- – यह कविता भक्ति और आध्यात्मिकता की भावना को दर्शाती है, जिसमें राम नाम जपने और ईश्वर की भक्ति का महत्व बताया गया है।
- – “सावरीयो घट माय” का बार-बार उल्लेख कर प्रकृति और ईश्वरीय शक्ति के प्रति श्रद्धा व्यक्त की गई है।
- – कविता में विभिन्न पौराणिक और धार्मिक पात्रों जैसे राम, लक्ष्मण, सीता, कौरव, पांडव, गंगा, जमुना, सरस्वती का उल्लेख है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म की गहराई को दर्शाता है।
- – भक्ति के माध्यम से दुःख और ग़म से मुक्ति पाने की आशा व्यक्त की गई है, जैसे कि मीरा की भक्ति का उल्लेख किया गया है।
- – यह रचना एक आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक है, जिसमें जीवन के संघर्षों के बीच ईश्वर की शरण लेने और नामस्मरण करने का संदेश है।

थाने कठे भालवा जाऊ रे,
दोहा – राम नाम रटते रहो,
जबतक घट में प्राण,
कभी तो दीनदयाल के,
भनक पडेगी कान।
थाने कठे भालवा जाऊ रे,
सावरीयो घट माय रे,
सावरीयो घट माई रे,
बनवारी मारो घट माय,
थने कठे भालवा जाऊ रे,
सावरीयो घट माय रे।।
अरे गुरु देखीया चेला देखीया,
ओर देखीया नहीं रे,
सावरीयो घट माय,
थने कठे भालवा जाऊ रे,
सावरीयो घट माय रे।।
अरे राम देखीया लक्ष्मण देखीया,
देखी सीता माय रे,
सावरीयो घट माय,
थने कठे भालवा जाऊ रे,
सावरीयो घट माय रे।।
अरे कौरव देखीया पांडव देखीया,
ओर देखीया नही रे,
सावरीयो घट माय,
थने कठे भालवा जाऊ रे,
सावरीयो घट माय रे।।
अरे गंगा देखीया जमुना देखीया,
देखी सरस्वती माय रे,
सावरीयो घट माय,
थने कठे भालवा जाऊ रे,
सावरीयो घट माय रे।।
बाई मीरा केवे प्रभु गिरधर नागर,
गुरु मिलीया गम होई रे,
थने कठे भालवा जाऊ रे,
सावरीयो घट माय रे।।
थाने कठे भालवा जाऊ रे,
सावरीयो घट माय रे,
सावरीयो घट माई रे,
बनवारी मारो घट माय,
थने कठे भालवा जाऊ रे,
सावरीयो घट माय रे।।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
