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वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपुजिता, विश्वपावनी ।
पुष्पसारा, नंदिनी च तुलसी, कृष्णजीवनी ॥

एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम ।
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत ॥

वृन्दायै नमः ।
वृन्दावन्यै नमः ।
विश्वपूजितायै नमः ।
विश्वपावन्यै नमः ।
पुष्पसारायै नमः ।
नन्दिन्यै नमः ।
तुलस्यै नमः ।
कृष्णजीवन्यै नमः ॥8

श्री तुलसी नामाष्टक स्तोत्रम्

यह श्लोक तुलसी (बासिल) के बारे में है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। श्लोक के अनुसार, तुलसी के आठ नामों का उल्लेख किया गया है, और इन नामों के महत्व का वर्णन किया गया है। इन आठ नामों को पढ़ने और तुलसी की पूजा करने से भक्त को अत्यंत पुण्य और शुभ फल प्राप्त होते हैं।

  1. वृंदा (Vrinda): यह नाम तुलसी का है, जिसका अर्थ है ‘पवित्रता’ या ‘शुद्धता’। तुलसी को पवित्रता का प्रतीक माना गया है।
  2. वृन्दावनी (Vrindavani): तुलसी को वृन्दावनी के रूप में भी पूजा जाता है, जो वृन्दावन (श्रीकृष्ण की भूमि) से जुड़ी है।
  3. विश्वपुजिता (Vishwapujita): तुलसी को ‘विश्वपूजिता’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘संपूर्ण संसार द्वारा पूजनीय’।
  4. विश्वपावनी (Vishwapavani): तुलसी को ‘विश्वपावनी’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘संपूर्ण विश्व को पवित्र करने वाली’।
  5. पुष्पसारा (Pushpasara): तुलसी को ‘पुष्पसारा’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘फूलों की सार’ या ‘फूलों का सार तत्व’।
  6. नंदिनी (Nandini): यह नाम तुलसी का है, जो सुखदायी और आनंद प्रदान करने वाली है।
  7. तुलसी (Tulasi): तुलसी का यह नाम सर्वाधिक प्रचलित है, जिसे ‘तुलसी’ के रूप में जाना जाता है।
  8. कृष्णजीवनी (Krishna Jeevani): तुलसी को ‘कृष्णजीवनी’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘श्रीकृष्ण के जीवन की संगिनी’।

श्लोक में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति इन आठ नामों के इस स्तोत्र का पाठ करता है और तुलसी की पूजा करता है, उसे मेघों की तरह जीवन में फल प्राप्त होते हैं।

इसके बाद श्लोक में प्रत्येक नाम के लिए नमस्कार किया गया है, जो इस प्रकार हैं:

  • वृंदायै नमः: वृंदा को नमस्कार।
  • वृन्दावन्यै नमः: वृन्दावनी को नमस्कार।
  • विश्वपूजितायै नमः: विश्वपूजिता को नमस्कार।
  • विश्वपावन्यै नमः: विश्वपावनी को नमस्कार।
  • पुष्पसारायै नमः: पुष्पसारा को नमस्कार।
  • नन्दिन्यै नमः: नंदिनी को नमस्कार।
  • तुलस्यै नमः: तुलसी को नमस्कार।
  • कृष्णजीवन्यै नमः: कृष्णजीवनी को नमस्कार।

यह श्लोक तुलसी की महिमा का गुणगान करता है और उनकी पूजा करने के महत्व को दर्शाता है।

श्री तुलसी नामाष्टक स्तोत्रम् महत्व

तुलसी का भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में अत्यधिक महत्व है। तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आयुर्वेद में भी इसका विशेष स्थान है। यहाँ तुलसी के कुछ और पहलुओं का विवरण दिया गया है:

1. तुलसी का धार्मिक महत्व

तुलसी को हिंदू धर्म में माँ लक्ष्मी का अवतार माना जाता है और इसे भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। तुलसी का पौधा हर हिंदू परिवार के आँगन या पूजा स्थल पर पाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जहाँ तुलसी होती है, वहाँ शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।

2. तुलसी का आयुर्वेदिक महत्व

आयुर्वेद में तुलसी को औषधि के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। तुलसी में एंटीबायोटिक, एंटीफंगल, और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। तुलसी का उपयोग सर्दी, खांसी, बुखार, और अन्य श्वसन समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इसके अलावा, यह रक्तचाप को नियंत्रित करने, हृदय की सुरक्षा करने और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक है।

3. तुलसी विवाह

हिंदू परंपरा में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसमें तुलसी के पौधे का विवाह भगवान विष्णु या उनके अवतार श्रीकृष्ण से किया जाता है। यह विवाह कार्तिक मास में किया जाता है, और इसे विवाह के मौसम का प्रारंभ भी माना जाता है। यह विवाह धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक पवित्र माना जाता है और इसे करने से सभी प्रकार के दोषों का निवारण होता है।

4. तुलसी और पर्यावरण

तुलसी का पौधा वातावरण को शुद्ध करता है और इसमें कीटनाशक गुण होते हैं। यह हवा में मौजूद विषाक्त तत्वों को अवशोषित करता है और वातावरण को स्वच्छ बनाता है। इसके साथ ही, तुलसी का पौधा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।

5. तुलसी के प्रकार

तुलसी की मुख्यतः दो प्रकार होते हैं:

  • श्वेत तुलसी (जिसे ‘लक्ष्मी तुलसी’ भी कहा जाता है): इसके पत्ते हरे होते हैं और इसे माँ लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
  • कृष्ण तुलसी (जिसे ‘श्याम तुलसी’ भी कहा जाता है): इसके पत्ते थोड़े गहरे रंग के होते हैं और इसे भगवान कृष्ण का प्रतीक माना जाता है।

6. तुलसी के सेवन के लाभ

तुलसी के पत्तों का सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसे नियमित रूप से चाय में डालकर या सीधे पत्तों का सेवन करना लाभदायक होता है। तुलसी का अर्क कई रोगों से बचाव करता है और इसे औषधीय रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

7. तुलसी की पूजा

तुलसी की पूजा में जल, कुमकुम, और अक्षत (चावल) का प्रयोग किया जाता है। प्रतिदिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। तुलसी के पौधे के नीचे दीप जलाना और उसकी परिक्रमा करना भी शुभ माना जाता है।

तुलसी का महत्व केवल धार्मिक अनुष्ठानों में ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में भी अत्यधिक है। इसके गुण और महत्व का सम्मान करते हुए, इसे घर में एक पवित्र स्थान पर लगाना और उसकी नियमित पूजा करना हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है।

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