मुख्य बिंदु
- – यह भजन देवी माँ की दया और कृपा की स्तुति करता है, जो सभी प्राणियों में दया के रूप में विराजमान हैं।
- – माँ दुर्गा से प्रार्थना की गई है कि वे सभी कष्टों को दूर कर, मन को उज्जवल और मंगलमय करें।
- – भक्त माँ से अपने अज्ञान और अंधकार को मिटाने तथा उनके दर्शन की कृपा देने की विनती करता है।
- – यह भजन आत्म-ज्ञान की खोज और माँ की माया में शरण लेने की भावना को दर्शाता है।
- – भक्त अपनी नादानी और अवगुणों को स्वीकार करते हुए माँ से सुमिरन और भक्ति का वरदान मांगता है।
- – अंत में, माँ की कृपा से सभी दोषों का नाश और पूर्ण शरणागत होने की इच्छा व्यक्त की गई है।

भजन के बोल
या देवी सर्वभूतेषु,
दया-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै,
नमस्तस्यै नमो नमः ॥
दुर्गा दुर्गति दूर कर,
मंगल कर सब काज ।
मन मंदिर उज्वल करो,
कृपा करके आज ॥
ऐसा प्यार बहा दे मैया,
चरणों से लग जाऊ मैं ।
सब अंधकार मिटा दे मैया,
दरस तेरा कर पाऊं मैं ॥
जग मैं आकर जग को मैया,
अब तक न मैं पहचान सका ।
क्यों आया हूँ कहाँ है जाना,
यह भी ना मै जान सका ।
तू है अगम अगोचर मैया,
कहो कैसे लख पाऊं मैं ॥
ऐसा प्यार बहा दे मैया..॥
कर कृपा जगदम्बे भवानी,
मैं बालक नादान हूँ ।
नहीं आराधन जप तप जानूं,
मैं अवगुण की खान हूँ ।
दे ऐसा वरदान हे मैया,
सुमिरन तेरा गाऊ मैं ॥
ऐसा प्यार बहा दे मैया..॥
मै बालक तू माया मेरी,
निष् दिन तेरी ओट है ।
तेरी कृपा से ही मिटेगी,
भीतर जो भी खोट है ।
शरण लगा लो मुझ को मईया,
तुझपे बलि बलि जाऊ मैं ॥
ऐसा प्यार बहा दे मैया,
चरणों से लग जाऊ मैं ।
सब अंधकार मिटा दे मैया,
दरस तेरा कर पाऊं मैं ॥
