मुख्य बिंदु
- – यह गीत जीवन की कठिनाइयों और अनिश्चितताओं के बीच ईश्वर से सहायता और मार्गदर्शन की प्रार्थना करता है।
- – “नैया” जीवन का प्रतीक है, जो बिना “माझी” (कप्तान) और “पतवार” (मार्गदर्शक) के डगमगाती है, इसलिए ईश्वर से इसे पार लगाने की विनती की गई है।
- – गीत में दुनिया को रंगमंच बताया गया है, जहाँ ईश्वर निर्देशक और विशेषज्ञ हैं, जो सब कुछ बनाते और मिटाते हैं।
- – कवि ईश्वर को अपना सच्चा साथी मानता है और उनसे जीवन की विपत्तियों से रक्षा की कामना करता है।
- – अंत में, ईश्वर के तीन बाणों की शक्ति का उल्लेख है, जो विपदाओं को दूर करने में सक्षम हैं।
- – समग्र रूप से यह गीत विश्वास, समर्पण और ईश्वर की कृपा पर निर्भरता का संदेश देता है।
भजन के बोल
बाबा ये नैया कैसे,
डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको,
तू ही पार लगाए,
॥ बाबा ये नैया कैसे..॥
दूर दूर नहीं दिखे किनारा,
लहरे भी बिसराए,
बादल भी है गरज रहे और,
मुझको रहे डराए,
जबकि मैं ये सोच रहा तू,
अब आए तब आए,
बाबा ये नईया कैसे,
डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको,
तू ही पार लगाए,
॥ बाबा ये नैया कैसे..॥
दुनिया है इक रंग मंच और,
तू इसका निर्देशक,
तू ही बनाए तू ही मिटाए,
तू ही इसका विशेषज्ञ,
फिर क्यों ये तेरे हाथ के पुतले,
मुझको आँख दिखाए,
बाबा ये नईया कैसे,
डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको,
तू ही पार लगाए,
॥ बाबा ये नैया कैसे..॥
तुझको ही मैं समझूँ अपना,
बाकी सब है पराए,
तेरे हाथों सबकुछ सम्भव,
तू ही लाज बचाए,
कर दे एक इशारा नैया,
पार मेरी हो जाए,
बाबा ये नईया कैसे,
डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको,
तू ही पार लगाए,
॥ बाबा ये नैया कैसे..॥
तीन बाण तरकश में तेरे,
चले तो ना रुक पाए,
भेदे तू पत्तो की तरह फिर,
कोई भी ना बच पाए,
भेदो तुम ‘निर्मल’ की विपदा,
पास मेरे ना आए,
बाबा ये नईया कैसे,
डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको,
तू ही पार लगाए,
॥ बाबा ये नैया कैसे..॥
बाबा ये नैया कैसे,
डगमग डोली जाए,
बिन माझी पतवार के इसको,
तू ही पार लगाए,
॥ बाबा ये नैया कैसे..॥