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- – णमोकार मंत्र का जाप करने से आत्मा में शांति और जागरूकता आती है।
- – अरिहंत, सिद्ध, आचार्य और उपाध्याय को प्रणाम कर उनके मार्ग पर चलने का संदेश दिया गया है।
- – महावीर स्वामी की शिक्षाओं और साधु-संतों की वाणी को सुनकर जीवन में तत्वों का चिंतन करना चाहिए।
- – जिनमार्ग और सत्मार्ग पर चलकर मोक्ष की प्राप्ति संभव है।
- – यह मंत्र कठिन शरीर में मन को सावधान और स्थिर रखने का उपदेश देता है।
- – डॉ. राजीव जैन द्वारा रचित यह कविता जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करती है।

णमोकार मंत्र भजले,
जिनवाणी उर में धरले,
यह तन मिला कठिन है,
मन सावधान करले,
णमोकार मंत्र भजले।।
अरिहंत की जो शरणा,
फिर क्या किसी से डरना,
सिद्धों का जाप कर ले,
संसार ताप हरले,
आचार्य, उपाध्याय,
इनको प्रणाम करले,
णमोकार मंत्र भजले।।
महावीर की निशानी,
साधु की सुन ले वाणी,
तत्वों का करले चिंतन,
निज आत्मा का मंथन,
जिनमार्ग पे चलाचल,
सत्मार्ग पे चलाचल,
फिर मोक्ष पद अमर ले,
णमोकार मंत्र भजले।।
णमोकार मंत्र भजले,
जिनवाणी उर में धरले,
यह तन मिला कठिन है,
मन सावधान करले,
णमोकार मंत्र भजले।।
– गायक लेखक एवं प्रेषक –
डॉ. राजीव जैन।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
