जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
शुभ कार्यो में सबसे पहले
तेरा पूजन करते
विघ्न हटाते काज बनाते
सभी अमंगल हरते
ओ देवा सिद्धि और सिद्धि बाटे
चुनते राहो के काटे
खुशियों के रंग को बिखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
ओमकार है रूप तिहारा
अलौकिक है माया
लम्ब कर्ण तेरे उज्जवल नैना
धुम्रवर्ण है काया
ओम्हर है रूप तिहारा
अलौकिक है माया
ओ देवा शम्भू के लाल दुलारे
संतो के नैनन तारे
मस्तक पे चन्द्रमा को वारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
गणपति बाप्पा घर में आना
सुख वैभव कर जाना
एक दन्त लम्बोदर स्वामी
सारे कष्ट मिटाना
गणपति बाप्पा घर में आना
सुख वैभव बरसाना
देवा लडूअन का भोग लगाते
मूषक वहानपे आते
भक्तो की बिगड़ी संवारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
धन कुबेर चरणों के चाकर
लक्ष्मी संग विराजे
दसो दिशा नवखण्ड में देवा
डंका तेरा बाजे
देवा तुझमे ध्यान लगाये
मन चाहा फल वो पाए
नैया भवंर से उबारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
बांझो की गोदे भर देना
निर्धन को धन देना
दिनों को सन्मान दिलाना
निर्बल को बाल देना
ओ देवा सुनलो अरदास हमारी
विनती करते नर नारी
सेवा में तन मन वारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
जय हो जय जय है गौरी नंदन
देवा गणेशा गजानन
चरणों को तेरे हम पखारते
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
जय हो जय जय है गौरी नंदन आरती का अर्थ
देवा गणेशा गजानन
यह पंक्तियाँ भगवान गणेश की महिमा का बखान करती हैं। “गौरी नंदन” का अर्थ है देवी पार्वती के पुत्र, भगवान गणेश। “देवा गणेशा गजानन” में “गजानन” का अर्थ है हाथी के मुख वाले देवता, जो समस्त विघ्नों को दूर करने वाले और मंगलकर्ता माने जाते हैं। यह भजन भगवान गणेश की स्तुति के लिए है, जिसमें भक्त उन्हें सम्मान और श्रद्धा अर्पित करते हैं।
चरणों को तेरे हम पखारते
इस पंक्ति में भगवान गणेश के चरणों की पूजा का वर्णन है। “पखारते” का अर्थ है धोना या साफ करना। भक्त अपने भगवान के चरणों को पवित्रता से धोते हैं, जो सम्मान और विनम्रता का प्रतीक है।
हो देवा आरती तेरी हम उतारते
इस पंक्ति का अर्थ है कि भक्त भगवान गणेश की आरती उतार रहे हैं। आरती भगवान को समर्पित एक पवित्र विधि है, जिसमें दीपक जलाकर उसे भगवान के सामने घुमाया जाता है।
शुभ कार्यो में सबसे पहले
तेरा पूजन करते
यहाँ बताया गया है कि किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में कोई भी कार्य बिना भगवान गणेश की पूजा के आरंभ नहीं किया जाता, क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता माना जाता है।
विघ्न हटाते काज बनाते
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, अर्थात वे सभी विघ्नों को दूर करते हैं और सभी कार्यों को सफल बनाते हैं।
सभी अमंगल हरते
इस पंक्ति का अर्थ है कि भगवान गणेश सभी अमंगल और दुखों को दूर करते हैं और अपने भक्तों को खुशहाल जीवन प्रदान करते हैं।
ओ देवा सिद्धि और सिद्धि बाटे
चुनते राहो के काटे
इस पंक्ति में भगवान गणेश की महिमा का वर्णन है, कि वे अपने भक्तों को सफलता (सिद्धि) और पूर्णता प्रदान करते हैं। “राहो के काटे चुनना” का अर्थ है कि वे भक्तों की मार्ग में आने वाले सभी बाधाओं को दूर करते हैं।
खुशियों के रंग को बिखारते
भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में खुशियाँ आती हैं, और वे अपने भक्तों के जीवन में आनंद का रंग बिखेरते हैं।
ओमकार है रूप तिहारा
अलौकिक है माया
भगवान गणेश का रूप ओंकार का प्रतीक है, जो ब्रह्मांड के निर्माण और विनाश का मूल मंत्र है। उनकी माया यानी शक्ति अलौकिक है, जो सभी सांसारिक और आध्यात्मिक चीजों से परे है।
लम्ब कर्ण तेरे उज्जवल नैना
यहाँ भगवान गणेश के शारीरिक स्वरूप का वर्णन किया गया है। उनके लंबे कान और उज्ज्वल, चमकते हुए नेत्र दर्शाए गए हैं, जो उनके दिव्यता का प्रतीक हैं।
धुम्रवर्ण है काया
ओम्हर है रूप तिहारा
भगवान गणेश का धूम्र वर्ण यानी धुंए जैसा रंग है, जो उनके धीरज और शक्ति का प्रतीक है। उनका रूप ओंकार का है, जो उनके अनंत और दिव्य स्वरूप को प्रकट करता है।
मस्तक पे चन्द्रमा को वारते
भगवान गणेश के मस्तक पर चंद्रमा का होना उनके शांति और स्थिरता का प्रतीक है। यह उनके विशाल ज्ञान और धैर्य को दर्शाता है।
गणपति बाप्पा घर में आना
सुख वैभव कर जाना
यहाँ भक्त गणपति बप्पा से निवेदन कर रहे हैं कि वे उनके घर आएं और सुख, समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद दें।
एक दन्त लम्बोदर स्वामी
भगवान गणेश का एक दंत और लंबोदर (बड़ा पेट) उनका विशिष्ट प्रतीक है। यह उनके बौद्धिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य का प्रतीक है।
सारे कष्ट मिटाना
भक्तों की प्रार्थना है कि भगवान गणेश उनके जीवन के सारे कष्टों और परेशानियों को दूर करें।
धन कुबेर चरणों के चाकर
लक्ष्मी संग विराजे
भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि वे धन के देवता कुबेर के भी गुरु और श्रेष्ठ हैं, और देवी लक्ष्मी के साथ विराजते हैं।
दसो दिशा नवखण्ड में देवा
यह पंक्ति बताती है कि भगवान गणेश का डंका पूरी दुनिया में बजता है।
डंका तेरा बाजे
यह पंक्ति बताती है कि भगवान गणेश की महिमा चारों दिशाओं में फैली हुई है। उनकी शक्ति और महिमा संसार के हर कोने में गूंजती है। वे सर्वव्यापी हैं और सभी दिशाओं में पूजनीय हैं।
देवा तुझमे ध्यान लगाये
इसका अर्थ है कि भक्त भगवान गणेश में अपना ध्यान लगाते हैं, यानी वे ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से भगवान की उपासना करते हैं। ध्यान और पूजा से भगवान गणेश अपने भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करते हैं।
मन चाहा फल वो पाए
जो भक्त भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा करते हैं, उन्हें अपने जीवन में सफलता मिलती है। उनका हर कार्य सफल होता है और वे अपने इच्छित फल को प्राप्त करते हैं।
नैया भवंर से उबारते
यह पंक्ति बताती है कि भगवान गणेश अपने भक्तों को जीवन के भंवर (कठिनाइयों) से बाहर निकालते हैं और उन्हें सुरक्षित किनारे पर पहुंचाते हैं। यह जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने का प्रतीक है।
बांझो की गोदे भर देना
निर्धन को धन देना
भगवान गणेश से प्रार्थना की जाती है कि वे नि:संतान महिलाओं को संतान का आशीर्वाद दें और निर्धनों को धन का आशीर्वाद दें। वे अपने भक्तों की हर तरह की इच्छाओं को पूरी करने वाले हैं।
दिनों को सन्मान दिलाना
यह पंक्ति बताती है कि भगवान गणेश उन लोगों को सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाते हैं, जिन्हें समाज में कम आंका जाता है। वे सबकी प्रतिष्ठा बढ़ाते हैं।
निर्बल को बाल देना
इसका अर्थ है कि भगवान गणेश निर्बल (कमजोर) लोगों को बल और शक्ति प्रदान करते हैं। वे अपने भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति से सशक्त बनाते हैं।
ओ देवा सुनलो अरदास हमारी
यह एक विनती है, जिसमें भक्त भगवान गणेश से अपनी प्रार्थना सुनने का आग्रह कर रहे हैं। भक्त अपने दुःखों और परेशानियों को भगवान के सामने रखते हैं और उनसे सहायता की प्रार्थना करते हैं।
विनती करते नर नारी
इस पंक्ति में पुरुष और महिलाएं, दोनों भक्त भगवान गणेश के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। सभी भक्त भगवान की सेवा में तन-मन से समर्पित होते हैं।
सेवा में तन मन वारते
यह पंक्ति बताती है कि भक्त अपने शरीर और मन को भगवान गणेश की सेवा में अर्पित करते हैं। यह सम्पूर्ण समर्पण का प्रतीक है, जहाँ भक्त अपनी पूरी ऊर्जा भगवान की सेवा और उपासना में लगा देते हैं।
जय हो जय जय है गौरी नंदन
यह अंतिम पंक्तियाँ फिर से भगवान गणेश की जय-जयकार करती हैं, जिससे इस आरती का समापन होता है। भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति को दुबारा प्रकट करते हैं और भगवान गणेश की महिमा गाते हैं।
इस भजन के प्रत्येक पंक्ति में भगवान गणेश की महिमा, उनकी शक्ति, और भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन है। गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में देखा जाता है, जो सभी प्रकार के कष्टों और विघ्नों को दूर करते हैं और भक्तों को सुख, समृद्धि और सफलता प्रदान करते हैं।