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- – यह कविता भगवान शिव के डमरू बजाने वाले रूप की स्तुति करती है, जो कलयुग में पुनः प्रकट होने की प्रार्थना करती है।
- – भगवान शिव को भैरव और महाकाल के रूप में वर्णित किया गया है, जिन्होंने संसार को विष से बचाया और दानवों का नाश किया।
- – ऋषि-मुनि, दानव और देवताओं ने शिव की पूजा की है और उन्होंने संतों के लिए सातों धाम बनाए।
- – कविता में उज्जैन के बाबा (शिव) से भक्तों को जागृत करने और दुःख-दर्द मिटाने की विनती की गई है।
- – यह गीत ऋतुराज महाराज द्वारा गाया गया है और इसमें शिव की तांडव और शक्ति का वर्णन है।

कलयुग में फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले,
दुःख दर्द सब मिटा जा,
डमरू बजाने वाले।।
विष पीके तुमने बाबा,
संसार को बचाया,
भैरव के रूप में भी,
महाकाल बनके आया,
दानव को फिर मिटा जा,
तांडव रचाने वाले,
कलयुग मे फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले।।
दानव देव ऋषियों ने,
सबने है तुम्हे ध्याया,
संतो के लिए बाबा,
सातों धाम रचाया,
भक्तो को फिर जगा जा,
उज्जैन वाले बाबा,
कलयुग मे फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले।।
कलयुग में फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले,
दुःख दर्द सब मिटा जा,
डमरू बजाने वाले।।
गायक / प्रेषक – ऋतुराज महाराज।
7024874463
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