मोहिनी मूरत प्यारी,
रंगीलो मेरो बनवारी,
मोहनी मूरत प्यारी ॥
रत्न जड़े कुण्डल कानों में,
रत्न जड़े कुण्डल कानों में,
मोर मुकुट सिर धारी,
रंगीलो मेरो बनवारी,
मोहनी मूरत प्यारी,
रंगीलो मेरो बनवारी ॥
तन केसरियो बागो साजे,
तन केसरियो बागो साजे,
नीले री असवारी,
रंगीलो मेरो बनवारी,
मोहनी मूरत प्यारी,
रंगीलो मेरो बनवारी ॥
नैन रसीला जुलम करे है,
नैन रसीला जुलम करे है,
लेउँ नज़र उतारी,
रंगीलो मेरो बनवारी,
मोहनी मूरत प्यारी,
रंगीलो मेरो बनवारी ॥
खाटू में मंदिर रवि सन्मुख,
खाटू में मंदिर रवि सन्मुख,
जा की शोभा भारी,
रंगीलो मेरो बनवारी,
मोहनी मूरत प्यारी,
रंगीलो मेरो बनवारी ॥
मोहिनी मूरत प्यारी,
रंगीलो मेरो बनवारी,
मोहनी मूरत प्यारी ॥
रंगीलो मेरो बनवारी: होली भजन का अर्थ
यह भजन श्रीकृष्ण की दिव्यता, उनकी मोहकता, और उनके आध्यात्मिक प्रभाव का गहरा विवरण प्रस्तुत करता है। हर पंक्ति में न केवल उनकी भौतिक सुंदरता बल्कि उनकी आध्यात्मिक महिमा भी छिपी हुई है। इस भजन का उद्देश्य श्रीकृष्ण की लीला, उनके रूप, और उनके भक्तों के साथ उनके गहरे रिश्ते का वर्णन करना है। आइए इस भजन की प्रत्येक पंक्ति का गहराई से विश्लेषण करें।
मोहिनी मूरत प्यारी, रंगीलो मेरो बनवारी
गहराई से अर्थ:
- मोहिनी मूरत प्यारी: यह पंक्ति श्रीकृष्ण की छवि के चमत्कारिक प्रभाव को रेखांकित करती है। ‘मोहिनी’ शब्द का अर्थ है आकर्षण की पराकाष्ठा। श्रीकृष्ण का रूप केवल भौतिक सुंदरता नहीं है, बल्कि यह भक्त के मन को अपनी ओर खींचने वाला दिव्य प्रकाश है।
उनका रूप प्रेम, करुणा और चिर-आनंद का प्रतीक है। ‘प्यारी’ विशेषण से यह संकेत मिलता है कि उनकी छवि केवल देखने में सुंदर नहीं, बल्कि मन, आत्मा और भावनाओं के लिए भी सुखदायक है। - रंगीलो मेरो बनवारी: ‘रंगीलो’ का अर्थ केवल रंगीन या सुंदर नहीं है, बल्कि यह श्रीकृष्ण के विविध गुणों, उनकी लीला, और उनकी रंगीनता (चंचलता) को भी इंगित करता है।
‘बनवारी’ शब्द उनकी वृंदावन लीला और उनकी गहरी जुड़ाव को दर्शाता है। यह संबोधन उनके भक्तों के लिए उनके सादगीपूर्ण और प्रेमपूर्ण व्यक्तित्व को प्रकट करता है।
रत्न जड़े कुण्डल कानों में, मोर मुकुट सिर धारी
गहराई से अर्थ:
- रत्न जड़े कुण्डल कानों में: यहाँ श्रीकृष्ण के अलंकरणों का उल्लेख उनके ऐश्वर्य और दिव्यता को प्रकट करता है।
रत्नों से जड़े कुण्डल केवल बाहरी गहने नहीं हैं, बल्कि यह उनकी आध्यात्मिक चमक और उनके भक्तों के जीवन में प्रकाश के प्रतीक हैं।
भक्तों की दृष्टि में ये कुण्डल श्रीकृष्ण की कानों में गूँजने वाले प्रेम भरे शब्दों और उनके द्वारा किए गए वचन का भी प्रतीक हैं। - मोर मुकुट सिर धारी: मोर मुकुट का प्रतीक केवल उनकी बाल-क्रीड़ा या सजावट नहीं है। यह ब्रह्मांड के हर छोटे-से-छोटे जीव के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।
मोर उनके मस्तिष्क पर स्थित है, जो संकेत करता है कि वे सृष्टि के सभी जीवों के राजा हैं, फिर भी सरलता और विनम्रता में लीन हैं।
तन केसरियो बागो साजे, नीले री असवारी
गहराई से अर्थ:
- तन केसरियो बागो साजे: केसरिया रंग वैराग्य और ऊर्जा का प्रतीक है। श्रीकृष्ण के वस्त्र इस बात को दर्शाते हैं कि वे सांसारिक मोह से परे हैं, लेकिन उनके वस्त्र की भव्यता यह संकेत देती है कि वे इस संसार में आनंद फैलाने आए हैं।
‘बागो साजे’ का तात्पर्य है कि उनका रूप किसी बाग़ की तरह सुशोभित है, जो हर जगह ताजगी और खुशबू फैलाता है। - नीले री असवारी: यहाँ ‘नीला’ केवल रंग नहीं है, यह उनकी ‘श्याम’ छवि का भी प्रतीक है। नीला रंग गहराई, रहस्य और असीमता को दर्शाता है।
उनकी सवारी का उल्लेख इस बात को दर्शाता है कि वे केवल मानव रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे देवता हैं जिनकी महिमा हर स्वरूप में झलकती है।
नैन रसीला जुलम करे है, लेउँ नज़र उतारी
गहराई से अर्थ:
- नैन रसीला जुलम करे है: श्रीकृष्ण की आँखें प्रेम, करुणा और रस से भरी हैं।
‘जुल्म करे है’ का तात्पर्य यह है कि उनकी आँखों का आकर्षण इतना तीव्र है कि यह किसी को भी वश में कर सकता है। यह उनकी लीला है कि वे बिना बोले ही अपने भक्तों के हृदय में प्रेम जगा देते हैं।
ये आँखें भक्तों के लिए मार्गदर्शक हैं, जो उन्हें जीवन के हर कठिन समय में प्रेरणा देती हैं। - लेउँ नज़र उतारी: भक्त अपने प्रियतम श्रीकृष्ण की सुंदरता से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि वे उनकी नजर उतारने की बात करते हैं। यह केवल एक रीति नहीं है, बल्कि उनके प्रति असीम प्रेम और लगाव का प्रतीक है।
खाटू में मंदिर रवि सन्मुख, जा की शोभा भारी
गहराई से अर्थ:
- खाटू में मंदिर रवि सन्मुख: खाटू धाम का यह उल्लेख भक्तों के लिए आध्यात्मिक तीर्थ है। यहाँ श्रीकृष्ण के दर्शन करना सूर्य के समान उज्ज्वल अनुभव है। ‘रवि सन्मुख’ का तात्पर्य यह है कि खाटू का मंदिर केवल एक भौतिक स्थान नहीं है, यह ज्ञान और प्रकाश का स्रोत है।
- जा की शोभा भारी: यहाँ मंदिर की शोभा श्रीकृष्ण की दिव्यता से अभिभूत है। यह भजन बताता है कि इस मंदिर की सुंदरता और आभा भक्त के मन को शांति और आध्यात्मिक उन्नति देती है।
भजन का गूढ़ संदेश
यह भजन केवल श्रीकृष्ण के रूप का वर्णन नहीं करता, बल्कि उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा को भी प्रकट करता है।
- रूप का महत्व: उनका सुंदर रूप भक्तों को सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है।
- भक्ति का स्तर: यह भजन बताता है कि श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम केवल उनकी लीला या सुंदरता तक सीमित नहीं है। यह उनके भक्तों के जीवन में उनकी उपस्थिति और उनके साथ आध्यात्मिक संबंध का वर्णन है।
इस भजन के माध्यम से भक्त श्रीकृष्ण की लीला, उनके अलंकरण, और उनकी मोहिनी छवि का ध्यान करते हैं। हर पंक्ति भक्त को उनकी ओर आकर्षित करती है और उनके प्रेम में डूबने का आह्वान करती है।
यदि आप और अधिक गहराई से विश्लेषण या संबंधित संदर्भ चाहते हैं, तो कृपया बताएं।