अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला in Hindi/Sanskrit
दुर्गा दुर्गार्ति शमनी दुर्गापद्विनिवारिणी ।
दुर्गामच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ।
दुर्गतोद्वारिणी दुर्ग निहन्त्री दुर्गमापहण ।
दुर्गम ज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ।
दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी ।
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ।
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी ।
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी ।
दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी ।
दुर्गमाङ्गी दुर्गमाता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी ।
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्लभा दुर्गधारिणी ।
नामावली ममायास्तु दुर्गया मम मानसः ।
पठेत् सर्व भयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ।
Shri Durga Dwatrinshat Nam Mala in English
Durga Durgaarti Shamanee Durgapadvinivarinee
Durgamachchhedinee Durgasadhinee Durganashinee
Durgatodvaarinee Durga Nihanthree Durgamapahan
Durgam Jnanada Durgadaityalokadavanala
Durgama Durgamaloka Durgamatmaswaroopinee
Durgamargaprada Durgamavidya Durgamashrita
Durgam Jnanasansthana Durgamadhyanabhasinee
Durgamoha Durgamaga Durgamarthaswaroopinee
Durgamasurasanhanthree Durgamayudhadharinee
Durgamangee Durgamata Durgamya Durgaameshwaree
Durgabhima Durgabhama Durlabha Durgadharinee
Namavali Mamayastu Durgaya Mama Manasah
Pathet Sarva Bhayanmukto Bhavishyati Na Sanshayah
श्री दुर्गा द्वात्रिंशत नाम माला PDF Download
श्री दुर्गा द्वात्रिंशत नाम माला का अर्थ
दुर्गा माता को समर्पित यह स्तुति देवी के अनेक रूपों और उनके महान कार्यों का वर्णन करती है। यह श्लोक मां दुर्गा के शक्तिशाली और दयालु स्वरूप का प्रतीक है। इसमें दुर्गा को विभिन्न नामों से संबोधित किया गया है, जो उनके विभिन्न गुणों और शक्तियों को दर्शाते हैं। आइए हम इस श्लोक का विस्तार से अर्थ और उसके महत्व को समझते हैं:
दुर्गा का अर्थ और उनकी महत्ता
‘दुर्गा’ नाम का अर्थ है ‘जो दुर्गम को पार करती हैं’ या ‘जो संकटों को हरती हैं’। दुर्गा हिन्दू धर्म में शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं। उनका नाम ‘दुर्गा’ इस तथ्य को इंगित करता है कि वह अपने भक्तों को सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं से बचाती हैं।
दुर्गा दुर्गार्ति शमनी दुर्गापद्विनिवारिणी
मां दुर्गा को ‘दुर्गार्ति शमनी’ कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वह सभी दुखों और संकटों का निवारण करती हैं। ‘दुर्गापद्विनिवारिणी’ का मतलब है कि वह उन कठिनाइयों को दूर करती हैं, जिनमें मनुष्य फंसा हुआ होता है।
दुर्गामच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी
यहां ‘दुर्गामच्छेदिनी’ का अर्थ है जो सभी प्रकार की बंदिशों को काटने वाली हैं। ‘दुर्गसाधिनी’ उन्हें कहा गया है जो कठिन परिस्थितियों को साधने वाली हैं, और ‘दुर्गनाशिनी’ का अर्थ है कि वह सभी कठिनाइयों और बाधाओं का नाश करती हैं।
दुर्गतोद्वारिणी दुर्ग निहन्त्री दुर्गमापहण
‘दुर्गतोद्वारिणी’ का अर्थ है कि वह सभी प्रकार की बाधाओं का द्वार खोलने वाली हैं। ‘दुर्ग निहन्त्री’ वह हैं जो सभी दुर्जनों का नाश करती हैं, और ‘दुर्गमापहण’ वह हैं जो सभी दुर्गम रास्तों को सुगम बनाती हैं।
दुर्गम ज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला
‘दुर्गम ज्ञानदा’ का अर्थ है जो कठिन ज्ञान को देने वाली हैं। ‘दुर्गदैत्यलोकदवानला’ का अर्थ है कि वह दुर्जनों के संसार को जला देने वाली अग्नि समान हैं।
दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी
‘दुर्गमा’ का अर्थ है जो अपने आप में अज्ञेय और अद्वितीय हैं। ‘दुर्गमालोका’ का मतलब है कि वह दुर्गम लोकों को भी देख सकती हैं। ‘दुर्गमात्मस्वरूपिणी’ वह हैं जो आत्मा के दुर्गम स्वरूप की धारक हैं।
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता
‘दुर्गमार्गप्रदा’ का अर्थ है कि वह सही और सुरक्षित मार्ग प्रदान करती हैं। ‘दुर्गमविद्या’ का अर्थ है कि वह कठिन और दुर्लभ ज्ञान प्रदान करती हैं। ‘दुर्गमाश्रिता’ का मतलब है कि वह दुर्गम स्थानों में भी आश्रय देने वाली हैं।
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी
‘दुर्गमज्ञानसंस्थाना’ का अर्थ है वह ज्ञान का स्रोत हैं जो दुर्गम और दुर्लभ है। ‘दुर्गमध्यानभासिनी’ का अर्थ है कि वह ध्यान के माध्यम से प्रकट होती हैं और आत्मज्ञान का प्रकाश देती हैं।
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी
‘दुर्गमोहा’ का अर्थ है कि वह मोह (माया) का नाश करती हैं। ‘दुर्गमगा’ का अर्थ है वह दुर्गम मार्गों को पार करने वाली हैं। ‘दुर्गमार्थस्वरूपिणी’ का मतलब है कि वह अर्थपूर्ण जीवन की संरक्षक हैं।
दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी
‘दुर्गमासुरसंहन्त्री’ का अर्थ है वह असुरों का नाश करने वाली हैं। ‘दुर्गमायुधधारिणी’ का अर्थ है वह अपने अद्वितीय आयुधों (हथियारों) की धारक हैं, जो संकटों को हराने में सक्षम हैं।
दुर्गमाङ्गी दुर्गमाता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी
‘दुर्गमाङ्गी’ का अर्थ है कि उनके शरीर के सभी अंग दिव्य और शक्तिशाली हैं। ‘दुर्गमाता’ का मतलब है कि वह सभी की मां हैं। ‘दुर्गम्या’ का अर्थ है जो प्राप्त करना कठिन है, और ‘दुर्गमेश्वरी’ का मतलब है कि वह दुर्गम लोकों की रानी हैं।
दुर्गा स्तुति की और गहराई से व्याख्या
इस श्लोक की प्रत्येक पंक्ति मां दुर्गा की शक्तियों और अद्वितीय गुणों की महत्ता को दर्शाती है। यह सिर्फ नामों का समूह नहीं है, बल्कि प्रत्येक नाम का अपना विशेष अर्थ और प्रभाव है। दुर्गा माता न केवल शारीरिक और भौतिक संकटों को हराने वाली हैं, बल्कि आंतरिक आध्यात्मिक बाधाओं को भी दूर करने में सहायक हैं। आइए इस स्तुति के कुछ और गहरे पहलुओं पर विचार करें।
दुर्गा दुर्गार्ति शमनी: कष्टों का नाश करने वाली
मां दुर्गा को ‘दुर्गार्ति शमनी’ के रूप में जाना जाता है, जो हर तरह के संकटों और कष्टों को शांत करने वाली हैं। यह उनके उन भक्तों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। दुर्गा का यह नाम इस बात की पुष्टि करता है कि वह किसी भी प्रकार के संकट को हराने में सक्षम हैं, चाहे वह आंतरिक हो या बाहरी। उनका स्मरण करना व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक कष्टों को भी दूर कर सकता है।
दुर्गापद्विनिवारिणी: संकटों के मार्ग को समाप्त करने वाली
यह नाम यह बताता है कि दुर्गा उन भक्तों के मार्ग में आने वाले कठिनाइयों को हटा देती हैं। जब जीवन में कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना होता है, तब दुर्गा माता की स्तुति करने से वह सभी बाधाओं को दूर कर मार्ग को सुगम बनाती हैं। उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाले हर संकट को पार किया जा सकता है।
दुर्गसाधिनी और दुर्गनाशिनी: कठिन परिस्थितियों को साधने और उनका नाश करने वाली
मां दुर्गा न केवल कठिन परिस्थितियों को साधने वाली हैं, बल्कि उन्हें पूरी तरह से नष्ट भी करती हैं। यह दोनों गुण जीवन में सामर्थ्य और धैर्य का प्रतीक हैं। दुर्गा साधिनी के रूप में वह हमें सिखाती हैं कि हर मुश्किल परिस्थिति को साधने का तरीका क्या हो, जबकि दुर्गनाशिनी रूप में वह उन समस्याओं का समूल नाश करती हैं, जो जीवन में स्थायी रूप से कष्ट का कारण बनती हैं।
दुर्गतोद्वारिणी: कठिन परिस्थितियों का द्वार खोलने वाली
यह नाम दर्शाता है कि दुर्गा माता उन सभी बाधाओं और बंदिशों का द्वार खोलती हैं, जो हमें आगे बढ़ने से रोकती हैं। यह शाब्दिक और रूपक दोनों रूप में लिया जा सकता है। जब कोई व्यक्ति जीवन में अटके हुए महसूस करता है, तब दुर्गा माता उस व्यक्ति के लिए नए अवसरों और रास्तों का द्वार खोलती हैं। उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता और उन्नति के नए द्वार खुलते हैं।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दुर्गा की महत्ता
दुर्गमज्ञानसंस्थाना और दुर्गमध्यानभासिनी
यह दोनों नाम मां दुर्गा की गहन आध्यात्मिक शक्तियों का प्रतीक हैं। ‘दुर्गमज्ञानसंस्थाना’ का अर्थ है वह स्थान जहां दुर्लभ और कठिन ज्ञान संचित होता है। मां दुर्गा को इस रूप में स्मरण करने से हमें आत्मज्ञान और सत्य की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार, ‘दुर्गमध्यानभासिनी’ का अर्थ है वह जो ध्यान के माध्यम से प्रकट होती हैं। ध्यान में मां दुर्गा का स्मरण करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
दुर्गमोहा और दुर्गमगा: मोह और माया से मुक्त करने वाली
‘दुर्गमोहा’ नाम दर्शाता है कि मां दुर्गा माया और मोह के बंधनों को काट देती हैं। यह जीवन के भौतिक सुखों और माया के चक्कर में फंसे हुए लोगों को आंतरिक शांति प्रदान करती हैं। वहीं ‘दुर्गमगा’ नाम इस बात का संकेत देता है कि वह दुर्गम मार्गों को पार करने में सहायता करती हैं, जो आध्यात्मिक यात्रा में महत्वपूर्ण होते हैं।
दुर्गा माता की पूजा के लाभ
संकटों से मुक्ति
मां दुर्गा की इस स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन के सभी प्रकार के भय और संकटों से मुक्ति मिलती है। चाहे वह भौतिक, मानसिक, या आध्यात्मिक संकट हो, दुर्गा माता की कृपा से हर समस्या का समाधान मिलता है।
आत्मबल और साहस का संचार
दुर्गा माता की स्तुति न केवल व्यक्ति को संकटों से बचाती है, बल्कि उसमें आत्मबल, साहस और धैर्य का संचार भी करती है। जो व्यक्ति दुर्गा माता की आराधना करता है, उसमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति आती है। यह शक्ति केवल भौतिक नहीं, बल्कि आंतरिक भी होती है, जो व्यक्ति को अपने जीवन के हर पहलू में सफल बनाती है।
आध्यात्मिक उन्नति
मां दुर्गा के इन नामों का स्मरण और उनकी स्तुति करना व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से भी उन्नत करता है। यह स्तुति व्यक्ति को आत्मा के गहरे सत्य की ओर ले जाती है और जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट करती है। जो भक्त नियमित रूप से इस स्तुति का पाठ करते हैं, उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर सफलता प्राप्त होती है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।