- – गीत में प्रेम और भक्ति की गहराई को दर्शाया गया है, जहाँ प्रेमी कान्हा (भगवान कृष्ण) के प्यार में डूबा हुआ है।
- – चुनरिया ओढ़कर बाजार में नाचने की बात प्रेम की ऐसी अवस्था को दर्शाती है जहाँ व्यक्ति पूरी तरह से अपने प्रेम में खो जाता है।
- – दुनिया की रंग बदलती और मतलब भरी प्रवृत्ति के बीच सच्चे प्रेम की अनमोलता को उजागर किया गया है।
- – सुख-दुख के चक्र और जीवन की अनिश्चितताओं के बावजूद प्रेमी का कान्हा के प्रति अटूट विश्वास और समर्पण दिखाया गया है।
- – गीत में मन मोहन (कान्हा) के प्रेम में हार मान लेने और प्रेम के व्यापार में पूरी तरह डूब जाने की भावना व्यक्त की गई है।

तेरे नाम की ओढ़ चुनरिया,
मैं तो नाचू बीच बाजार में,
ऐसी हालत होगी मेरी,
कान्हा तेरे प्यार में,
ऐसी हालत होगी मेरी,
कान्हा तेरे प्यार में।।
रंग बदलती इस दुनिया में,
कोई किसी का यार नहीं,
मतलब की है दुनिया सारी,
बिन मतलब व्यव्हार नहीं,
हार गया हूँ मैं मन मोहन,
हार गया हूँ मैं मन मोहन,
प्यार के इस व्यापार में,
ऐसी हालत होगी मेरी,
कान्हा तेरे प्यार में,
तेरे नाम की औढ़ चुनरिया,
मैं तो नाचू बीच बाजार में,
ऐसी हालत होगी मेरी,
कान्हा तेरे प्यार में।।
कभी तो कोई आँख दिखावे,
कोई गले लगाता है,
मतलब की इस दुनिया में तो,
सुख दुःख आता जाता है,
धुप छांव पग पग पर मिलती,
सुख दुःख आता जाता है,
जित की मुझको ख़ुशी नहीं है,
जित की मुझको ख़ुशी नहीं है,
और रंज नहीं है हार में,
ऐसी हालत होगी मेरी,
कान्हा तेरे प्यार में,
तेरे नाम की औढ़ चुनरिया,
मैं तो नाचू बीच बाजार में,
ऐसी हालत होगी मेरी,
कान्हा तेरे प्यार में।।
तेरे नाम की ओढ़ चुनरिया,
मैं तो नाचू बीच बाजार में,
ऐसी हालत होगी मेरी,
कान्हा तेरे प्यार में,
ऐसी हालत होगी मेरी,
कान्हा तेरे प्यार में।।
Singer : Shri Devaki Nandan Ji
