आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी,
हम तो इस काबिल ही ना थे,
ये कदर दानी आपकी,
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥
मैं तो तुम से हर तरह,
होकर अलग भागा रहा,
इस जहाँ के दौर मैं,
अटका रहा भटका रहा,
लगा लिया मुझको गले से,
ये रवानी आपकी,
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥
कहाँ है तू और कहाँ हूँ मैं,
ये मिलना भी क्या हो सकता था,
कर कर गुनाह इस तमाश गाहे आलम मैं,
मैं भटका रहा,
बे-सबब हो गई ये रेहमतानी आपकी,
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥
अब तो प्यारे आपके कदमों पे
सर को मैंने रख दिया,
हम इनायत हम नवाजिश,
इस करम का शुक्रिया,
तुम हमारे हम तुम्हारे,
ये जिंदगानी आपकी,
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥
बरसो से उजड़ा पड़ा था,
मेरे दिल का ये चमन,
उजड़ी बगिया खिल उठी,
जब हो गया तेरा आगमन,
आप ने जो गुल खिलाया,
मेहरबानी आपकी,
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी,
हम तो इस काबिल ही ना थे,
ये कदर दानी आपकी,
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी – भजन का गहन अर्थ और विश्लेषण
परिचय
यह भजन एक भक्त के गहन आत्मनिरीक्षण और ईश्वर के प्रति उसके अटूट प्रेम को दर्शाता है। यह न केवल एक साधारण धन्यवाद है, बल्कि आत्मा की उस यात्रा का वर्णन है जो सांसारिक भटकाव से होते हुए अंततः ईश्वर की शरण में पहुंचती है। इस भजन में भक्त अपने पापों, अपनी कमजोरियों और ईश्वर की असीम कृपा का विस्तार से वर्णन करता है।
पहला चरण: ईश्वर की कृपा की स्वीकारोक्ति
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी
अर्थ:
ईश्वर ने अपनी दया से भक्त को अपना लिया है, यह उनकी अनुकंपा का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
गहन विश्लेषण:
यह पंक्ति ईश्वर की असीम करुणा को प्रकट करती है। भक्त स्वीकार करता है कि वह अपनी योग्यता के कारण नहीं, बल्कि ईश्वर की कृपा के कारण ही उनके निकट आया है। यह ईश्वर की उस अनुग्रह शक्ति को दर्शाता है जो बिना किसी शर्त के सभी को स्वीकार करती है। यह भावना भक्त और भगवान के बीच के अद्वैत संबंध को भी इंगित करती है, जहां ईश्वर की मेहरबानी ही भक्त को उनसे जोड़ती है।
हम तो इस काबिल ही ना थे, ये कदरदानी आपकी
अर्थ:
भक्त स्वयं को अयोग्य मानता है और ईश्वर की उदारता के लिए आभार प्रकट करता है।
गहन विश्लेषण:
यहां भक्त अपनी सीमाओं और त्रुटियों को स्वीकार कर रहा है। यह विनम्रता का चरम रूप है, जहां वह मानता है कि उसकी अपनी योग्यता ईश्वर के प्रेम को पाने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह ईश्वर की “कदरदानी” है जो उसे अपनाती है। यह पंक्ति हमें यह समझाती है कि ईश्वर का प्रेम किसी भौतिक या आध्यात्मिक योग्यता पर निर्भर नहीं करता, बल्कि उनकी अपनी दयालुता पर निर्भर करता है।
दूसरा चरण: सांसारिक भटकाव और आत्मबोध
मैं तो तुम से हर तरह, होकर अलग भागा रहा
अर्थ:
भक्त स्वीकार करता है कि उसने हर संभव प्रयास करके ईश्वर से दूर रहने की कोशिश की।
गहन विश्लेषण:
यह पंक्ति मानव मन की विचलित प्रकृति को दर्शाती है। सांसारिक आकर्षण और मोह मनुष्य को ईश्वर से दूर ले जाते हैं। “भागा रहा” शब्द मानसिक और आध्यात्मिक दूरी को दर्शाता है। भक्त अपने अज्ञान और अहंकार के कारण ईश्वर से अलग रहा, जो कि मानव स्वभाव का एक आम पहलू है।
इस जहाँ के दौर में, अटका रहा भटका रहा
अर्थ:
दुनिया के चक्र में उलझकर भक्त भटकता रहा।
गहन विश्लेषण:
“इस जहाँ के दौर” से तात्पर्य संसार के मोह, माया और अस्थायी सुखों से है। यह पंक्ति मानव जीवन के संघर्षों और भ्रमों को उजागर करती है। “अटका रहा भटका रहा” मन की अस्थिरता और जीवन के उद्देश्य की खोज में भटकाव को दर्शाता है। यह आत्मज्ञान की अनुपस्थिति और आध्यात्मिक पथ से विचलन का प्रतीक है।
लगा लिया मुझको गले से, ये रवानी आपकी
अर्थ:
ईश्वर ने अपनी दया से भक्त को गले लगा लिया।
गहन विश्लेषण:
“रवानी” शब्द प्रवाह और गति को दर्शाता है। ईश्वर की कृपा एक निरंतर प्रवाह की तरह है जो भक्त को अपने में समाहित कर लेती है। यह पंक्ति ईश्वर की असीम करुणा और प्रेम को प्रकट करती है, जो सभी बाधाओं को पार करके भक्त को अपनी शरण में लेता है। यह आत्मसमर्पण और ईश्वर की स्वीकृति का प्रतीक है।
तीसरा चरण: ईश्वर और भक्त के बीच की दूरी का एहसास
कहाँ है तू और कहाँ हूँ मैं, ये मिलना भी क्या हो सकता था
अर्थ:
भक्त आश्चर्यचकित है कि वह और ईश्वर कैसे मिल सकते थे, क्योंकि दोनों के बीच बहुत अंतर है।
गहन विश्लेषण:
यहां भक्त ईश्वर की महानता और अपनी तुच्छता के बीच के अंतर को महसूस करता है। यह पंक्ति भक्त के मन में उठने वाले संदेह और आश्चर्य को दर्शाती है। “ये मिलना भी क्या हो सकता था” में वह ईश्वर की कृपा के प्रति आश्चर्य प्रकट करता है कि कैसे इतना बड़ा मिलन संभव हुआ। यह दर्शाता है कि ईश्वर की कृपा सीमाओं से परे है और वह किसी भी बाधा को पार कर सकती है।
कर कर गुनाह इस तमाशगाहे आलम में
अर्थ:
दुनिया के इस रंगमंच में पाप करने के बाद भी, ईश्वर ने उसे अपनाया।
गहन विश्लेषण:
“तमाशगाहे आलम” से तात्पर्य संसार के उस मंच से है जहां हर कोई अपना-अपना अभिनय कर रहा है। भक्त स्वीकार करता है कि उसने इस संसार में पाप और गलतियाँ की हैं। यह पंक्ति आत्मस्वीकारोक्ति और पश्चाताप का प्रतीक है। यह हमें यह समझाती है कि ईश्वर के सामने अपने पापों को स्वीकार करना आध्यात्मिक विकास का एक महत्वपूर्ण चरण है।
मैं भटका रहा, बे-सबब हो गई ये रेहमतानी आपकी
अर्थ:
मेरे भटकने के बावजूद, आपकी बिना किसी कारण की रहमत मुझ पर हो गई।
गहन विश्लेषण:
“बे-सबब” का अर्थ बिना किसी कारण के है। भक्त आश्चर्यचकित है कि बिना किसी योग्यता या कारण के ईश्वर ने उस पर कृपा की है। यह दर्शाता है कि ईश्वर की दया किसी शर्त पर आधारित नहीं है। यह पंक्ति ईश्वर की अनंत करुणा और प्रेम का प्रमाण है, जो सभी प्राणियों पर समान रूप से बरसता है।
चौथा चरण: आत्मसमर्पण और एकता का एहसास
अब तो प्यारे आपके कदमों पे सर को मैंने रख दिया
अर्थ:
भक्त ने पूर्ण आत्मसमर्पण करते हुए अपना सिर ईश्वर के चरणों में रख दिया है।
गहन विश्लेषण:
यह आत्मसमर्पण का चरम बिंदु है। “सर को मैंने रख दिया” अहंकार के पूर्ण त्याग का प्रतीक है। भक्त ने अपने सारे भ्रम, इच्छाओं और अहंकार को छोड़कर स्वयं को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर दिया है। यह पंक्ति भक्ति मार्ग में समर्पण के महत्व को दर्शाती है।
हम इनायत हम नवाजिश, इस करम का शुक्रिया
अर्थ:
आपकी कृपा और उपकार के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूँ।
गहन विश्लेषण:
“इनायत” और “नवाजिश” दोनों ही ईश्वर की कृपा और उपकार को दर्शाते हैं। भक्त ईश्वर के द्वारा प्राप्त सभी आशीर्वादों के लिए धन्यवाद देता है। यह पंक्ति आभार की गहरी भावना को प्रकट करती है, जो भक्त के हृदय में ईश्वर के प्रति प्रेम और सम्मान को और गहरा करती है।
तुम हमारे हम तुम्हारे, ये जिंदगानी आपकी
अर्थ:
अब हम एक हो गए हैं; मेरा जीवन आपका है।
गहन विश्लेषण:
यह पंक्ति अद्वैत सिद्धांत को प्रकट करती है, जहां भक्त और भगवान के बीच कोई भेद नहीं रहता। “तुम हमारे हम तुम्हारे” में एकता और अभिन्नता का भाव है। यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है, जहां भक्त का अस्तित्व ईश्वर में विलीन हो जाता है। यह आध्यात्मिक यात्रा का चरम लक्ष्य है।
पांचवां चरण: जीवन में ईश्वर के आगमन का प्रभाव
बरसो से उजड़ा पड़ा था, मेरे दिल का ये चमन
अर्थ:
मेरे हृदय का बगीचा वर्षों से सूखा और उजड़ा हुआ था।
गहन विश्लेषण:
यहां “दिल का चमन” हृदय की उस आंतरिक अवस्था को दर्शाता है जो प्रेम और आनंद से खाली थी। “उजड़ा पड़ा था” से तात्पर्य जीवन में अर्थहीनता और उदासी से है। यह पंक्ति दर्शाती है कि ईश्वर के बिना जीवन बंजर और सूना होता है।
उजड़ी बगिया खिल उठी, जब हो गया तेरा आगमन
अर्थ:
ईश्वर के आने से हृदय का सूखा बगीचा फिर से खिल उठा।
गहन विश्लेषण:
ईश्वर की उपस्थिति जीवन में नई ऊर्जा और आनंद का संचार करती है। “खिल उठी” जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और आध्यात्मिक जागृति को दर्शाता है। यह पंक्ति बताती है कि ईश्वर के आगमन से जीवन में नयी उमंग, प्रेरणा और आनंद का संचार होता है।
आपने जो गुल खिलाया, मेहरबानी आपकी
अर्थ:
आपने जो फूल खिलाए हैं, वह आपकी दया का परिणाम है।
गहन विश्लेषण:
“गुल खिलाया” से तात्पर्य जीवन में सकारात्मक बदलाव और खुशियों से है। भक्त महसूस करता है कि उसके जीवन में जो भी अच्छे परिवर्तन आए हैं, वे ईश्वर की कृपा से ही संभव हुए हैं। यह पंक्ति ईश्वर के आशीर्वाद के प्रति कृतज्ञता को दर्शाती है।
समापन: ईश्वर की असीम कृपा का उत्सव
आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी
अर्थ:
ईश्वर की दया से भक्त को उनका सान्निध्य प्राप्त हुआ है।
गहन विश्लेषण:
भजन की पुनरावृत्ति से भक्त अपनी भावनाओं को और गहनता से व्यक्त करता है। यह पंक्ति ईश्वर की असीम कृपा और प्रेम का उत्सव मनाती है। यह स्वीकारोक्ति है कि जीवन में जो भी सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं, वे ईश्वर की दया के कारण हैं।
भजन का संपूर्ण सार
यह भजन मानव आत्मा की आध्यात्मिक यात्रा का वर्णन है। यह भटकाव, पश्चाताप, आत्मसमर्पण और अंततः ईश्वर के साथ एकता की कहानी है। भजन हमें यह सीख देता है कि चाहे हम कितने भी भटक जाएं, ईश्वर की कृपा हमें हमेशा अपनी ओर खींच लेती है। यह हमें विनम्रता, कृतज्ञता और आत्मसमर्पण का महत्व समझाता है।
आध्यात्मिक संदेश
- विनम्रता और आत्मस्वीकारोक्ति: अपने पापों और कमजोरियों को स्वीकार करना आध्यात्मिक विकास का पहला चरण है।
- ईश्वर की असीम कृपा: ईश्वर की दया और प्रेम बिना शर्त के सभी पर बरसता है।
- आत्मसमर्पण का महत्व: अहंकार का त्याग और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण ही मोक्ष का मार्ग है।
- भक्ति और प्रेम: ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
- आत्मा और परमात्मा का मिलन: अंततः आत्मा का परमात्मा में विलय ही आध्यात्मिक यात्रा का चरम लक्ष्य है।
निष्कर्ष
यह भजन हमें आत्मचिंतन करने, अपने भीतर झांकने और ईश्वर की असीम कृपा को समझने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें सिखाता है कि भले ही हम संसार में कितने भी भटक जाएं, ईश्वर हमें कभी नहीं त्यागते। उनकी दया और प्रेम हमें हमेशा अपनी ओर बुलाते हैं, और जब हम विनम्रता से उनके चरणों में समर्पित होते हैं, तो वे हमें अपनाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।