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अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः ।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः ॥1

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम् ।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित ॥2

चिरंजीवी कौन होते हैं?

चिरंजीवी का अर्थ है वे व्यक्ति जो अमर हैं या जिनकी आयु बहुत लंबी है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुछ व्यक्तियों को देवताओं द्वारा चिरंजीवी होने का वरदान मिला है। इसका अर्थ यह है कि वे अनन्त काल तक जीवित रहेंगे। ऐसी मान्यता है कि ये व्यक्ति तब तक पृथ्वी पर रहेंगे जब तक कि सृष्टि का अंत नहीं हो जाता या कलियुग का समापन नहीं हो जाता।

चिरंजीवी का श्लोक

श्लोक 1:

अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः ।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः ॥1

अर्थ: इस श्लोक में सात चिरंजीवियों का उल्लेख किया गया है जो निम्नलिखित हैं:

  1. अश्वत्थामा – गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र, जिन्हें अमरत्व का श्राप मिला।
  2. बलि – महाबली राजा, जिन्हें भगवान विष्णु ने अमर रहने का वरदान दिया।
  3. व्यास – महर्षि वेदव्यास, जिन्होंने महाभारत की रचना की।
  4. हनुमान – भगवान राम के परम भक्त, जो सदा जीवित रहते हैं।
  5. विभीषण – रावण के भाई और भगवान राम के सहयोगी।
  6. कृपाचार्य – महाभारत के युद्ध में कौरवों के गुरु और एक चिरंजीवी ऋषि।
  7. परशुराम – भगवान विष्णु के छठे अवतार, जो अमर माने जाते हैं।

श्लोक 2:

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम् ।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित ॥2

अर्थ: इस श्लोक में कहा गया है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन इन सात चिरंजीवियों का स्मरण करता है और आठवें चिरंजीवी ऋषि मार्कण्डेय का भी ध्यान करता है, वह सौ वर्षों तक जीवित रह सकता है और उसे किसी भी प्रकार की बीमारी या कष्ट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

चिरंजीवीयों का महत्व

चिरंजीवी बनने का कारण

इन चिरंजीवियों को यह वरदान या श्राप विशेष कारणों से मिला है, जिनमें उनके कार्य, तपस्या और भक्ति का विशेष योगदान रहा है। इनकी कथाएं हमें यह सिखाती हैं कि भक्ति, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने से व्यक्ति जीवन में अमरता जैसी स्थिति प्राप्त कर सकता है।

चिरंजीवीयों का पृथ्वी पर महत्व

इन चिरंजीवियों को पृथ्वी पर धर्म और सत्य की रक्षा के लिए अमरत्व का वरदान दिया गया है। यह माना जाता है कि जब भी पृथ्वी पर धर्म की स्थिति बिगड़ती है, तो ये चिरंजीवी धर्म की पुनः स्थापना के लिए सक्रिय हो जाते हैं। उनका अस्तित्व इस बात का प्रमाण है कि ईश्वर का संरक्षण सदा ही धर्म के पक्ष में होता है।

चिरंजीवीयों का स्मरण

नित्य स्मरण का लाभ

प्रतिदिन इन चिरंजीवियों का स्मरण करने से मनुष्य को आध्यात्मिक बल मिलता है और वह अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है। इस श्लोक में बताए गए चिरंजीवियों का स्मरण हमें यह सिखाता है कि जीवन में धैर्य, संयम और धर्म का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

चिरंजीवीयों का विस्तृत परिचय

चिरंजीवीयों के बारे में हमारे धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में बहुत सारे वर्णन मिलते हैं। यह माना जाता है कि ये सात चिरंजीवी तब तक पृथ्वी पर रहेंगे जब तक कलियुग का अंत नहीं हो जाता। आइए प्रत्येक चिरंजीवी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

1. अश्वत्थामा

परिचय

अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य और कृपी के पुत्र थे। वे महाभारत के महान योद्धा थे और उन्होंने कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा। उन्हें भगवान शिव का वरदान था कि वे अमर रहेंगे, लेकिन दुर्योधन की मृत्यु के बाद जब उन्होंने पांडवों के पुत्रों की हत्या कर दी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें श्राप दिया कि वे अनन्त काल तक पीड़ा और दुख में जीते रहेंगे।

विशेषता

अश्वत्थामा को उनके मस्तक पर लगे मणि के कारण अमरता प्राप्त थी, लेकिन कृष्ण द्वारा उसे निकाल लेने के बाद भी वे अमर बने रहे। उन्हें कलियुग के अंत तक धरती पर भटकने का श्राप मिला।

2. महाबली बलि

परिचय

महाबली बलि असुरों के राजा थे, जिन्हें उनकी भक्ति और दानशीलता के लिए जाना जाता था। उन्होंने स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया था, जिसके बाद भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर तीन पग भूमि के बहाने उनसे उनका राज्य ले लिया।

वरदान

बलि ने अपना सब कुछ भगवान वामन को दान कर दिया, जिसके कारण उन्हें वरदान मिला कि वे पाताल लोक के राजा बनेंगे और सतयुग के अंत में उन्हें पुनः स्वर्ग का राज्य प्राप्त होगा। वे कलियुग में भी अपने भक्तों के उद्धार के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।

3. महर्षि वेदव्यास

परिचय

महर्षि वेदव्यास को महाभारत के रचयिता और वेदों का संकलन करने वाला माना जाता है। उन्होंने पुराणों की रचना भी की और पांडवों तथा कौरवों के कुलगुरु के रूप में भी कार्य किया।

विशेषता

वे अमर माने जाते हैं और यह माना जाता है कि वे अभी भी हिमालय में तपस्या कर रहे हैं। वे ज्ञान, तप और भक्ति के प्रतीक हैं और उनके आशीर्वाद से ही हमें पौराणिक ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त हुआ।

4. हनुमान

परिचय

हनुमान जी, भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं और वे भगवान राम के अनन्य भक्त हैं। उन्होंने लंका पर चढ़ाई कर सीता माता की खोज की और राम-रावण युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अमरता का वरदान

हनुमान जी को माता सीता द्वारा यह वरदान मिला था कि वे कलियुग में भी जीवित रहेंगे और जब भी कोई भक्त उनका स्मरण करेगा, वे उसकी सहायता के लिए उपस्थित रहेंगे।

5. विभीषण

परिचय

विभीषण रावण के छोटे भाई थे, लेकिन उन्होंने अधर्म के मार्ग का विरोध किया और धर्म की रक्षा के लिए भगवान राम का साथ दिया। उन्होंने राम-रावण युद्ध में रावण के विनाश का कारण बताया और अंत में लंका के राजा बने।

विशेषता

विभीषण को अमरता का वरदान मिला और यह माना जाता है कि वे आज भी लंका में धर्म की रक्षा कर रहे हैं। वे भक्तों को धर्म और नीति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

6. कृपाचार्य

परिचय

कृपाचार्य महाभारत के प्रमुख गुरु थे, जिन्होंने कौरवों और पांडवों को शिक्षा दी। वे महाराज शांतनु के कुलगुरु के रूप में भी प्रतिष्ठित थे।

अमरता का वरदान

कृपाचार्य को उनकी तपस्या और धर्मपालन के कारण अमरता का वरदान मिला। वे धर्म, तप और गुरु-शिष्य परंपरा के प्रतीक माने जाते हैं।

7. परशुराम

परिचय

परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। उन्होंने पृथ्वी को अत्याचारी क्षत्रियों से 21 बार मुक्त किया। वे अमर हैं और उन्हें हर युग में पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए उपस्थित माना जाता है।

अमरता की कथा

परशुराम जी ने कभी भी अपने जीवन में संन्यास नहीं लिया और आज भी वे महेंद्र पर्वत पर तपस्या कर रहे हैं। वे भविष्य में कल्कि अवतार को शिक्षा देंगे।

8. ऋषि मार्कण्डेय

परिचय

ऋषि मार्कण्डेय भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उन्हें बाल्यावस्था में ही मृत्यु का भय था, लेकिन उन्होंने शिव भक्ति से मृत्यु पर विजय प्राप्त की। वे अनन्त काल तक जीवित रहने वाले माने जाते हैं।

अमरत्व का वरदान

भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे चिरंजीवी रहेंगे और कलियुग के अंत तक अपनी तपस्या में लीन रहेंगे।

चिरंजीवीयों का धार्मिक महत्व

धार्मिक कथा और मान्यताएं

यह माना जाता है कि जब भी धर्म की हानि होती है या अधर्म बढ़ता है, तो ये चिरंजीवी धरती पर धर्म की पुनर्स्थापना के लिए उपस्थित होते हैं। वे हमें यह सिखाते हैं कि धर्म, सत्य और भक्ति के मार्ग पर चलने से जीवन में किसी भी प्रकार का संकट हमें नहीं रोक सकता।

चिरंजीवीयों का स्मरण

इन चिरंजीवीयों का स्मरण करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह माना जाता है कि इनका स्मरण करने से व्यक्ति लंबी आयु, स्वस्थ जीवन और समृद्धि प्राप्त कर सकता है।

निष्कर्ष

चिरंजीवी हमारी पौराणिक कथाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो हमें यह सिखाते हैं कि भक्ति, तप और धर्म का पालन करने से मनुष्य जीवन के किसी भी संकट को पार कर सकता है। इनका स्मरण हमें जीवन में धैर्य, साहस और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

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