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गजाननं भूत गणादि – गणेश मंत्र in Hindi/Sanskrit

गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

Gajananam Bhoota Ganadhi

Gajananam Bhoota Ganadi Sevitam,
Kapitha Jambu Phala Charu Bhakshanam.
Umasutam Shoka Vinashakarakam,
Namami Vighneshwara Pada Pankajam.

गजाननं भूत गणादि – गणेश मंत्र PDF Download

गजाननं भूत गणादि – गणेश मंत्र का अर्थ

गजाननं भूत गणादि सेवितं

चौपाई का विश्लेषण

गजाननं का अर्थ है “गणों के मुखिया, गणेश”। गणेश को गजानन इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका मुख हाथी के समान है। ‘गजा’ का अर्थ हाथी और ‘आनन’ का अर्थ मुख है। इस चौपाई में गणेशजी को “भूत गणादि सेवितं” कहा गया है, जिसका अर्थ है कि भगवान गणेश की सेवा सभी गण, भूत, प्रेत और अन्य सभी दैवीय शक्तियां करती हैं।

विस्तार से समझें:

यह चौपाई भगवान गणेश के उस दिव्य स्वरूप की बात करती है जहाँ उनका मुख हाथी के समान है और वे अपने अद्वितीय स्वरूप के लिए प्रसिद्ध हैं। भगवान गणेश का स्थान हिन्दू धर्म में सर्वोपरि है, वे सभी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाते हैं। ‘भूत गणादि सेवितं’ का तात्पर्य यह भी है कि उनकी पूजा भूत-प्रेत और विभिन्न गणों द्वारा भी की जाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भगवान गणेश सभी प्रकार के जीव-जंतुओं के संरक्षक हैं।

कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्

चौपाई का विश्लेषण

इस पंक्ति में भगवान गणेश की खाने की पसंद का उल्लेख किया गया है। ‘कपित्थ’ का अर्थ है कैथ का फल और ‘जम्बू’ का अर्थ है जामुन। ‘फल चारू भक्षणम्’ का मतलब है इन फलों का स्वादिष्ट रूप से भक्षण करना।

विस्तार से समझें:

यह चौपाई भगवान गणेश के भोले और सरल स्वभाव को दर्शाती है। गणेशजी को अपने भोजन में विशेष रूप से इन फलों का भक्षण करना प्रिय है। यह सिर्फ फलों के भक्षण का वर्णन नहीं है, बल्कि यह गणेशजी की सरलता, उनकी प्राकृतिक प्रियता, और उनके सहज व्यक्तित्व को भी उजागर करता है। गणेशजी को यह भोग लगाने से यह प्रतीकात्मक है कि भक्त उन्हें पृथ्वी की मिठास और उपज अर्पित करते हैं।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्

चौपाई का विश्लेषण

‘उमासुतं’ का अर्थ है पार्वती पुत्र। भगवान गणेश को यहां पार्वती के पुत्र के रूप में सम्बोधित किया गया है, जो दुखों का नाश करने वाले हैं।

विस्तार से समझें:

भगवान गणेश को ‘शोक विनाशकारकम्’ यानी सभी दुखों का नाश करने वाला कहा गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान गणेश अपने भक्तों के जीवन से सभी विघ्नों और कष्टों को दूर करते हैं। जब भी किसी नए कार्य की शुरुआत की जाती है, तो भगवान गणेश की पूजा इसलिए की जाती है ताकि वह कार्य बिना किसी विघ्न के सफलतापूर्वक सम्पन्न हो सके। इस चौपाई में माता पार्वती का उल्लेख यह दर्शाता है कि भगवान गणेश में उनकी माता के गुण भी विद्यमान हैं, विशेष रूप से दया और करुणा।

नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्

चौपाई का विश्लेषण

इस पंक्ति में भगवान गणेश के चरणों की वंदना की जा रही है। ‘विघ्नेश्वर’ का अर्थ है विघ्नों के स्वामी, यानी वे जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं। ‘पाद पंकजम्’ का अर्थ है उनके कमल समान चरण।

विस्तार से समझें:

यह पंक्ति भक्ति का सर्वोच्च रूप है, जिसमें भक्त अपने आराध्य भगवान गणेश के चरणों में श्रद्धा से झुकते हैं। भगवान गणेश को विघ्नेश्वर कहकर यह स्पष्ट किया जा रहा है कि वे जीवन की हर बाधा को दूर करने वाले देवता हैं। ‘पाद पंकजम्’ में कमल के चरणों का उल्लेख यह दर्शाता है कि उनके चरण कमल के समान पवित्र और सुंदर हैं। कमल का फूल हिन्दू धर्म में पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है, इसलिए भगवान गणेश के चरणों की तुलना कमल से की गई है।

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