मुख्य बिंदु
- – यह गीत बाँस की बाँसुरी की सुंदरता और उसमें छिपे आकर्षण की प्रशंसा करता है।
- – विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों का उल्लेख है, जैसे जेल में जन्म लेने वाले, महलों में रहने वाले, ब्राह्मण, बाणिया, और ग्वालों के बच्चे।
- – गीत में कृष्ण भगवान के बचपन के संदर्भ, जैसे देवकी और यशोदा के पुत्र के रूप में उनकी महत्ता को भी दर्शाया गया है।
- – माखन, मिश्री और छप्पन भोग जैसे प्रसादों का उल्लेख कर कृष्ण की लीलाओं और भक्ति भाव को उजागर किया गया है।
- – यह गीत विविधता में एकता और साधारण से लेकर उच्च वर्ग तक के लोगों में बाँसुरी की समान आकर्षण को दर्शाता है।

भजन के बोल
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥
जैल में जनम लेके घणो इतरावे,
कोई महला में जो होतो,
कोई अंगना में जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥
देवकी रे जनम लेके घणो इतरावे,
कोई यशोदा के होतो,
माँ यशोदा के जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥
गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे,
कोई गुरुकुल में जो होतो
कोई विद्यालय जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥
गूज़रया की छोरियां पे घणो इतरावे,
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥
साँवली सुरतिया पे घणो इतरावे,
कोई गोरो सो जो होतो,
कोई सोणो सो जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥
माखन मिश्री पे कान्हा घणो इतरावे,
छप्पन भोग जो होतो,
मावा मिश्री जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे ॥
