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शिव स्वर्णमाला स्तुति in Hindi/Sanskrit

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥
ईशगिरीश नरेश परेश महेश बिलेशय भूषण भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे साम्ब (अम्बा के साथ), सदाशिव, शम्भो (शांति के दाता), शंकर, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।
  • हे ईश (स्वामी), गिरीश (पर्वतों के स्वामी), नरेश (मनुष्यों के राजा), परेश (सर्वोच्च स्वामी), महेश (महान ईश्वर), बिलेशय (गुफाओं के निवासी), भूषण (गहनों से सजे), आपको प्रणाम।

उमया दिव्य सुमङ्गल विग्रह यालिङ्गित वामाङ्ग विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे विभु (सर्वव्यापी), जो देवी उमा द्वारा आलिंगित किए गए हैं और जिनका दिव्य, सुमंगल विग्रह (मंगलकारी रूप) है, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

ऊरी कुरु मामज्ञमनाथं दूरी कुरु मे दुरितं भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे भो (ईश्वर), मेरी अज्ञानता और अनाथता को दूर करें और मेरे सभी पापों को नष्ट करें।

ॠषिवर मानस हंस चराचर जनन स्थिति लय कारण भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे भो (ईश्वर), आप ऋषियों के मानस हंस (हंस के रूप में) हैं, और चराचर (चल और अचल) सभी प्राणियों की सृष्टि, स्थिति और लय (संहार) के कारण हैं।

अन्तः करण विशुद्धिं भक्तिं च त्वयि सतीं प्रदेहि विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे विभु (सर्वव्यापी), मुझे अंतःकरण की शुद्धि और आपमें स्थिर भक्ति प्रदान करें।

करुणा वरुणा लय मयिदास उदासस्तवोचितो न हि भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे भो (ईश्वर), करुणा और वरुणा (दया और पानी) के सागर, मैं आपका दास हूं, और मेरी प्रशंसा आपके योग्य नहीं है।

जय कैलास निवास प्रमाथ गणाधीश भू सुरार्चित भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे कैलास के निवासी, प्रमथ गणों के अधीश (स्वामी), देवताओं द्वारा पूजित, जय हो, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

झनुतक झङ्किणु झनुतत्किट तक शब्दैर्नटसि महानट भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे महान नर्तक (नटराज), जो नृत्य के दौरान झनुतक, झङ्किणु, झनुतत्किट तक की ध्वनियों के साथ नृत्य करते हैं, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

धर्मस्थापन दक्ष त्र्यक्ष गुरो दक्ष यज्ञशिक्षक भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे धर्म की स्थापना में दक्ष (कुशल), त्र्यक्ष (तीन नेत्रों वाले), गुरु (शिक्षक), और दक्ष यज्ञ के शिक्षक, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

बलमारोग्यं चायुस्त्वद्गुण रुचितं चिरं प्रदेहि विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे विभु (सर्वव्यापी), मुझे बल, आरोग्य (स्वास्थ्य), और आपके गुणों में रुचि प्रदान करें, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

शर्व देव सर्वोत्तम सर्वद दुर्वृत्त गर्वहरण विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे शर्व (शिव), देवों में सर्वोत्तम, हमेशा दुर्वृत्तों (दुर्जनों) के गर्व को हरने वाले, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

भगवन् भर्ग भयापह भूत पते भूतिभूषिताङ्ग विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे भगवन् (ईश्वर), भर्ग (विध्वंसक), भय को दूर करने वाले, भूतों के स्वामी, भस्म से भूषित शरीर वाले, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

षड्रिपु षडूर्मि षड्विकार हर सन्मुख षण्मुख जनक विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे विभु (सर्वव्यापी), षड्रिपुओं (छह शत्रुओं), षडूर्मियों (छह तरंगों), और षड्विकारों (छह विकारों) को हरने वाले, सन्मुख (सकारात्मक सोच वाले) और षण्मुख (कार्तिकेय) के जनक, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्मे त्येल्लक्षण लक्षित भो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे भो (ईश्वर), सत्य, ज्ञान, और अनंत ब्रह्म के लक्षणों से युक्त, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

हाऽहाऽहूऽहू मुख सुरगायक गीता पदान पद्य विभो।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

  • हे विभु (सर्वव्यापी), जिनकी स्तुति देवताओं द्वारा गाई जाती है और हाऽहाऽहूऽहू की ध्वनियों से जिनकी प्रशंसा होती है, मैं आपके चरणों की शरण में हूं।

श्री शङ्कराचार्य कृतं!

Shiv Swarnamala Stuti in English

Isha Girisha Naresha Paresha Mahesha Bileshaya Bhushana Bho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Umaya Divya Sumangala Vigraha Yalingita Vamanga Vibho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Uri Kuru Mamagyamanatham Duri Kuru Me Duritam Bho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Rshivara Manasa Hamsa Charachara Janana Sthiti Laya Karana Bho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Antah Karana Vishuddhim Bhaktim Cha Tvayi Satim Pradehi Vibho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Karuna Varuna Laya Mayidasa Udasastavochito Na Hi Bho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Jaya Kailasa Nivasa Pramatha Ganadhisha Bhu Surarchita Bho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Jhanutaka Jhankinu Jhanutatkita Taka Shabdairnatasi Mahanata Bho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Dharmasthapana Daksha Tryaksha Guro Daksha Yagyashikshaka Bho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Balamarogyam Chayustvadguna Ruchitam Chiram Pradehi Vibho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Bhagavan Bharga Bhayapaha Bhuta Pate Bhutibhushitanga Vibho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Sharva Deva Sarvottama Sarvada Durvrutta Garvaharana Vibho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Shadripu Shadurmi Shadvikara Hara Sanmukha Shanmukha Janaka Vibho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Satyam Jnanamanantam Brahme Tyellakshana Lakshita Bho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

Ha Ha Hu Hu Mukha Suragayaka Gita Padana Padya Vibho।
Samba Sadashiva Shambho Shankara Sharanam Me Tava Charanayugam॥

शिव स्वर्णमाला स्तुति PDF Download

शिव स्वर्णमाला स्तुति का अर्थ

इस स्तोत्र को “साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्” के नाम से जाना जाता है और यह श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है।

आदि शंकराचार्य ने भारतीय संस्कृति और धर्म में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका जीवनकाल 8वीं शताब्दी में माना जाता है। उन्होंने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत का प्रचार-प्रसार किया और भारतीय समाज में एकात्मवाद के महत्व को स्थापित किया। शंकराचार्य ने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की और विभिन्न तीर्थ स्थलों पर मठों की स्थापना की, जिन्हें आज “शंकराचार्य मठ” कहा जाता है।

यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है और भक्त को उनके चरणों की शरण में आने के लिए प्रेरित करता है।

स्तोत्र की विभिन्न पंक्तियों में भगवान शिव के विभिन्न नामों और गुणों का वर्णन किया गया है:

  1. साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर: ये भगवान शिव के विभिन्न नाम हैं, जो उनके अलग-अलग रूपों और गुणों को दर्शाते हैं।
  2. ईशगिरीश नरेश परेश महेश: भगवान शिव को सार्वभौमिक शासक, पर्वतों के राजा, मनुष्यों के राजा, सर्वोच्च स्वामी, और महान ईश्वर के रूप में संबोधित किया गया है।
  3. उमया दिव्य सुमङ्गल विग्रह: उमा (पार्वती) के साथ भगवान शिव का दिव्य और मंगलकारी रूप।
  4. ऋषिवर मानस हंस: ऋषियों के मन के हंस (पवित्र आत्मा)।
  5. धर्मस्थापन दक्ष: धर्म की स्थापना में कुशल।
  6. षड्रिपु षडूर्मि षड्विकार हर: छह शत्रुओं (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य), छह तरंगों (भूख, प्यास, शोक, मोह, जरा, मृत्यु), और छह विकारों (शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध) को हरने वाले।

यह स्तोत्र न केवल भगवान शिव की स्तुति करता है बल्कि भक्त को उनके अनंत, ज्ञानमय और सत्य स्वरूप को पहचानने और उनकी शरण में आने के लिए भी प्रेरित करता है। स्तोत्र का पाठ भक्त को भगवान शिव के प्रति भक्ति, शुद्धि और आत्मसमर्पण की भावना से भर देता है।

श्री आदि शंकराचार्य के इस स्तोत्र को श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ने से भक्त को भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में शांति, समृद्धि और मुक्ति का मार्ग प्रदान करता है।

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