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- – शिवरात्रि की पावन रात आई है, जिसमें शिव नाम जपने का विशेष महत्व है।
- – गंगा की पवित्रता और धरती की पवित्रता शिव की कृपा से संभव होती है।
- – भोले बाबा के गुणगान से जीवन में खुशियाँ और सुख प्राप्त होते हैं।
- – भक्तों की प्यास शिव के दर्शन की होती है और उनकी भक्ति से जीवन रंगीन होता है।
- – शिवरात्रि की रात में शिव की याद और भक्ति का विशेष महत्व होता है।

शिव नाम जपने की रात आई,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
तर्ज – आधा है चन्द्रमा रात आधी।
कौन गंगा को सर पे उठाता,
कौन धरती को पावन बनाता,
गंगा की तीव्रता,
कौन रोके भला,
देवताओ को तब,
शिव की याद आई,
शिव नाम जपने की रात आईं,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
भोले बाबा के गुणगान गालो,
अपना सोया नसीबा जगालो,
वो दयालु बड़े,
वो कृपालु बड़े,
सारी खुशिया है,
बाबा से मेने पाई,
शिव नाम जपने की रात आईं,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
कबसे प्यासे है मेरे ये नैनन,
अब तो देदो बाबा मुझको दर्शन,
मुझको कहता जगत,
हां भोले तेरा भगत,
भक्ति ‘आतिश’ की,
‘लख्खा’ है रन्ग लाई,
शिव नाम जपने की रात आईं,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
शिव नाम जपने की रात आई,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
