हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र क्या होता है?
हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र भगवान हनुमान के बारह पवित्र नामों की महिमा का स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें हनुमान जी के बारह नामों का वर्णन किया गया है, जो उनकी महानता, शक्ति और गुणों का प्रतीक हैं। इस स्तोत्र का पाठ हनुमान जी के भक्त अपनी समस्याओं से मुक्ति, संकटों का नाश, और आत्मबल की प्राप्ति के लिए करते हैं। यह स्तोत्र शास्त्रों में वर्णित है और विशेष रूप से तंत्र, मंत्र और उपासना पद्धतियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इन बारह नामों को भगवान शिव ने स्वयं उच्चारित किया है और इनके पीछे गहन आध्यात्मिक अर्थ छिपे हैं। हर नाम हनुमान जी के किसी विशेष गुण, रूप, या शक्ति का प्रतीक है। यह नाम हैं: हनुमान, अंजनीसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुनसखा, पिंगाक्ष, अमितविक्रम, उदधिक्रमण, सीताशोकविनाशन, लक्ष्मणप्राणदाता, और दशग्रीवदर्पहा।
हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र का अर्थ
हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र में भगवान हनुमान के बारह नामों का वर्णन किया गया है, जिनके उच्चारण और स्मरण से सभी प्रकार के भय और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र न केवल उनकी महिमा का गान करता है, बल्कि उनके अद्वितीय गुणों और अद्भुत कार्यों का भी विवरण देता है। आइए इसे विस्तार से समझें:
पहला श्लोक
हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम:।।
- हनुमान: यह नाम उनकी अनुपम शक्ति और साहस का प्रतीक है। “हनु” का अर्थ है ठोड़ी, और “मान” का अर्थ है आदर। यह नाम उनके अद्भुत पराक्रम को दर्शाता है।
- अञ्जनीसूनु: माता अंजना के पुत्र होने के कारण उन्हें “अंजनीसूनु” कहा गया। यह नाम उनकी दिव्य उत्पत्ति और महानता को दर्शाता है।
- वायुपुत्र: पवन देव के पुत्र होने के कारण यह नाम उनकी अपरिमित शक्ति, गतिशीलता और सेवा भाव का प्रतीक है।
- महाबल: यह नाम उनके अतुलनीय बल और शक्ति को इंगित करता है। हनुमान जी ने अपनी महाशक्ति से असंभव कार्यों को संभव बनाया।
- रामेष्ट: भगवान श्रीराम के प्रति उनका अपार प्रेम और भक्ति को “रामेष्ट” नाम से अभिव्यक्त किया गया है। वे राम के सबसे प्रिय भक्त हैं।
- फाल्गुनसख: अर्जुन (फाल्गुन) के सखा के रूप में यह नाम महाभारत काल से जुड़ा है। इससे पता चलता है कि वे हर युग में धर्म की रक्षा में सहायक रहे।
- पिङ्गाक्ष: यह नाम उनकी आंखों की विशेषता को दर्शाता है। उनकी भूरी-लाल आंखें उनकी अद्भुत ऊर्जा और जागरूकता का प्रतीक हैं।
- अमितविक्रम: हनुमान जी की असीम वीरता और अदम्य साहस को यह नाम दर्शाता है। उनकी शक्ति और पराक्रम की कोई सीमा नहीं है।
दूसरा श्लोक
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
- उदधिक्रमण: यह नाम समुद्र को लांघने की उनकी अद्भुत क्षमता को याद करता है। यह उनकी अडिग निष्ठा और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
- सीताशोकविनाशन: माता सीता के दुख और कष्ट को हरने वाले के रूप में, हनुमान जी का यह नाम उनकी करुणा और सेवा भावना का परिचायक है।
- लक्ष्मणप्राणदाता: यह नाम लक्ष्मण को जीवनदान देने की उनकी महानता को दर्शाता है। संजीवनी बूटी लाकर उन्होंने राम और लक्ष्मण के प्रति अपनी अटूट भक्ति को प्रदर्शित किया।
- दशग्रीवस्य दर्पहा: दशानन (रावण) के अहंकार को नष्ट करने वाले के रूप में, यह नाम उनके न्याय और धर्म के प्रति समर्पण को दिखाता है। उन्होंने रावण के अत्याचार का अंत कर धर्म की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।
तीसरा श्लोक
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
यह श्लोक हनुमान जी के बारह नामों के महत्व और उनके जप से होने वाले लाभों को बताता है। इसमें कहा गया है कि इन नामों का जप सोते समय, जागने पर, यात्रा के दौरान, या किसी भी महत्वपूर्ण समय पर किया जाए तो व्यक्ति हर प्रकार के भय और बाधाओं से सुरक्षित रहता है। यह नाम मानसिक शांति, साहस, और आत्मबल प्रदान करते हैं।
चौथा श्लोक
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
इस श्लोक में यह बताया गया है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से इन बारह नामों का पाठ करता है, उसे किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता। वह युद्ध में विजयी होता है और कठिन परिस्थितियों (जैसे राजद्वार या अन्य संकटपूर्ण स्थितियों) में भी निडर और सुरक्षित रहता है। यह श्लोक हनुमान जी की कृपा और उनकी सुरक्षा का अनुभव कराता है।
हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र Video
Hanuman Dwadash Naam Stotram in English
Hanumān añjanī sūnur vāyuputro mahābalaḥ | Rāmeṣṭaḥ phālgunasakhaḥ piṅgākṣo’mitavikramaḥ || Udadhikramaṇaścaiva sītāśokavināśanaḥ | Lakṣmaṇaprāṇadātā ca daśagrīvasya darpahā || Evaṃ dvādaśa nāmāni kapīndrasya mahātmanaḥ | Svāpakāle prabodhe ca yātrākāle ca yaḥ paṭhet || Tasya sarvabhayaṃ nāsti raṇe ca vijayī bhavet | Rājadvāre gahvare ca bhayaṃ nāsti kadācana ||
Meaning
- Hanumān añjanī sūnuḥ – Hanuman, the son of Anjana
- Vāyuputraḥ – Son of the wind god (Vayu)
- Mahābalaḥ – Possessor of great strength
- Rāmeṣṭaḥ – Beloved of Rama
- Phālgunasakhaḥ – Friend of Arjuna
- Piṅgākṣaḥ – Tawny-eyed
- Amitavikramaḥ – Of immense valor
- Udadhikramaṇaḥ – Who crossed the ocean
- Sītāśokavināśanaḥ – Who dispelled Sita’s sorrow
- Lakṣmaṇaprāṇadātā – Giver of life to Lakshmana
- Daśagrīvasya darpahā – Destroyer of the arrogance of the ten-headed (Ravana)
Verses
- Evaṃ dvādaśa nāmāni kapīndrasya mahātmanaḥ – Thus, these are the twelve names of the great lord of monkeys.
- Svāpakāle prabodhe ca yātrākāle ca yaḥ paṭhet – One who recites these names at the time of sleep, awakening, or during a journey,
- Tasya sarvabhayaṃ nāsti raṇe ca vijayī bhavet – For him, there is no fear, and he will be victorious in battle.
- Rājadvāre gahvare ca bhayaṃ nāsti kadācana – He will have no fear at the royal court or in secluded places.
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हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र विवरण (Meaning)
हनुमान द्वादश नाम स्तोत्रम एक बहुत ही प्रसिद्ध और पूज्यनीय मंत्र है जो भगवान हनुमान के बारह नामों का गुणगान करता है। यह मंत्र व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के भय और बाधाओं से मुक्ति दिलाने के लिए जाना जाता है।
हनुमान जी के बारह नाम
- हनुमान – जो अनन्त बल के धनी हैं।
- अञ्जनीसूनु – अञ्जनी के पुत्र।
- वायुपुत्र – वायु देवता के पुत्र।
- महाबल – महान बलवान।
- रामेष्ट – श्रीराम के प्रिय।
- फाल्गुनसख – अर्जुन के मित्र।
- पिङ्गाक्ष – पीली आँखों वाले।
- अमितविक्रम – अपार वीरता के धनी।
- उदधिक्रमण – समुद्र को पार करने वाले।
- सीताशोकविनाशन – सीता के शोक को नष्ट करने वाले।
- लक्ष्मणप्राणदाता – लक्ष्मण को जीवन दान देने वाले।
- दशग्रीवस्य दर्पहा – रावण के अहंकार को नष्ट करने वाले।
स्तोत्र के लाभ
- स्वापकाले – सोते समय इसे पढ़ने से व्यक्ति को नींद में डर नहीं लगता।
- प्रबोधे – जागने पर इसे पढ़ने से दिन की शुरुआत शुभ होती है।
- यात्राकाले – यात्रा के समय इसे पढ़ने से यात्रा सुरक्षित रहती है।
- रणे विजयी – युद्ध में विजय प्राप्त होती है।
- राजद्वारे – राजद्वार या न्यायालय में विजय प्राप्त होती है।
- गह्वरे – अंधेरे या भयावह स्थानों में भी भय नहीं होता।
हनुमान द्वादश नाम स्तोत्रम का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।