- – यह गीत कृष्ण के प्रति प्रेम और उनके द्वारा दिल टूटने की व्यथा को दर्शाता है।
- – गीत में कृष्ण को मोहन और कन्हाई के नाम से पुकारा गया है, जो उनकी मधुर बंसी बजाने की कला को दर्शाता है।
- – गायक ने कृष्ण से उनके प्रेम के कारण और दिल तोड़ने के कारण पूछने की कोशिश की है।
- – गीत में प्रेमी की भावनाओं, धोखे और जुदाई की पीड़ा को खूबसूरती से व्यक्त किया गया है।
- – यह भजन प्रेम और विरह की भावनाओं को कृष्ण भक्ति के माध्यम से प्रस्तुत करता है।

बंसी बजाने वाले,
पहले क्यों प्रीत लगाई,
बोलो ना कृष्ण कन्हाई,
जरा बोलो ना कृष्ण कन्हाई।।
तर्ज – दुनिया बनाने वाले।
दिलबर हमारा तुमसे,
नाता पुराना,
नाता पुराना लेकिन,
तुमने ना जाना,
अच्छा नहीं है मोहन,
आँखे चुराना,
आँखे चुराना और,
हमको सताना,
छोड़ो बहाने मोहन,
दीनो की तुमको दुहाई,
बोलो ना कृष्ण कन्हाई,
जरा बोलो ना कृष्ण कन्हाई।।
कैसे निकलोगे मोहन,
दीनो के दिल से,
दिल में बिठाया तुम्हे,
बड़ी मुश्किल से,
माना तुम्हे अब,
फुर्सत नहीं है,
लेकिन इस दिल में,
अब उल्फत नहीं है,
मालुम नहीं था मुझको,
निकलोगे तुम हरजाई,
बोलो ना कृष्ण कन्हाई,
जरा बोलो ना कृष्ण कन्हाई।।
कितना था सुन्दर मोहन,
धोखा तुम्हारा,
बंसी बजा के लुटा,
दिल ये हमारा,
घायल बनाया तूने,
बांकी अदा से,
दीवाना ‘बनवारी’,
तेरा सदा से,
तुम ही बताओ मोहन,
कैसे सहेंगे जुदाई,
Bhajan Diary Lyrics,
बोलो ना कृष्ण कन्हाई,
जरा बोलो ना कृष्ण कन्हाई।।
बंसी बजाने वाले,
पहले क्यों प्रीत लगाई,
बोलो ना कृष्ण कन्हाई,
जरा बोलो ना कृष्ण कन्हाई।।
Singer – Vinod Sharma
