- – यह भजन बालाजी महाराज की भक्ति और उनके आशीर्वाद से जीवन में आई खुशहाली और सुख-समृद्धि का वर्णन करता है।
- – भजन में मंगल व्रत रखने और प्याज-लहसुन त्यागने का उल्लेख है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- – निरंतर भक्ति और हनुमान जी के नाम से जीवन में बरकत और सफल कमाई का अनुभव बताया गया है।
- – धाम पर जाने और भक्ति में डूबने से मन को शांति और आनंद प्राप्त होता है।
- – हनुमान जी की सेवा और जागरण से घर में सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
- – भजन का स्वर नरेंद्र कौशिक ने दिया है और इसे राकेश कुमार ने प्रेषित किया है।
कर दी बालाजी महाराज ने,
मौज मेरी कर दी,
मौज मेरी कर दी,
मौज मेरी कर दी
कर दि बालाजी महाराज ने,
मौज मेरी कर दी।।
मंगल का जब से व्रत किया है,
मंगल का जब से व्रत किया है,
प्याज लहसुन को त्याग दिया है,
सारे ही देव समाज ने,
मौज मेरी कर दी
कर दि बालाजी महाराज ने,
मौज मेरी कर दी।।
निश दिन की जब से जोत जगाई,
निश दिन की जब से जोत जगाई,
बर्कत ही बर्कत सफल कमाई,
हनुमान के नाम जहाज ने,
मौज मेरी कर दी
कर दि बालाजी महाराज ने,
मौज मेरी कर दी।।
शुरु किया जब से धाम प जाणा,
शुरु किया जब से धाम प जाणा,
मन हो गया भक्ति में दिवाना,
इस छोटे से अलफाज ने,
मौज मेरी कर दी
कर दि बालाजी महाराज ने,
मौज मेरी कर दी।।
हनुमत का जब से रोट लगाया,
हनुमत का जब से रोट लगाया,
घर में कमल सिंह जागरण कराया,
बाबा की एक आवाज ने,
मौज मेरी कर दी
कर दि बालाजी महाराज ने,
मौज मेरी कर दी।।
कर दी बालाजी महाराज ने,
मौज मेरी कर दी,
मौज मेरी कर दी,
मौज मेरी कर दी
कर दि बालाजी महाराज ने,
मौज मेरी कर दी।।
स्वर – नरेंद्र कौशिक।
भजन प्रेषक,
राकेश कुमार
9992976579
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