धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें Join Now

शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

॥ अथ सप्तश्लोकी दुर्गा ॥

शिव उवाच:

देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी ।
कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥

देव्युवाच:

शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् ।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥

विनियोग:

ॐ अस्य श्री दुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः ।

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा ।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्‌यदुःखभयहारिणि त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥2॥

सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥3॥

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥4॥

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ॥5॥

रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा
तु कामान्‌ सकलानभीष्टान्‌ ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि ।
एवमेव त्वया कार्यमस्यद्वैरिविनाशनम्‌ ॥7॥

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम्

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का पाठ मुख्यतः नवरात्रि के समय किया जाता है। यह स्तोत्र माता दुर्गा की स्तुति करने वाला एक शक्तिशाली मंत्र है, जो विशेष रूप से भक्तों की सभी प्रकार की समस्याओं और कष्टों को दूर करने के लिए प्राचीन काल से प्रचलित है। इसमें देवी दुर्गा की महिमा और उनके द्वारा भक्तों को प्रदान की जाने वाली सुरक्षा, समृद्धि और सुख-शांति का वर्णन किया गया है।

इस स्तोत्र में सात श्लोक होते हैं, जो देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों और उनके द्वारा किए गए अद्वितीय कार्यों का गुणगान करते हैं। इसे पढ़ने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं का निवारण होता है।

यह भी जानें:  वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः

सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का विनियोग इस प्रकार है:

  1. ज्ञानिनामपि चेतांसि – इस श्लोक में देवी भगवती के उस रूप की स्तुति की गई है, जो ज्ञानी व्यक्तियों के मन को भी मोह में डाल सकती है।
  2. दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः – इस श्लोक में देवी दुर्गा की स्मरण से सभी जीवों के भय को दूर करने की बात कही गई है।
  3. सर्वमंगलमंगल्ये – इसमें देवी को सभी मंगलकारी कार्यों की साधक और शरण में आने वालों की रक्षा करने वाली बताया गया है।
  4. शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे – इस श्लोक में शरणागत और दीन-दुखियों की रक्षा करने वाली देवी की स्तुति की गई है।
  5. सर्वस्वरूपे सर्वेशे – देवी को सभी रूपों में समाहित, सर्वशक्तिमान और सभी प्रकार के भय को दूर करने वाली बताया गया है।
  6. रोगानशोषानपहंसि तुष्टा – इस श्लोक में देवी के तुष्ट होने पर सभी इच्छाओं की पूर्ति और कुपित होने पर विपत्तियों की बात कही गई है।
  7. सर्वाबाधाप्रशमनं – इस श्लोक में त्रैलोक्य की सभी बाधाओं को दूर करने वाली देवी से सभी दुष्टों का विनाश करने का निवेदन किया गया है।

इस स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि और सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।