श्री तुलसी स्तुति in Hindi/Sanskrit
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥ १॥
मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि ।
आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ २॥
यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः ।
यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ ३॥
अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम् ।
आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम् ॥ ४॥
देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः ।
नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये ॥ ५॥
सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा ।
आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये ॥ ६॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा ।
कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम् ॥ ७॥
या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः ॥ ८॥
॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥
Shri Tulsi Stuti in English
Tulasi shree sakhi shubhe paapahaarini punyade
Namaste naradanute narayanamanah priye ॥ 1 ॥
Manah prasadajanani sukha saubhagyadayini
Adhivyadhihare devi tulasi tvam namamyaham ॥ 2 ॥
Yanmoole sarvatirthani yanmadhye sarvadevatah
Yadagre sarvavedashcha tulasi tvam namamyaham ॥ 3 ॥
Amritam sarvakalyanim shokasantapanashinim
Adhivyadhihareem nrnaam tulasi tvam namamyaham ॥ 4 ॥
Devaistvam nirmitaa purvam architasi munishwaraih
Namo namaste tulasi paapam hara haripriye ॥ 5 ॥
Saubhaagyam santatim devi dhanam dhanyam cha sarvada
Arogyam shokashamanam kuru me madhavapriye ॥ 6 ॥
Tulasi paatu maam nityam sarvapadbhayo’pi sarvada
Keertitaa’pi smrita va’pi pavitrayati maanavam ॥ 7 ॥
Ya drishta nikhilagh sanghashamani sprishta vapuh pavani
Roganaam abhivandita nirasani sikta’ntaka trasini
Pratyasatti vidhayini bhagavatah krishnasya sanropita
Nyasta taccharane vimuktiphalaa da tasyai tulasyai namah ॥ 8 ॥
॥ Iti Shree Tulasistutih ॥
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श्री तुलसी स्तुति का अर्थ
यह श्री तुलसी स्तुति है, जो तुलसी के पौधे की महिमा और शक्ति का वर्णन करती है। तुलसी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है और उसकी पूजा की जाती है। यह स्तुति तुलसी के गुणों और उससे प्राप्त होने वाले फलों का वर्णन करती है। आइए श्लोकों का अर्थ विस्तार से समझते हैं:
श्लोक 1:
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे । नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥ १॥
अर्थ:
हे श्री की सखी (लक्ष्मी जी की सखी) तुलसी, आप शुभकारी, पापों को हरने वाली और पुण्य देने वाली हैं। नारद मुनि द्वारा वंदित और भगवान नारायण के मन की प्रिय हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।
श्लोक 2:
मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि । आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ २॥
अर्थ:
हे देवी तुलसी, आप मन को प्रसन्नता देने वाली, सुख और सौभाग्य प्रदान करने वाली हैं। आप मानसिक और शारीरिक बीमारियों को दूर करती हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।
श्लोक 3:
यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः । यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ ३॥
अर्थ:
आपके जड़ में सभी तीर्थ हैं, आपके मध्य में सभी देवता हैं और आपके अग्रभाग में सभी वेदों का निवास है। हे तुलसी, मैं आपको प्रणाम करता हूं।
श्लोक 4:
अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम् । आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम् ॥ ४॥
अर्थ:
आप अमृत स्वरूपा हैं, सभी प्रकार के कल्याण करने वाली हैं और शोक और संताप को नष्ट करने वाली हैं। आप लोगों के मानसिक और शारीरिक कष्टों को दूर करती हैं। हे तुलसी, मैं आपको प्रणाम करता हूं।
श्लोक 5:
देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः । नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये ॥ ५॥
अर्थ:
आपको देवताओं ने पहले निर्मित किया था और आपको ऋषियों और मुनियों ने पूजित किया है। हे तुलसी, मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूं, आप पापों को हरने वाली और भगवान हरि की प्रिय हैं।
श्लोक 6:
सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा । आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये ॥ ६॥
अर्थ:
हे देवी तुलसी, आप मुझे सौभाग्य, संतति (संतान), धन, धान्य, आरोग्य और शोक का शमन करने वाली कृपा प्रदान करें। आप माधव (भगवान विष्णु) की प्रिय हैं।
श्लोक 7:
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा । कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम् ॥ ७॥
अर्थ:
हे तुलसी, आप मुझे प्रतिदिन और सभी प्रकार की विपत्तियों और भय से बचाएं। आपका कीर्तन या स्मरण करने से ही मनुष्य पवित्र हो जाता है।
श्लोक 8:
या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी । प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः ॥ ८॥
अर्थ:
जो तुलसी के दर्शन से ही सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, जिसके स्पर्श से शरीर पवित्र हो जाता है, जो रोगों को हरने वाली है, जो जल देने से मृत्यु के भय को समाप्त करती है, जो भगवान कृष्ण की प्रिय है और जिसके चरणों में समर्पित होकर मुक्ति प्राप्त होती है, ऐसी तुलसी को मेरा नमन।
यह श्री तुलसी स्तुति तुलसी की महिमा का बखान करती है और इसे पाठ करने से आशीर्वाद और शांति प्राप्त होती है।
श्री तुलसी स्तुति
तुलसी स्तुति में तुलसी के पौधे की विशेषताओं और उसकी पूजा के लाभों का विस्तार से वर्णन किया गया है। हिंदू धर्म में तुलसी का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। तुलसी को पवित्र पौधा माना जाता है और इसे घर में रखने से वातावरण पवित्र होता है। तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, और इसे विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है।
तुलसी के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व:
- पवित्रता का प्रतीक: तुलसी को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी के पौधे के पास रहने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- स्वास्थ्य के लिए लाभकारी: तुलसी का पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसके पत्तों का सेवन कई बीमारियों में लाभकारी होता है, जैसे कि सर्दी, खांसी, बुखार, और कई अन्य शारीरिक समस्याएं।
- व्रत और पूजा में महत्व: तुलसी का उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। विशेष रूप से विष्णु पूजा, तुलसी विवाह, और कार्तिक मास में तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है।
- आध्यात्मिक शांति: तुलसी का पूजन और उसकी आराधना करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसे घर में लगाने से शांति और समृद्धि का वास होता है।
- पापों का नाश: तुलसी को पापों को नष्ट करने वाली देवी माना गया है। इस स्तुति में तुलसी से पापों को हरने और शुद्धता प्राप्त करने की प्रार्थना की गई है।
तुलसी स्तुति का महत्व:
- रोग निवारण: स्तुति में यह कहा गया है कि तुलसी के दर्शन, स्पर्श, और जल देने से रोगों का नाश होता है। यह शारीरिक और मानसिक कष्टों को दूर करने की शक्ति रखती है।
- सौभाग्य और समृद्धि: तुलसी की पूजा से सौभाग्य, धन-धान्य, और संतान की प्राप्ति होती है। यह जीवन में सुख और समृद्धि का संचार करती है।
- मुक्ति का मार्ग: तुलसी को भगवान विष्णु के चरणों में समर्पित करने से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह मोक्ष का द्वार खोलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: तुलसी के पौधे के पास नियमित पूजा और ध्यान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वातावरण पवित्र रहता है।
तुलसी स्तुति का पाठ:
तुलसी स्तुति का पाठ नियमित रूप से करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस स्तुति में तुलसी की महिमा और उसकी पूजा के लाभों का संक्षिप्त और सुंदर वर्णन किया गया है। भक्त इस स्तुति का पाठ करके तुलसी से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।
तुलसी स्तुति न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य का स्रोत भी है। इस स्तुति का पाठ नियमित रूप से करने से मन, शरीर, और आत्मा की शुद्धि होती है।