- – यह गीत भगवान शिव और गंगा माता के प्रति भक्ति और आह्वान व्यक्त करता है, जिसमें शिव से गंगा को धरती पर लाने की प्रार्थना की गई है।
- – गंगा माता को ब्रह्मा की बेटी और सुरसरि कहा गया है, जो पापों को मिटाने और मुक्ति दिलाने वाली हैं।
- – शिव की जटाओं में गंगा के समाये होने का वर्णन है, जो धरती पर आने से दुखों का नाश करते हैं।
- – गीत में गंगा के आगमन से धरती की प्यास बुझाने और लोगों को दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करने की कामना की गई है।
- – डमरू वाले शिव से डमरू बजाने का आग्रह है ताकि गंगा माता धरती पर आ सकें और सभी दुख दूर हो सकें।
डमरू वाले डमरू बजा,
गंगा माँ को धरा पे तू ले आ,
सब दुखड़े तू मिटा,
डमरू वाले डमरू बजा।।
तर्ज – ढफली वाले
धरा पे निकली जब गंगा माई,
उसको जटा में समाये,
हे शिव जो गंगा मुक्त करो ना,
कैसे ये जग मुक्ति पाए,
ये पाप मिटाये,
ये मुक्ति दिलाये,
सुनो जी शिव भोले भाले,
डमरू वालें डमरू बजा,
गंगा माँ को धरा पे तू ले आ,
सब दुखड़े तू मिटा।।
ब्रम्हा की बेटी बनके माँ निकली,
माँ सुरसरि भी कहाये,
प्रचंड वेग को गंगा के शिव जी,
अपनी जटा में समाये,
जो गंगा माँ आये,
ये भाग जगाये,
ये देखेंगे दुनिया वाले,
डमरू वालें डमरू बजा,
गंगा माँ को धरा पे तू ले आ,
सब दुखड़े तू मिटा।।
जो गंगा मैया धरती पे आये,
दर्शन है हम उनके पाए,
दर्शन के प्यासे कबसे है नैना,
शिव तुमको कैसे बताये,
ये धरती है प्यासी,
रहे ना उदासी,
सुनो मेरे शिव मतवाले,
डमरू वालें डमरू बजा,
गंगा माँ को धरा पे तू ले आ,
सब दुखड़े तू मिटा।।
डमरू वाले डमरू बजा,
गंगा माँ को धरा पे तू ले आ,
सब दुखड़े तू मिटा,
डमरू वाले डमरू बजा।।
https://youtu.be/gXzEZVoDSds
