हे श्याम ध्वजा बंदधारी,
तुम ही सुनते हो हमारी,
जब कोई ना आड़े आवे,
देख भगत की हार जिताने,
तू लीले चढ़कर आवे,
हें श्याम ध्वजा बंदधारी,
तुम ही सुनते हो हमारी ॥
भीगी पलके देख भगत की,
चैन ना तुझको आता,
पोंछने आंसू झट तू अपने,
लीले को दौड़ाता, दौड़ाता, दौड़ाता,
बदल के आंसू गम के ख़ुशी में,
बदल के आंसू गम के ख़ुशी में,
रोते को तू हंसाए,
देख भगत की हार जिताने,
तू लीले चढ़कर आवे,
हें श्याम ध्वजा बंदधारी,
तुम ही सुनते हो हमारी ॥
समय के साथ बदलते देखि,
हमने दुनिया सारी,
लेकिन तेरा न्याय ना बदला,
ना बदली दातारि, दातारि, दातारि,
साँचा न्याय तेरा दर तेरे,
साँचा न्याय तेरा दर तेरे,
भीड़ बढ़ाती जाए,
देख भगत की हार जिताने,
तू लीले चढ़कर आवे,
हें श्याम ध्वजा बंदधारी,
तुम ही सुनते हो हमारी ॥
ना कोई छोटा ना ही बड़ा कोई,
तेरे आगे स्वामी,
भावों का व्यापारी है तू,
बात ये हमने जानी, हाँ जानी, जानी,
भाव भजन में डूब के बाबा,
भाव भजन में डूब के बाबा,
तू भंडार लुटावे,
देख भगत की हार जिताने,
तू लीले चढ़कर आवे,
हें श्याम ध्वजा बंदधारी,
तुम ही सुनते हो हमारी ॥
हे श्याम ध्वजा बंदधारी,
तुम ही सुनते हो हमारी,
जब कोई ना आड़े आवे,
देख भगत की हार जिताने,
तू लीले चढ़कर आवे,
हें श्याम ध्वजा बंदधारी,
तुम ही सुनते हो हमारी ॥
हे श्याम ध्वजा बंदधारी, तुम ही सुनते हो हमारी – भजन
यह भजन एक भक्त का अपने आराध्य भगवान श्री श्याम जी के प्रति समर्पण और उनकी दया एवं करुणा का गुणगान है। इसमें भक्त अपने भावों को प्रस्तुत करता है कि श्यामजी ही उनके दुःखों का निवारण करते हैं और हर कठिनाई में उनका साथ देते हैं।
प्रथम श्लोक
हे श्याम ध्वजा बंदधारी, तुम ही सुनते हो हमारी
हे श्याम ध्वजा बंदधारी, तुम्हें ही हमारी सभी पुकारें सुनाई देती हैं। जब भी भक्त तुम्हें याद करता है, तुम उनकी आवाज़ को सबसे पहले सुनते हो।
जब कोई ना आड़े आवे, देख भगत की हार जिताने
जब भक्त किसी मुसीबत में होता है और कोई भी उनकी मदद के लिए नहीं आता, उस समय भगवान श्याम स्वयं उनकी सहायता के लिए आगे आते हैं। वह भक्त के लिए हर संकट का समाधान करते हैं और उसे जीत दिलाते हैं।
तू लीले चढ़कर आवे
भगवान श्याम अपनी दिव्य लीला रचते हुए भक्त के पास आते हैं, जिससे उसका मनोबल बढ़ता है और उसकी कठिनाइयाँ हल हो जाती हैं।
दूसरा श्लोक
भीगी पलके देख भगत की, चैन ना तुझको आता
जब भगवान श्याम अपने भक्त की भीगी हुई पलकों को देखते हैं, तो उनके दिल में एक करुणा का भाव जागता है। वह किसी भी प्रकार से भक्त को दुखी नहीं देख सकते।
पोंछने आंसू झट तू अपने, लीले को दौड़ाता
भगवान श्याम अपने भक्त के आँसू पोंछने के लिए तुरंत आते हैं और उसे सांत्वना देते हैं। वे भक्त की हर तकलीफ को दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं।
बदल के आंसू गम के ख़ुशी में, रोते को तू हंसाए
भगवान श्याम गम के आँसू को खुशी में बदल देते हैं और रोते हुए भक्त को मुस्कान प्रदान करते हैं। उनकी कृपा से भक्त की सारी पीड़ा खुशी में बदल जाती है।
तीसरा श्लोक
समय के साथ बदलते देखि, हमने दुनिया सारी
इस पंक्ति में भक्त कहता है कि उसने समय के साथ दुनिया को बदलते देखा है। संसार में कोई भी चीज स्थिर नहीं है और समय के साथ सब कुछ बदलता रहता है।
लेकिन तेरा न्याय ना बदला, ना बदली दातारि
भगवान श्याम के न्याय और दान देने की भावना कभी नहीं बदलती। वे सच्चे न्यायप्रिय और दयालु हैं, और समय की गति से अप्रभावित रहते हैं।
साँचा न्याय तेरा दर तेरे, भीड़ बढ़ाती जाए
भगवान के दरबार में सच्चे न्याय की तलाश में भक्तों की भीड़ बढ़ती जाती है। श्याम जी का न्याय सदा अटल रहता है, जो सबको समानता के साथ न्याय प्रदान करता है।
चौथा श्लोक
ना कोई छोटा ना ही बड़ा कोई, तेरे आगे स्वामी
भगवान श्याम के सामने कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है। उनके दरबार में सभी भक्त एक समान हैं, और उनका प्रेम सभी के लिए एक समान होता है।
भावों का व्यापारी है तू, बात ये हमने जानी
भगवान श्याम भावों के व्यापारी हैं। वे धन या भौतिक वस्तुओं के लालची नहीं होते; उनके लिए भक्त के सच्चे भाव ही सर्वोपरि हैं।
भाव भजन में डूब के बाबा, तू भंडार लुटावे
जब भक्त भक्ति के सागर में डूब जाता है, तो भगवान श्याम अपने आशीर्वाद का भंडार खोल देते हैं और उस पर अनंत कृपा बरसाते हैं।
निष्कर्ष
इस भजन में श्याम ध्वजा बंदधारी भगवान श्याम का आह्वान किया गया है। भक्त उनके सामने अपनी समर्पण भावना और प्रेम व्यक्त करते हुए बताता है कि श्याम जी हर परिस्थिति में उसके साथ हैं।