- – यह गीत जबरा जंगल में बैठी जननी (माँ) की महिमा और उनके अवतार का वर्णन करता है, जो राठोडा कुल से हैं।
- – मंदिर की सुंदरता, पहाड़ों में स्थित, और आसपास के बाजार तथा सरवर की प्रशंसा की गई है।
- – शंख सेवा, वेदों का उच्चारण, और भक्ति की भीड़ के माध्यम से धार्मिक अनुष्ठानों का चित्रण किया गया है।
- – जननी की दया और करुणा से दुखों का निवारण होता है, और मरते प्राणी का प्राण उबारने की शक्ति का उल्लेख है।
- – भक्ति और उत्सव के माहौल में शंख, शहनाई, और कोयल के मधुर स्वर गूंजते हैं, जो शिव और शक्ति की आराधना को दर्शाते हैं।
- – गीत के गायक मोईनुद्दीन जी मनचला हैं, और इसे रतन पुरी एवं कुलदीप मेनारिया द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

जबरा जंगल में बेठी आवरा,
जग जननी जनम सुधार,
जग जननी जनम सुधार,
राठोडा कुल मझधार लीनो अवतार,
राठोडा कुल मझधार लीनो अवतार।।
मंदिर बनियों बीच पहाड़ में,
लागे सोभा आनंद अपार,
सामे सरवर लंबी पाल,
पिछवाड़े बाजार,
मैया शामे सरवर लंबी पाल,
पिछवाड़े बाजार,
शामे तो लागे मुरत शोवणी,
सुंदर पुष्पा रो सिंगार,
सुंदर पुष्पा रो सिंगार,
शाडी शुरंगी लछदार,
जडीया जर्क सीतार।।
शंख सेवा में विष्णु पुरीयो,
ब्रम्हा चारों वेद उचार,
ब्रम्हा चारों वेद उचार,
धरेरे ध्यान त्रीपुरार,
थारे दरबार,
52 भेरु ने 64 जोगणिया,
निशदिन गावे मंगलाचार,
निशदिन गावे मंगलाचार,
भगता री भीड़ अपार,
थारे दरबार,
भगता री भीड़ अपार,
थारे दरबार।।
दुखीया दुखड़ा पल में मेटदो,
जननी दया दृष्टि धार,
जननी दया दृष्टि धार,
मरता प्राणी रो प्राण उबार,
नैया डूबी जाए,
स्वर्ण मुकुट सोहे शीश पर,
केसर कुंकु तिलक ललाट,
केसर कुंकु तिलक ललाट,
चढ़े मिष्ठान भर भर थाल,
नाना परकार,
चढ़े मिष्ठान भर भर थाल।।
नहार फडुके बोले मोरिया,
बोले कोयल राग मल्हार,
बोले कोयल राग मल्हार,
शंख शहनाई बाजे द्वार,
झालर री झणकार,
भक्त बदरी राव को,
शिव शक्ति को आधार,
नाना शम्भू है बंसीलाल,
गावे है बारम्बार,
नाना शम्भू है बंसीलाल,
गावे है बारम्बार।।
जबरा जंगल में बेठी आवरा,
जग जननी जनम सुधार,
जग जननी जनम सुधार,
राठोडा कुल मझधार लीनो अवतार,
राठोडा कुल मझधार लीनो अवतार।।
गायक – मोईनुद्दीन जी मनचला।
प्रेषक – रतन पुरी &कुलदीप मेनारिया
8290907236
