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मुझपे कृपा करो मेरे, माँ अंजनी के लाला: भजन (Mujh Pe Kripa Karo Mere Maa Anjani Ke Lala)

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मुझपे कृपा करो मेरे,
माँ अंजनी के लाला,
भक्ति से भर दो गागर,
मेरी भी बजरंग बाला,
भक्ति से भर दो गागर,
मेरी भी बजरंग बाला ॥

खुद राम भक्त कहलाए,
संजीवनी बूटी लाए,
माता सीता का पता लगाकर,
सारे फ़र्ज़ निभाए,
अब मेरी बारी बाला,
भक्तो में नाम हो आला,
भक्ति से भर दो गागर,
मेरी भी बजरंग बाला ॥

मैं जानू महिमा तुम्हारी,
तुम अजर अमर अविनाशी,
रखते हो लाज सभी की,
श्री राम के तुम हो पुजारी,
रखो सोनी को शरण में बाला,
बने श्याम भक्त मतवाला,
भक्ति से भर दो गागर,
मेरी भी बजरंग बाला ॥

मुझपे कृपा करो मेरे,
माँ अंजनी के लाला,
भक्ति से भर दो गागर,
मेरी भी बजरंग बाला,
भक्ति से भर दो गागर,
मेरी भी बजरंग बाला ॥

मुझपे कृपा करो मेरे, माँ अंजनी के लाला: गहन विश्लेषण

यह भजन भगवान हनुमान जी की महिमा और उनके प्रति गहन भक्ति को व्यक्त करता है। इसमें प्रत्येक पंक्ति न केवल भावनात्मक प्रार्थना है, बल्कि हनुमान जी के चरित्र और उनके ईश्वरत्व को विस्तार से वर्णित करती है। यह भक्त के समर्पण और भगवान की कृपा से जीवन की कठिनाइयों को पार करने की गहन आकांक्षा को भी उजागर करता है।


मुझपे कृपा करो मेरे, माँ अंजनी के लाला

हनुमान जी को “माँ अंजनी के लाला” कहकर संबोधित करना उनके मातृस्नेह और सरलता को इंगित करता है। यहाँ भक्त अपने आप को एक बच्चे के रूप में प्रस्तुत करता है, जो अपनी माँ के बच्चे से सहायता और स्नेह की उम्मीद करता है। यह संबोधन भगवान की दयालुता और स्नेहशील स्वभाव पर विश्वास को दर्शाता है।

  • गहराई में अर्थ: यह पंक्ति भक्त और भगवान के बीच के अंतरंग संबंध को दर्शाती है, जहाँ भक्त भगवान को अपने परिवार के सदस्य के रूप में देखता है।

भक्ति से भर दो गागर, मेरी भी बजरंग बाला

भक्ति का प्रतीकात्मक उपयोग एक गागर (घड़ा) के रूप में किया गया है। गागर को भरने का तात्पर्य है कि भक्त का हृदय और जीवन भगवान की भक्ति से भर जाए।

  • आध्यात्मिक दृष्टिकोण: भक्ति को यहाँ अमृत के समान माना गया है, जो जीवन को पवित्र और अर्थपूर्ण बनाती है। भक्त यह इच्छा करता है कि उसका जीवन भी भगवान हनुमान की कृपा से भक्ति के रस में डूबा रहे।

खुद राम भक्त कहलाए, संजीवनी बूटी लाए

यह पंक्ति भगवान हनुमान के निस्वार्थ सेवाभाव और उनकी अतुलनीय शक्ति का वर्णन करती है। रामभक्त के रूप में हनुमान ने अपने जीवन को श्रीराम की सेवा में समर्पित किया। संजीवनी बूटी लाने की घटना उनकी वीरता, तत्परता और अद्वितीय भक्ति का प्रतीक है।

  • गहन विश्लेषण:
  • रामभक्ति: यह केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि अपने आराध्य के लिए हर संभव बलिदान करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
  • संजीवनी: यह घटना हमें सिखाती है कि जब जीवन कठिनाइयों से भर जाए, तो भगवान की कृपा से कोई भी कार्य असंभव नहीं रहता।

माता सीता का पता लगाकर, सारे फ़र्ज़ निभाए

यह पंक्ति हनुमान जी के कर्तव्यनिष्ठा और अपने उद्देश्य के प्रति समर्पण को रेखांकित करती है। माता सीता का पता लगाकर उन्होंने अपने कौशल, साहस और भक्ति का परिचय दिया।

  • संदेश: यह हमें यह समझने का अवसर देता है कि भगवान हनुमान जैसे नायक न केवल पराक्रम के प्रतीक हैं, बल्कि जिम्मेदारियों को निभाने के आदर्श भी हैं।
  • अध्यात्मिक दृष्टि: भक्तों को यह सिखाया जाता है कि जीवन में अपने फ़र्ज़ को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाना भी भक्ति का ही एक रूप है।

अब मेरी बारी बाला, भक्तो में नाम हो आला

यह पंक्ति एक भक्त की सरल और सच्ची आकांक्षा को दर्शाती है। “अब मेरी बारी” का तात्पर्य है कि भक्त यह मानता है कि हनुमान जी की कृपा से वह भी उनकी तरह श्रेष्ठ भक्ति और ख्याति प्राप्त कर सकता है।

  • गहराई में अर्थ:
  • यहाँ “भक्तो में नाम हो आला” का अर्थ आत्म-प्रशंसा नहीं है, बल्कि भगवान की भक्ति और कृपा के माध्यम से जीवन को सार्थक बनाने की चाहत है।

मैं जानू महिमा तुम्हारी, तुम अजर अमर अविनाशी

इस पंक्ति में भक्त भगवान हनुमान के शाश्वत और दिव्य स्वरूप की प्रशंसा करता है। “अजर, अमर, अविनाशी” के तीन शब्द हनुमान जी के कालातीत अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • दर्शनशास्त्रीय विश्लेषण:
  • अजर: भगवान कभी बूढ़े नहीं होते, उनकी ऊर्जा और शक्ति असीमित है।
  • अमर: उनका अस्तित्व नष्ट नहीं हो सकता।
  • अविनाशी: उनकी दिव्यता और प्रभाव हर युग में स्थायी रहती है।
    यह पंक्ति हमें यह भी सिखाती है कि भक्ति का मार्ग काल और परिस्थितियों से परे होता है।

रखते हो लाज सभी की, श्री राम के तुम हो पुजारी

हनुमान जी के बारे में कहा गया है कि वे अपने भक्तों की लाज हमेशा रखते हैं। उनका समर्पण और निष्ठा श्रीराम के प्रति अतुलनीय है।

  • अध्यात्मिक प्रेरणा:
  • यह पंक्ति विश्वास और भरोसे का प्रतीक है। भक्त भगवान पर यह विश्वास रखता है कि वे हर परिस्थिति में उनकी रक्षा करेंगे।

रखो सोनी को शरण में बाला, बने श्याम भक्त मतवाला

यहाँ “सोनी” प्रतीकात्मक रूप से भक्त का प्रतिनिधित्व करता है। भक्त भगवान से शरण में रखने और उन्हें श्रीराम के भक्तों के बीच एक स्थान देने की प्रार्थना करता है।

  • गहरा अर्थ:
  • यह पंक्ति भक्त के आत्मसमर्पण को दर्शाती है। भक्त चाहता है कि उसका जीवन भी भगवान की भक्ति के माध्यम से ईश्वर के साथ जुड़ जाए।

आगे के हिस्से में भजन के समग्र संदेश और जीवन के लिए इसकी उपयोगिता पर चर्चा करेंगे।

भजन का समग्र संदेश और जीवन पर प्रभाव

यह भजन भक्त और भगवान के बीच गहन आत्मीयता को दर्शाता है। हर पंक्ति हनुमान जी के गुणों, उनके कार्यों और उनके प्रति एक भक्त की निष्ठा को विस्तार से व्यक्त करती है। अब हम भजन के प्रमुख पहलुओं और उनके जीवन पर प्रभावों को और गहराई से समझते हैं।


भक्ति का प्रतीक: “भक्ति से भर दो गागर”

भजन में भक्ति को गागर (घड़ा) के माध्यम से व्यक्त किया गया है। यह प्रतीक भक्त के जीवन और हृदय में भक्ति के महत्व को समझाने का एक अद्भुत तरीका है।

  • आध्यात्मिक संदेश:
  • भक्ति केवल पूजा का एक रूप नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक मार्ग है। यह हृदय को पवित्र करता है और जीवन को अर्थ प्रदान करता है।
  • “गागर” का पूर्ण रूप से भरना यह इंगित करता है कि भगवान की कृपा और भक्ति अनंत है, जो हर परिस्थिति में व्यक्ति का साथ देती है।

हनुमान जी का कर्तव्यनिष्ठ और समर्पित जीवन

भजन में हनुमान जी के जीवन की विभिन्न घटनाओं का उल्लेख किया गया है, जैसे:

  • संजीवनी बूटी लाना: यह घटना हमें सिखाती है कि जब किसी के प्रति निष्ठा होती है, तो असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
  • माता सीता का पता लगाना: यह कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण का प्रतीक है।
  • श्रीराम के प्रति भक्ति: हनुमान जी का जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि सच्ची भक्ति में स्वयं को भूलकर ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण ही सर्वोत्तम मार्ग है।

हनुमान जी के नाम और गुण: “अजर, अमर, अविनाशी”

हनुमान जी की महिमा को “अजर, अमर, अविनाशी” शब्दों के माध्यम से समझाया गया है।

  • अजर (जो कभी बूढ़ा नहीं होता):
    यह दर्शाता है कि हनुमान जी की ऊर्जा और उत्साह कभी समाप्त नहीं होते। वे हर समय, हर युग में सक्रिय हैं।
  • अमर (जो कभी मरता नहीं):
    यह उनके दिव्य स्वरूप और शाश्वत अस्तित्व को दर्शाता है।
  • अविनाशी (जो नष्ट नहीं होता):
    यह बताता है कि उनकी कृपा और उनकी उपस्थिति भक्तों के जीवन में हमेशा बनी रहती है।

भक्तों के प्रति उनकी दयालुता: “रखते हो लाज सभी की”

हनुमान जी को ऐसा देवता माना गया है जो अपने भक्तों की रक्षा करने और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

  • भावनात्मक और आध्यात्मिक सुरक्षा:
    यह विश्वास कि भगवान हनुमान हमारी हर परिस्थिति में सहायता करेंगे, भक्तों को मानसिक शांति और धैर्य प्रदान करता है।
  • प्रेरणा:
    यह पंक्ति यह सिखाती है कि सच्चा देवता वही है जो अपने भक्तों का सम्मान और उनकी जरूरतों को समझता है।

भजन का उद्देश्य: “अब मेरी बारी बाला”

यह पंक्ति भक्त के जीवन में आत्मविकास और आत्म-जागृति का प्रतीक है।

  • आत्म-विकास:
    भक्त यह महसूस करता है कि हनुमान जी की कृपा से वह अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
  • आत्म-जागृति:
    भगवान से कृपा की याचना भक्त के भीतर भक्ति की गहराई और ईश्वर के प्रति समर्पण को प्रकट करती है।

भजन की शिक्षाएँ

  1. भक्ति का महत्व:
    भक्ति केवल पूजा का एक तरीका नहीं है, यह जीवन में मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत है।
  2. कर्तव्यनिष्ठा:
    हनुमान जी की तरह अपने कार्यों और जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाना चाहिए।
  3. भगवान के प्रति विश्वास:
    कठिन परिस्थितियों में भगवान पर विश्वास रखना और उनकी कृपा का आह्वान करना जीवन को सरल बनाता है।
  4. आत्मसमर्पण:
    सच्ची भक्ति में खुद को भगवान की इच्छा के अनुसार समर्पित करना ही मुक्ति का मार्ग है।

जीवन में भजन का प्रभाव

इस भजन का हर शब्द हमें आत्मिक रूप से मजबूत बनाने और भगवान हनुमान के गुणों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है।

  • यह भजन हमें यह सिखाता है कि जीवन में हर कठिनाई और चुनौती को भगवान की कृपा से पार किया जा सकता है।
  • भक्त के रूप में अपने जीवन को निखारने और समाज में एक आदर्श बनने की प्रेरणा देता है।
  • यह हमारे मन में दया, निष्ठा और सेवा भाव को बढ़ावा देता है।

यह भजन न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि जीवन जीने की कला और भक्ति के सच्चे स्वरूप को समझने का मार्ग भी है।

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