ: यह पंक्ति भक्त का संकल्प है कि चाहे जैसी भी परिस्थितियाँ आएं, उसका विश्वास कभी नहीं टूटेगा। वह भगवान के प्रति अपनी अटूट आस्था और प्रेम को दर्शा रहा है।


सारांश

इस भजन में भक्त भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी पूरी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करता है और उन्हें अपने जीवन में आने वाले कठिन समय में सहारा देने के लिए प्रार्थना करता है।

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