मुख्य बिंदु
- – यह भक्ति गीत भगवान शिव (भोलेनाथ) की स्तुति में लिखा गया है, जिसमें भक्त अपनी समस्याओं और जीवन की नैया को पार लगाने की प्रार्थना करता है।
- – गीत में भक्त अपने सारे सांसारिक संबंध और विश्वास छोड़कर केवल भगवान शिव की भक्ति और दर्शन की प्यास लेकर आता है।
- – भगवान शिव को संसार की माया से परे, सबके अंतर्यामी और दुखों को दूर करने वाला बताया गया है।
- – महाकाल के चरणों में झुकने और उनके आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयों को दूर करने की आशा व्यक्त की गई है।
- – गीत में शिव के शंख और डमरू की मधुर धुन से सही मार्ग दिखाने और भक्त के अवगुणों को भूल जाने की विनती की गई है।
- – अंत में, भोलेनाथ से जीवन की नैया को सुरक्षित पार लगाने और बिगड़ी हुई जिंदगी को सुधारने की प्रार्थना की गई है।

भजन के बोल
भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना ॥
श्लोक
–
भोले में तेरे दर पे,
कुछ आस लिए आया हूँ ,
तेरे दर्शन की मन में,
एक प्यास लिए आया हूँ ,
अब छोड़ दिया जग सारा,
सब तोड़ दिए रिश्ते,
विश्वास है भक्ति का,
मन में विश्वास लिए आया हूँ ॥
भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना
है आपके हाथो में मेरी बिगड़ी बना देना ॥
तुम शंख बजा करके दुनिया को जगाते हो
डमरू की मधुर धुन से सद्मार्ग दिखाते हो
में मूरख सब मेरे अवगुण को भुला देना
भोले मेरी नैय्या को भाव पार लगा देना ॥
श्लोक-
दुनिया जिसे कहते है माया है तुम्हारी,
कण कण में यहाँ शम्भू छाया है तुम्हारी,
मेरा तो कुछ भी नहीं है ना स्वास है न धड़कन,
ये प्राण है तुम्हारा काया है तुम्हारी ॥
हर और अँधेरा है तूफ़ान ने घेरा है
कोई राह नहीं दिखती एक तुझपे भरोसा है
एक आस लगी तुझसे मेरी लाज बचा लेना
भोले मेरी नैय्या को भाव पार लगा देना ॥
हे जगदम्बा के स्वामी देवादिदेव नमामि
सबके मन की तुम जानो शिव शंकर अंतर्यामी
दुःख आप मेरे मन का महादेव मिटा देना
भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना ॥
श्लोक-
हे महाकाल तुम्हारे दर पे लोग,
खाली हाथ आते है,
और झोली भर कर जाते है,
कोई बात तो है महाकाल,
तुम्हारे दर्शन में,
तभी तो लाखो लोग,
तुमको शीश झुकाते है ॥
महादेव जटा में तुमने गंगा को छुपाया है
माथे पर चन्द्र सजाया विषधर लिपटाया है
मुझे नाथ गले अपने महाकाल लगा लेना
भोले मेरी नैय्या को भाव पार लगा देना ॥
भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना
है आपके हाथो में मेरी बिगड़ी बना देना ॥
