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- – यह गीत श्याम जी (कृष्ण) के प्रति भक्ति और प्रेम को प्रकट करता है।
- – श्याम नाम को अमृत के प्याले के समान बताया गया है, जिसे पीकर जीवन को मधुर और आनंदमय बनाया जा सकता है।
- – वृंदावन और कृष्ण नाम की महत्ता को सर्वोच्च बताया गया है, जो जीवन का सच्चा सुख प्रदान करते हैं।
- – भक्तों को श्याम जी के चरणों में समर्पित होकर भक्ति बढ़ाने और प्रेम में डूब जाने का आह्वान किया गया है।
- – गीत में श्याम जी के चरणों में मन को दीवाना बनाने की भावना बार-बार दोहराई गई है, जो भक्ति की गहराई को दर्शाती है।

मन हो जा दीवाना रे,
श्याम जी के चरणों में,
श्याम जी के चरणों में,
श्याम जी के चरणों में,
मन हो ज दीवाना रे,
श्याम जी के चरणों में।।
श्याम नाम अमृत का प्याला,
पीकर इसको बन मतवाला,
सारा जीवन बिताना रे,
श्याम जी के चरणों में,
मन हो जा दिवाना रे,
श्याम जी के चरणों में।।
वृंदावन सा धाम नहीं है,
कृष्ण नाम सा नाम नहीं है,
प्राणी सुख का खजाना रे,
श्याम जी के चरणों में,
मन हो जा दिवाना रे,
श्याम जी के चरणों में।।
प्रेम के भूखे देवकीनंदन,
भक्तो के बस में है भवभंजन,
तुम भी भक्ति बढ़ाना रे,
श्याम जी के चरणों में,
मन हो जा दिवाना रे,
श्याम जी के चरणों में।।
मन हो जा दीवाना रे,
श्याम जी के चरणों में,
श्याम जी के चरणों में,
श्याम जी के चरणों में,
मन हो ज दीवाना रे,
श्याम जी के चरणों में।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
