मुख्य बिंदु
- – यह गीत माँ जगदंबा के प्रति भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करता है, जो कष्ट मिटाने वाली और भाग्य सुधारने वाली हैं।
- – माँ जगदंबा सभी को समान रूप से स्वीकार करती हैं, चाहे वह रंक हो या राजा, बड़ा हो या छोटा।
- – गीत में अकबर और उसकी सेना का उल्लेख है, जिन्होंने माँ की पवित्र ज्योति को बुझाने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे।
- – माँ की शरण में आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते, और उनकी श्रद्धा से माँ प्रसन्न होती हैं।
- – माँ जगदंबा की महिमा और उनकी पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि और भाग्य खुलता है।
- – जगराता के माध्यम से माँ शेरावाली और अम्बे रानी की आराधना की जाती है, जो भक्तों के लिए विशेष अवसर है।

भजन के बोल
बिगड़ी बनाने वाली,
कष्ट मिटाने वाली,
दुनिया में जगदंबे माँ,
अपना बनाने वाली,
भाग्य जगाने वाली,
बस एक जगदंबे माँ,
शेरावाली का आज जगराता है,
अम्बे रानी का आज जगराता है ॥
दूर क्यों रहता है,
माँ की शरण आजा,
माँ के दर पर हैं बराबर,
रंक हो या राजा,
बड़ा हो या छोटा,
खरा हो या खोटा,
मैया के दर से वो,
नहीं खाली लौटा,
जो भी श्रद्धा से,
शीश झुकाता है,
आज जगराता है,
शेरावाली का आज जगराता है,
अम्बे रानी का आज जगराता है ॥
मुगल सेना लेकर,
राजा अकबर आया,
माँ की पावन ज्योति,
वो बुझा ना पाया,
मान टूटा अकबर का,
सवाली बन गया दर का,
चूमकर चौखट सेवक,
बना मेरी मां के घर का,
छत्र सोने का,
अकबर चढ़ाता है,
आज जगराता है,
शेरावाली का आज जगराता है,
अम्बे रानी का आज जगराता है ॥
ऐ ‘अंजुम’ दुनिया में,
माँ की क्या शान है,
हो निर्धन या धनवाला,
मिले सब को मान है,
जिसने भी मां को मनाया,
मुंह मांगा उसने पाया,
मैंने किस्मत का ताला,
मां के दर पे खुलवाया,
तभी तो ये ‘लक्खा’,
मां के गुण गाता है,
आज जगराता है,
शेरावाली का आज जगराता है,
अम्बे रानी का आज जगराता है ॥
बिगड़ी बनाने वाली,
कष्ट मिटाने वाली,
दुनिया में जगदंबे माँ,
अपना बनाने वाली,
भाग्य जगाने वाली,
बस एक जगदंबे माँ,
शेरावाली का आज जगराता है,
अम्बे रानी का आज जगराता है ॥
