- – यह कविता भगवान श्रीकृष्ण (साँवरिया) की भक्ति और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है।
- – कवि अपनी कमज़ोरी और सीमित क्षमता के बावजूद भगवान की कृपा से जीवन में बड़े बदलाव और सम्मान पाने की बात करता है।
- – भगवान की दया और करुणा से दुखों से मुक्ति और आत्म-समर्पण का अनुभव हुआ है।
- – भक्ति के माध्यम से जीवन में आशा, शक्ति और नई दिशा मिली है, जिससे कवि ने अपने भाग्य को बदला है।
- – कविता में भगवान के प्रति अटूट विश्वास और नाम जपने की भावना प्रकट होती है।
- – स्वर संदीप बंसल द्वारा प्रस्तुत इस भजन में भक्तिमय भावनाओं का सुंदर संचार है।

जितना दिया साँवरिया तूने,
इतनी मेरी औकात ना थी।
तर्ज – फुल तुम्हे भेजा है खत में।
दोहा – दर ब दर सर को झुकाने की,
जरूरत ना रही,
अब हमें अश्क बहाने की,
जरूरत ना रही,
जबसे पकड़ा है मेरा हाथ,
खाटू वाले ने,
अब कही हाथ फ़ैलाने की,
जरूरत ना रही।
मुझपे उपकार लखदातार,
किए जाता है,
अपनी करुणा के वो भंडार,
दिए जाता है,
मैंने एक बार सुनाया तुझे,
दुखड़ा अपना,
तू बार बार लगातार,
दिए जाता है।
दुखो के गहरे भंवर से,
मुझे निकाल लिया,
शुक्रिया सांवरे तेरा,
मुझे संभाल लिया।
जितना दिया साँवरिया तूने,
इतनी मेरी औकात ना थी,
रख ली तूने बात ओ प्यारे,
मुझमे तो कोई बात ना थी,
जितना दिया सांवरिया तूने,
इतनी मेरी औकात ना थी,
ओ सावरे ओ सावरे,
जपते रहेंगे तेरा नाम रे।।
पड़ गया मेरा दामन छोटा,
इतना दया का दान दिया,
दी अपनी भक्ति की शक्ति,
मान दिया सम्मान दिया,
लखदातार तेरा शुकराना,
श्री चरणों का ध्यान दिया,
बिन पतवार की नाव था मैं जब,
डोर मेरी तेरे हाथ ना थी,
रख ली तूने बात ओ प्यारे,
मुझमे तो कोई बात ना थी,
जितना दिया सांवरिया तूने,
इतनी मेरी औकात ना थी,
जितना दिया संवारिया तूनें।।
बदल गयी तकदीर की रेखा,
दर तेरे शीश झुकाने से,
शीश के दानी शीश उठाकर,
अब मिलता हूँ जमाने से,
बेगाने भी हो गये अपने,
अपना तुझे बनाने से,
नैन बरसते थे जब तेरी,
करुणा की बरसात ना थी,
रख ली तूने बात ओ प्यारे,
मुझमे तो कोई बात ना थी,
जितना दिया सांवरिया तूने,
इतनी मेरी औकात ना थी,
जितना दिया संवारिया तूनें।।
दीप जले ‘संदीप’ के मन में,
जबसे तुम्हारी रहमत के,
लखदातार खुले रहते है,
तबसे द्वार ये किस्मत के,
मौज में है हम बनके भिखारी,
श्याम तुम्हारी चौखट के,
हम थे अकेले आगे पीछे,
खुशियों की बारात ना थी,
रख ली तूने बात ओ प्यारे,
मुझमे तो कोई बात ना थी,
जितना दिया सांवरिया तूने,
इतनी मेरी औकात ना थी,
जितना दिया संवारिया तूनें।।
जितना दिया साँवरिया तूने,
इतनी मेरी औकात ना थी,
रख ली तूने बात ओ प्यारे,
मुझमे तो कोई बात ना थी,
जितना दिया सांवरिया तूने,
इतनी मेरी औकात ना थी,
ओ सावरे ओ सावरे,
जपते रहेंगे तेरा नाम रे।।
स्वर – संदीप बंसल
