मुख्य बिंदु
- – यह गीत भगवान शिव की भक्ति और उनके दर्शन के लिए लाखों कावड़ियों के आगमन का वर्णन करता है।
- – सावन के महीने में भक्त भांग, धतूरा और गंगा जल चढ़ाकर शिव की पूजा करते हैं।
- – भोले शंकर की मस्ती और उनकी विशेष पहचान जैसे डमरू, जटा में गंगा, और नाग शेष का उल्लेख किया गया है।
- – गीत में शिव की महिमा, उनके ॐ नाम के नाद और उनके द्वारा सबका कल्याण करने की बात कही गई है।
- – भस्मासुर की कथा के माध्यम से कर्म और फल की शिक्षा दी गई है।
- – यह गीत शिवभक्तों के उत्साह और श्रद्धा को दर्शाता है जो सावन में शिव की आराधना में लीन रहते हैं।

भजन के बोल
भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
ऐसी मस्ती छाय रही,
इस सावन के महीने में,
के दे दे यो पल में भोला,
कमी नही है खजाने में,
धार लंगोटी हाथ में डमरू,
नंदेश्वर कहलाए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
अंग भभूती मुंड माल गले,
नाग शेष लिपटाया रे,
तपती गर्मी धुना रमता,
आगे आसन लाया रे,
सुध बुध नही रही भोले ने,
इत यो डमरू बजाए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
जटा गंगा और रजत चंद्रमा,
सोहे शीश पधारे रे,
ॐ नाम के नाद से तूने,
धरती अम्बर तारे रे,
कीड़ी ने कण हाथी ने मण,
भोला सब ने पुगाये रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
भस्मासुर ने करी तपस्या,
वर दिया मुह माँगा रे,
जैसी करनी वैसी भरनी,
के अनुसार वो पाया रे,
शिव धुनें पर ‘सज्जन सिरसा’,
वाला शीश नवाए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
