- – यह गीत गुरुजी और बाबा जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करता है, जो उनके आशीर्वाद और कृपा की कामना करता है।
- – गीत में दाता (ईश्वर) और पुजारी (भक्त) के बीच संबंध को दर्शाया गया है, जहां भक्त अपने कर्मों के लिए आशीर्वाद चाहता है।
- – गुरुजी के चरणों में प्रेम और भक्ति की भावना प्रकट की गई है, जो मन को शांति और संतोष प्रदान करती है।
- – बच्चों और दासों के प्रति गुरुजी की ममता और दया का उल्लेख है, जो हमेशा अपने भक्तों के साथ रहते हैं।
- – गीत में सामाजिक अस्वीकृति और तानों के बावजूद भी शांति और सुख बनाए रखने की बात कही गई है।
- – कमल और कपिल के निशानियों के माध्यम से गुरुजी की महिमा और उनकी यादों की महत्ता को उजागर किया गया है।
मेरे बाबा जी हूण ता करो तुसी भलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया गुरूजी,
हूण ता करो तुसी भलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया।।
तू दाता ते मैं हाँ पुजारी,
करम कमा दे आज इक बारी,
कदो दी मैं दर तेरे खलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया।।
जित चरणा विच तेरे लाया,
चित कर कर मन भर आया,
प्रेम तेरे विच झलियाँ,
हूण ता करो तुसी भलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया।।
बच्चेया नु माँ वा कदे ना विसारिया,
दासा नु गुरुवा ने सदा ही दातारिया,
तेरे संग विच रलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया।।
मैं तो किसी दा कुछ न विगाड़िया,
फिर भी लोकां मेनू धुत्कारिया,
ताने मैने आच सुख चलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया।।
कमल कपिल पूरी तेरियां निशानिया,
ऐ ना दी राही बाबा करीं मेहरबानियां,
तेरी यादा दलि जा मलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया।।
मेरे बाबा जी हूण ता करो तुसी भलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया गुरूजी,
हूण ता करो तुसी भलिया,
हूण ता करो तुसी भलिया।।