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समस्त देव वंदना तथा श्लोक – Samast Dev Vandana Tatha Shlok – Hinduism FAQ

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  • – यह लेख विभिन्न हिन्दू देवताओं और गुरुजनों की वंदनाओं का संग्रह है, जिसमें श्री गणेश, गौरी-शंकर, रामानुजाचार्य, लक्ष्मी नरसिंह, राधे कृष्ण, लक्ष्मी नारायण, राम दरबार, माँ शेरावाली, गुरूदेव, माता सरस्वती और श्री हनुमान की स्तुतियाँ शामिल हैं।
  • – प्रत्येक वंदना में देवताओं के विभिन्न रूपों, उनके गुणों और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की गई है।
  • – वंदनाओं में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, माता सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी, और हनुमान जी को बल और भक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा गया है।
  • – गुरूदेव वंदना में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के समान माना गया है, जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं।
  • – यह वंदनाएँ भक्ति और आध्यात्मिकता को प्रोत्साहित करती हैं तथा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाने का माध्यम हैं।

1. श्री गणेश वंदना
गजाननं भूतगणादिसेवितं,
कपित्थ जम्बू फलचारु भक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाश कारकम्,
नमामि विघ्नेश्वरपादपकंजम्।।



2. गौरी-शंकर वंदना

कर्पूरगौरं करुणावतारम्,
संसार सारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे,
भवं भवानीसहितं नमामि।।



3. श्री रामानुजाचार्य वंदना

लक्ष्मीनाथसमारमभां नाथयामुन मध्यमाम्।
अस्मदाचार्यपार्यन्तां वंदे गुरुपरम्पराम्।।



4. लक्ष्मी नरसिंह वंदना

श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणे,
भोगीन्द्रभोगमणिरञ्जितपुण्यमूर्ते।
योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोत,
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।।



5. श्री राधे कृष्ण वंदना

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्।।



6. श्री लक्ष्मी नारायण वंदना

शान्ताकारं भुजगशयनं,
पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं,
मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनं,
योगिभिध्यार्नगम्यम्,
वंदे विष्णुम् भवभयहरं,
सर्वलोकैकनाथम्।।



7. श्री राम दरबार वंदना

नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गम्,
सीतासमारोपितवामभागम्।
पाणौ महासायकचारुचापं,
नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।



8. माँ शेरावाली वंदना

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये,
शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि,
नारायणि नमोऽस्तुते।।



9. गुरूदेव वंदना

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु,
गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म,
तस्मै श्रीगुरवे नमः।।



10. माता सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला,
या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा,
या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः,
सदा पूजिता,
सा मां पातु सरस्वति भगवती,
निःशेषजाड्यापहा।।

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11. श्री हनुमान वंदना

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,
रघुपतिप्रियभक्तं वातात्मजं नमामि।।


 

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