इंदिरा एकादशी कथा in Hindi/Sanskrit
एकादशी व्रत को भगवान विष्णु से जोड़ कर देखा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में महिष्मती नगर में इंद्रसेन नामक एक राजा थे। एक बार, उन्हें एक सपना आया जिसमें उनके माता-पिता अपनी मृत्यु के बाद कष्ट भोग रहे थे। जब राजा की नींद खुली, तो वे अपने पूर्वजों की दयनीय स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हुए।
उन्होंने इस मामले पर चर्चा करने के लिए विद्वानों, ब्राह्मणों और मंत्रियों को बुलाया। विद्वानों ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें अपनी पत्नी के साथ इंदिरा एकादशी व्रत का पालन करना चाहिए, जिसके पुण्य से उनके पूर्वजों को मुक्ति मिल सकती है। तब राजा ने भगवान शालिग्राम की पूजा की, अपने पितरों का वंदन किया और गरीबों और जरूरतमंदों को दान दिया। उसके बाद, भगवान उनके सामने प्रकट हुए और कहा, “हे राजन, आपके व्रत के प्रभाव से आपके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई है।
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Indira Ekadashi Vrat Katha in English
The Ekadashi fast is traditionally associated with Lord Vishnu. According to a legend, in the Satya Yuga, there was a king named Indrasen who ruled over the city of Mahishmati. One night, he had a dream in which he saw his parents suffering after their death. Upon waking, the king was deeply troubled by the pitiable state of his ancestors.
To seek guidance, he called upon scholars, Brahmins, and ministers to discuss this matter. The wise men advised him that he should observe the Indira Ekadashi fast along with his wife, as the merits of this fast could free his ancestors from their suffering. The king then worshiped Lord Shaligram, paid respects to his ancestors, and donated generously to the poor and needy.
Afterward, Lord Vishnu appeared before him and said, “O King, because of the power of your fast, your ancestors have attained liberation.”
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इंदिरा एकादशी व्रत कब है
इंदिरा एकादशी व्रत 2025 में बुधवार, 17 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन एकादशी तिथि का प्रारंभ 17 सितंबर को रात 12:21 बजे होगा और समाप्ति उसी दिन रात 11:39 बजे होगी।
इंदिरा एकादशी, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस व्रत का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और शालिग्राम जी पर तुलसी दल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
इंदिरा एकादशी व्रत का पारण कब है
इंदिरा एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दौरान किया जाता है, जो एकादशी के अगले दिन होती है। 2025 में इंदिरा एकादशी 17 सितंबर, बुधवार को है। इसलिए, व्रत का पारण 18 सितंबर, गुरुवार को किया जाएगा। पारण का शुभ समय सूर्योदय के बाद से द्वादशी तिथि की समाप्ति तक होता है। सटीक पारण मुहूर्त के लिए स्थानीय पंचांग या ज्योतिषी से परामर्श करना उचित रहेगा, क्योंकि यह स्थान और समय के अनुसार भिन्न हो सकता है।
इंदिरा एकादशी के फल
इंदिरा एकादशी, पितृ पक्ष की अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को कहते हैं। इसे ‘इंदिरा तिथि’ भी कहा जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित होती है। इस व्रत को रखने से कई फल प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख फल निम्नलिखित हैं:
पितरों को मोक्ष:
- यह व्रत पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और उन्हें मोक्ष प्राप्ति में सहायता करता है।
- पितरों के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
पापों से मुक्ति:
- इस व्रत को रखने से अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
- मन की शुद्धि होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मनोकामनाओं की पूर्ति:
- भगवान विष्णु की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सकारात्मक बदलाव आते हैं।
आध्यात्मिक उन्नति:
- यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति में सहायता करता है।
- मन में एकाग्रता और शांति बढ़ती है।
स्वास्थ्य लाभ:
- इस व्रत को रखने से स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं।
- शरीर में शुद्धि होती है और रोगों से बचाव होता है।
अन्य फल:
- इस व्रत को रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
- जीवन में आने वाली नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
इंदिरा एकादशी व्रत का महत्त्व
इंदिरा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे पितृ पक्ष में कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस व्रत को रखने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
धार्मिक लाभ:
- पितरों की मुक्ति: इंदिरा एकादशी व्रत पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए अत्यंत लाभदायक माना जाता है। इस व्रत को रखने से पितरों के पापों का नाश होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु की कृपा: इंदिरा एकादशी व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का उत्तम माध्यम है। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आध्यात्मिक लाभ:
- मन की शांति: इंदिरा एकादशी व्रत मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। इस व्रत को रखने से मन में सकारात्मक विचारों का संचार होता है और नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
- आत्म-शुद्धि: इंदिरा एकादशी व्रत आत्म-शुद्धि का भी एक उत्तम माध्यम है। इस व्रत को रखने से शरीर और मन दोनों ही शुद्ध होते हैं।
भौतिक लाभ:
- पापों का नाश: इंदिरा एकादशी व्रत पापों का नाश करने वाला व्रत है। इस व्रत को रखने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
- आरोग्य लाभ: इंदिरा एकादशी व्रत आरोग्य के लिए भी लाभदायक है। इस व्रत को रखने से शरीर में रोगों का प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
इंदिरा एकादशी पूजाविधि
दशमी तिथि को:
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर को साफ करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- रात्रि में भगवान विष्णु की आरती करें और कथा सुनें।
- भोजन में सात्विक भोजन का सेवन करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
एकादशी तिथि को:
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।
- फल, फूल, तुलसी, चंदन, दीप, और धूप अर्पित करें।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- गीता का पाठ करें।
- दान करें।
- दिनभर व्रत रखें।
- रात्रि में भगवान विष्णु की आरती करें और कथा सुनें।
द्वादशी तिथि को:
- सूर्योदय से पहले स्नान करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा को भोग लगाएं।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- दान करें।
- व्रत पारण करें।
इंदिरा एकादशी पूजा सामग्री:
- भगवान विष्णु की प्रतिमा
- पंचामृत
- फल
- फूल
- तुलसी
- चंदन
- दीप
- धूप
- गीता
- दान करने के लिए सामग्री