रूद्र गायत्री मंत्र in Hindi/Sanskrit
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥
Rudra Gayatri Mantra in English
Om Tatpurushaya Vidmahe Mahadevaya Dhimahi
Tanno Rudrah Prachodayat ॥
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रूद्र गायत्री मंत्र का अर्थ
इस मंत्र का अर्थ और विवेचना
ॐ
ॐ को ब्रह्मांडीय ध्वनि और परम शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह शब्द सभी मंत्रों का मूल है और सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति का संकेतक है। यह शब्द साक्षात ब्रह्म का रूप है और हर आध्यात्मिक साधना की शुरुआत इसी ध्वनि से होती है।
तत्पुरुषाय विद्महे
“तत्पुरुष” का अर्थ है वह सर्वशक्तिमान व्यक्ति जो ब्रह्मांड की सभी शक्तियों का स्रोत है। “विद्महे” का अर्थ है हम उस पुरुष (परमात्मा) को जानते हैं या उसकी वास्तविकता को समझने का प्रयास करते हैं।
इस पंक्ति का सार यह है कि हम उस परम पुरुष, जो इस सृष्टि का आधार है, को समझने की कोशिश करते हैं। यह हमें ब्रह्मांड की महानता और उसकी रहस्यमयी शक्ति की ओर इंगित करता है।
महादेवाय धीमहि
“महादेवाय” का अर्थ है महानतम देवता, यानी भगवान शिव, जिन्हें महादेव कहा जाता है। “धीमहि” का अर्थ है हम उनका ध्यान करते हैं या उनकी साधना करते हैं।
इस पंक्ति में कहा गया है कि हम भगवान महादेव, जो परमपिता और सृष्टि के विनाश और पुनः निर्माण के स्वामी हैं, का ध्यान करते हैं। उनका ध्यान करने से हम उनके अनुग्रह और आशीर्वाद की प्राप्ति कर सकते हैं।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
“तन्नः” का अर्थ है हमें, “रुद्रः” का अर्थ है भगवान शिव का उग्र रूप, और “प्रचोदयात्” का अर्थ है हमें प्रेरणा दें या हमें मार्ग दिखाएं।
इस पंक्ति में प्रार्थना की जाती है कि भगवान रुद्र (शिव) हमें सही मार्ग दिखाएं और हमें जीवन में सही दिशा में प्रेरित करें। यह हमें उनकी कृपा से मार्गदर्शन और शक्ति की प्राप्ति के लिए आग्रह करता है।
मंत्र का समग्र अर्थ
यह मंत्र भगवान शिव की स्तुति है, जिसमें भगवान शिव के विभिन्न रूपों और शक्तियों को संबोधित किया गया है। इस मंत्र के माध्यम से भक्त भगवान शिव के दिव्य स्वरूप और उनकी सर्वशक्तिमान शक्ति का ध्यान करते हैं और उनसे आशीर्वाद और मार्गदर्शन की प्रार्थना करते हैं।
- ॐ — परम शक्ति और ब्रह्मांडीय ध्वनि की स्तुति।
- तत्पुरुषाय विद्महे — हम उस सर्वोच्च पुरुष, ब्रह्मांड के निर्माता, को जानने का प्रयास करते हैं।
- महादेवाय धीमहि — हम महादेव (भगवान शिव) का ध्यान करते हैं।
- तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् — भगवान रुद्र हमें सही दिशा और प्रेरणा प्रदान करें।
इस मंत्र का जप करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक विकास और जीवन में भगवान शिव का संरक्षण प्राप्त होता है। यह विशेष रूप से उग्र परिस्थितियों में धैर्य और साहस प्रदान करता है।