- – कविता “श्याम तेरे मंदिर में” में नगाड़े की ध्वनि को किस्मत और जीवन की पुनरुत्थान से जोड़ा गया है।
- – नगाड़ा बजने पर मंदिर में एक विशेष ऊर्जा और जोश का संचार होता है, जो लोगों को मस्ती और भक्ति में लिप्त कर देता है।
- – फरियाद करने वाले जब नगाड़े से चोट खाते हैं, तो उनसे उनके दुखों के बारे में पूछा जाता है, जो भावनात्मक जुड़ाव दर्शाता है।
- – कवि ने नगाड़े को एक पवित्र और प्यारा यंत्र माना है, जो कीर्तन में विशेष महत्व रखता है।
- – कविता में श्याम मंदिर की भक्ति और नगाड़े की महत्ता को सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है।

श्याम तेरे मंदिर में,
जब बजता नगाड़ा है,
होती सुनाई उसकी,
जो किस्मत का मारा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
तर्ज – बाबुल का ये घर बहना।
नौ रंग शाह के लिए,
उसकी बेगम ने अर्जी करी,
नगाड़ा चढ़ाया तो मिला,
उसे जीवन दोबारा है,
श्याम तेरे मंदिर मे,
जब बजता नगाड़ा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
आलूसिंह जी में तो,
पूरा जोश ये भर देता,
वो तो मस्ती में आ जाते,
हमने देखा नज़ारा है,
श्याम तेरे मंदिर मे,
जब बजता नगाड़ा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
आकर के फरियादी,
जब नगाड़े पे चोंट करे,
पूछते हो तुम उससे,
क्या दुखड़ा तुम्हारा है,
श्याम तेरे मंदिर मे,
जब बजता नगाड़ा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
तेरे इस नगाड़े को,
ये ‘बिन्नू’ नमन करता,
कीर्तन में जब बजता,
हमें लगता ये प्यारा है,
श्याम तेरे मंदिर मे,
जब बजता नगाड़ा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
श्याम तेरे मंदिर में,
जब बजता नगाड़ा है,
होती सुनाई उसकी,
जो किस्मत का मारा है,
श्याम तेरे मंदिर में।।
स्वर – सुनीता जी गोयल।
