- – यह गीत गुरुजी के प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है, जिसमें गुरुजी को “राज” कहकर सम्मानित किया गया है।
- – गीत में गुरुजी के मार्गदर्शन और उनके ज्ञान की महत्ता पर जोर दिया गया है।
- – गुरुजी के बताए हुए रास्ते पर चलने और सही समझ के साथ जीवन जीने की प्रेरणा दी गई है।
- – भजन और भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति की बात कही गई है।
- – गीत में गुरुजी के प्रति प्रेम, समर्पण और उनकी शिक्षाओं का पालन करने की भावना व्यक्त की गई है।

अरे बीज थावर शनिवार मारा बीरा,
बीज थावर रूडो वार रे,
जमो जगायो गुरु देव रो,
गुरूजी हो राज।।
तजो कंटो री बाड मारा बीरा,
तजो कंटो री बाड रे,
थोड़ा भायो ती भावे मिलो,
गुरूजी हो राज,
बीज थावर शनिवार मारा बीरा,
बीज थावर रूडो वार रे।।
कर समदा से हेत मारा बीरा,
कर समदा से हेत रे,
नाडोले नावो मती,
गुरूजी हो राज,
बीज थावर शनिवार मारा बीरा,
बीज थावर रूडो वार रे।।
परखो शब्द टक सान मारा बीरा,
परखो शब्द टक सान रे,
थोड़ा समझ-समझ पग आगे धरो,
गुरूजी हो राज,
बीज थावर शनिवार मारा बीरा,
बीज थावर रूडो वार रे।।
सीधे मारगीये हाल मारा बीरा,
हक रे मारगीये हाल रे,
आ पग डोडी छोडो मती,
गुरूजी हो राज,
बीज थावर शनिवार मारा बीरा,
बीज थावर रूडो वार रे।।
बोलीया गुरु प्रहलाद मारा बीरा,
बोलीया गुरु प्रहलाद रे,
थोड़ा भजनो मे भरती होवो,
गुरूजी हो राज,
बीज थावर शनिवार मारा बीरा,
बीज थावर रूडो वार रे।।
अरे बीज थावर शनिवार मारा बीरा,
बीज थावर रूडो वार रे,
जमो जगायो गुरु देव रो,
गुरूजी हो राज।।
गायक – श्याम पालीवाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
