श्री विज्ञ राजं भजे – गणेश मंत्र in Hindi/Sanskrit
पल्लवि
श्री विज्ञ राजं भजे – भजेहम् भजेहम्
भजेहम् भजे – तमिहअनुपल्लवि
सन्ततमहम् कुन्जरमुहम्
शन्करसुतम् – तमिह
सन्ततमहम् दन्ति सुन्दर मुखम्
अन्तकान्तक सुतम् – सिव
शन्करि सुतम् – तमिह
चरणम् 1
सेवित सुरेन्द्र महनीय गुणशीलम्
जपत समादि सुख वरद – अनुकूलम्
भावित सुरमणि गन भक्त परिपालम्
भयन्कर विशन्ग मातन्ग कुलकालम्
चरणम् 2
कनक केयूर हारावलि कलित
गम्भीर गौरगिरि शोभम् सुशोभम्
कामादि भय भरित मूड मद
कलिकलुश कन्तित मखन्ड प्रतापम् – प्रतापम्
सनक सुख नारद पदन्जलि पराच्हर
मतन्ग मुनिसन्ग सल्लापम् – सल्लापम्
सत्य पर मब्ज नयनप्रमुद मुक्तिकर
तत्वमसि नित्य निगमादि स्वरूपम्
Sri Vighnarajam Bhaje in English
Pallavi
Shri Vigna Rajam Bhaje – Bhajeham Bhajeham
Bhajeham Bhaje – TamihanuPallavi
Santatamaham Kunjaramukham
Shankarasutam – Tamih
Santatamaham Danti Sundara Mukham
Antakantaka Sutam – Shiva
Shankari Sutam – Tamih
Charanam 1
Sevita Surendra Mahaniya Gunashilam
Japata Samadi Sukha Varada – Anukulam
Bhavita Suramani Gana Bhakta Paripalam
Bhayanakara Vishanga Matanga Kulakalam
Charanam 2
Kanaka Keyura Haravali Kalita
Gambhira Gauragiri Shobham Sushobham
Kamadi Bhaya Bharita Mooda Mada
Kalikalusha Kantita Makhanda Pratapam – Pratapam
Sanaka Sukha Narada Padanjali Parashara
Matanga Munisanga Sallapam – Sallapam
Satya Paramabja Nayanapramuda Muktikara
Tattvamasi Nitya Nigamadi Swaroopam
श्री विज्ञ राजं भजे – गणेश मंत्र PDF Download
श्री विज्ञ राजं भजे – गणेश मंत्र का अर्थ
श्री विज्ञ राजं भजे – भजेहम् भजेहम् भजेहम् भजे
इस लाइन में ‘श्री विज्ञ राजं’ का अर्थ है भगवान गणेश, जो ज्ञान और बुद्धि के देवता हैं। ‘भजे’ का अर्थ है ‘मैं स्तुति करता हूँ’ या ‘मैं पूजा करता हूँ’। इस पंक्ति का तात्पर्य है कि मैं भगवान गणेश की निरंतर स्तुति और पूजा करता हूँ, जो मेरे जीवन में ज्ञान और बुद्धि का प्रकाश फैलाते हैं।
तमिह (अनुपल्लवि)
‘तमिह’ का अर्थ है ‘उन्हें’ या ‘उनकी।’ इस लाइन में भक्त भगवान गणेश की निरंतर पूजा और स्मरण करते हुए कहता है कि वह हमेशा उनकी पूजा करता है।
सन्ततमहम् कुन्जरमुहम् शन्करसुतम् – तमिह
यह पंक्ति भगवान गणेश का वर्णन करती है। ‘सन्ततम’ का अर्थ है ‘निरंतर,’ ‘कुन्जरमुहम्’ का अर्थ है ‘हाथी के मुख वाले,’ और ‘शन्करसुतम्’ का अर्थ है ‘शंकर (भगवान शिव) का पुत्र।’ इसका मतलब है कि मैं निरंतर भगवान गणेश, जो हाथी के मुख वाले और भगवान शिव के पुत्र हैं, की स्तुति करता हूँ।
सन्ततमहम् दन्ति सुन्दर मुखम् अन्तकान्तक सुतम् – सिव
इस पंक्ति में ‘दन्ति’ का अर्थ है ‘हाथी,’ और ‘सुन्दर मुखम्’ का अर्थ है ‘सुंदर मुख वाला।’ ‘अन्तकान्तक’ का अर्थ है ‘मृत्यु का नाश करने वाला,’ और ‘सिव’ से भगवान शिव की ओर संकेत किया गया है। इस पंक्ति का तात्पर्य है कि मैं हमेशा उस गणेश की पूजा करता हूँ जो हाथी के सुंदर मुख वाले हैं और जो मृत्यु के नाशक भगवान शिव के पुत्र हैं।
सेवित सुरेन्द्र महनीय गुणशीलम्
‘सेवित सुरेन्द्र’ का अर्थ है ‘इंद्र सहित सभी देवताओं द्वारा सेवा किए जाने वाले,’ और ‘महनीय गुणशीलम्’ का अर्थ है ‘महान गुणों वाले।’ इस पंक्ति का तात्पर्य है कि भगवान गणेश, जिनकी सेवा देवताओं द्वारा की जाती है और जो महान गुणों वाले हैं, उनकी स्तुति करता हूँ।
जपत समादि सुख वरद – अनुकूलम्
‘जपत’ का अर्थ है ‘जपना,’ ‘समादि’ का अर्थ है ‘समाधि,’ ‘सुख वरद’ का अर्थ है ‘आनंद और वरदान देने वाले,’ और ‘अनुकूलम्’ का अर्थ है ‘सहायक।’ यह पंक्ति भगवान गणेश की ओर इंगित करती है जो ध्यान और जप करने वालों को आनंद और वरदान प्रदान करते हैं।
भावित सुरमणि गन भक्त परिपालम्
‘भावित’ का अर्थ है ‘विचारशील,’ ‘सुरमणि गन’ का अर्थ है ‘देवताओं का समूह,’ और ‘भक्त परिपालम्’ का अर्थ है ‘भक्तों की रक्षा करने वाले।’ यह पंक्ति भगवान गणेश की उस भूमिका का वर्णन करती है जिसमें वे भक्तों और देवताओं की रक्षा करते हैं।
भयन्कर विशन्ग मातन्ग कुलकालम्
‘भयन्कर’ का अर्थ है ‘डरावना,’ ‘विशन्ग’ का अर्थ है ‘शत्रु,’ ‘मातन्ग’ का अर्थ है ‘हाथी,’ और ‘कुलकालम्’ का अर्थ है ‘पूरे समूह का नाश करने वाला।’ इस पंक्ति का तात्पर्य है कि भगवान गणेश उन सभी शत्रुओं का नाश करते हैं जो उनके भक्तों को नुकसान पहुँचाना चाहते हैं, और वे मातंग (हाथी) के वंश का नाशक भी हैं।
कनक केयूर हारावलि कलित
‘कनक’ का अर्थ है ‘स्वर्ण,’ ‘केयूर’ का अर्थ है ‘बाजूबंद,’ और ‘हारावलि’ का अर्थ है ‘मालाओं की माला।’ ‘कलित’ का अर्थ है ‘सजे हुए।’ इस पंक्ति में भगवान गणेश को स्वर्ण के आभूषण और माला से सजे हुए बताया गया है।
गम्भीर गौरगिरि शोभम् सुशोभम्
‘गम्भीर’ का अर्थ है ‘गंभीर,’ ‘गौरगिरि’ का अर्थ है ‘श्वेत पर्वत,’ और ‘शोभम्’ का अर्थ है ‘शोभायमान।’ यह पंक्ति भगवान गणेश की गंभीर और अद्वितीय शोभा को दर्शाती है, जो श्वेत पर्वत की तरह शोभायमान हैं।
कामादि भय भरित मूड मद
‘कामादि’ का अर्थ है ‘काम (इच्छा) और अन्य सांसारिक इच्छाएं,’ ‘भय भरित’ का अर्थ है ‘भय से भरे हुए,’ ‘मूड’ का अर्थ है ‘अज्ञान,’ और ‘मद’ का अर्थ है ‘अहंकार।’ इस पंक्ति में कहा गया है कि भगवान गणेश उन लोगों का मार्गदर्शन करते हैं जो काम, भय, अज्ञान और अहंकार से भरे हुए हैं।
कलिकलुश कन्तित मखन्ड प्रतापम् – प्रतापम्
‘कलिकलुश’ का अर्थ है ‘कलियुग के पाप,’ ‘कन्तित’ का अर्थ है ‘समाप्त करना,’ ‘मखन्ड’ का अर्थ है ‘टुकड़े करना,’ और ‘प्रतापम्’ का अर्थ है ‘शक्ति।’ इस पंक्ति में भगवान गणेश की उस शक्ति का वर्णन है जिससे वे कलियुग के पापों को नष्ट करते हैं।
सनक सुख नारद पदन्जलि पराच्हर
इस पंक्ति में ‘सनक’ का अर्थ है ‘सनकादिक ऋषि,’ ‘नारद’ का अर्थ है ‘नारद ऋषि,’ ‘पदन्जलि’ का अर्थ है ‘पतनjali योग के प्रवर्तक,’ और ‘पराच्हर’ का अर्थ है ‘महान ऋषि पराशर।’