- – यह भक्ति गीत भगवान हनुमान जी की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन करता है।
- – हनुमान जी को संकटों में भक्तों के सहारे और संकटमोचक बताया गया है।
- – गीत में हनुमान जी के अद्भुत कार्यों जैसे पर्वत उठाना, माता सीता की खोज, और रावण का नाश करने का उल्लेख है।
- – तुलसीदास और लक्ष्मण की रक्षा में हनुमान जी की भूमिका को भी सम्मानित किया गया है।
- – भक्तों से विनती की गई है कि वे हनुमान जी की भक्ति और गुणगान करें, ताकि उनकी कृपा बनी रहे।

विनती सुनो मेरी अंजनी के लाला,
करते तुम्हारा गुणगान देवा,
दाता हमारे तुम ही सहारे,
भक्तो पे किरपा अपार देवा।।
तर्ज – सांची कहे तोरे आवन से हमरे
पूजा तुम्हारी जो करता है दिल से,
उसको बचाते हो हर मुश्किल से,
दर पे तुम्हारे जो आये सवाली,
रखते हो भक्तो का ध्यान देवा,
दाता हमारे तुम ही सहारे,
भक्तो पे किरपा अपार देवा।।
सूरज को बजरंगी मुँह में धरा था,
हाथो पे पर्वत को तुमने धरा था,
हर काम मुश्किल पल में बनाते,
देवो में हो बलवान देवा,
दाता हमारे तुम ही सहारे,
भक्तो पे किरपा अपार देवा।।
माता सिया का पता था लगाया,
रावण को निचा था तुमने दिखाया,
लंका जलाई पल भर में स्वामी,
ऐसा मचाया तूफान देवा,
दाता हमारे तुम ही सहारे,
भक्तो पे किरपा अपार देवा।।
लक्ष्मण की थी तुमने जान बचाई,
तुलसी को तुमने ही राह दिखाई,
प्रेमी तुम्हारे चरणों में रखना,
पागल तुम्हारा सरकार देवा,
दाता हमारे तुम ही सहारे,
भक्तो पे किरपा अपार देवा।।
विनती सुनो मेरी अंजनी के लाला,
करते तुम्हारा गुणगान देवा,
दाता हमारे तुम ही सहारे,
भक्तो पे किरपा अपार देवा।।
