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कार्तिकेय आरती in Hindi/Sanskrit

कार्तिकेय जी की आरती –
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम

जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर

जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि

महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी

जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता

जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार

जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश

जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय

Kartikeya Aarti in English

Kartikeya Ji Ki Aarti –
Jai Jai Aarti Venu Gopala
Venu Gopala Venu Lola
Paap Vidura Navneet Chora

Jai Jai Aarti Venkataramana
Venkataramana Sankataharana
Sita Ram Radhe Shyam

Jai Jai Aarti Gauri Manohar
Gauri Manohar Bhavani Shankar
Sadashiv Uma Maheshwar

Jai Jai Aarti Raj Rajeshwari
Raj Rajeshwari Tripurasundari

Maha Saraswati Maha Lakshmi
Maha Kali Maha Lakshmi

Jai Jai Aarti Anjaneya
Anjaneya Hanumanta

Jai Jai Aarti Dattatreya
Dattatreya Trimurti Avatara

Jai Jai Aarti Siddhi Vinayak
Siddhi Vinayak Shri Ganesh

Jai Jai Aarti Subrahmanya
Subrahmanya Kartikeya

कार्तिकेय जी की आरती PDF Download

कार्तिकेय जी की आरती का अर्थ

कार्तिकेय जी की आरती में भगवान कार्तिकेय को समर्पित कुछ श्लोक और मंत्र शामिल हैं, जो श्रद्धालुओं द्वारा उनकी पूजा में गाए जाते हैं। इस आरती में विभिन्न देवताओं का उल्लेख होता है, जो समस्त विश्व के पालनकर्ता और रक्षक माने जाते हैं। यहां हर पंक्ति के गहरे अर्थ के साथ इस आरती की व्याख्या दी गई है।

जय जय आरती वेणु गोपाला

यह पंक्ति भगवान श्रीकृष्ण की आरती का आह्वान करती है। “वेणु गोपाला” का अर्थ है वे भगवान जो बांसुरी (वेणु) बजाते हैं और गोपियों के रक्षक हैं।

वेणु गोपाला वेणु लोला

यहाँ “वेणु लोला” का मतलब है वे भगवान जो बांसुरी में आनंदित होते हैं। यह उनके संगीतप्रेमी स्वभाव और उनके द्वारा रचित दिव्य रागों की ओर संकेत करता है।

पाप विदुरा नवनीत चोरा

“पाप विदुरा” का अर्थ है जो सभी पापों को दूर करते हैं। “नवनीत चोरा” का अर्थ है मक्खन चुराने वाले, जो भगवान कृष्ण के बाल-लीलाओं में वर्णित है।

जय जय आरती वेंकटरमणा

“वेंकटरमणा” भगवान विष्णु का एक रूप है, जिन्हें तिरुपति के वेंकटेश्वर भगवान के रूप में पूजा जाता है। वे भक्तों के संकटों को हरने वाले माने जाते हैं।

वेंकटरमणा संकटहरणा

यह पंक्ति बताती है कि वेंकटेश्वर भगवान संकटों को दूर करने वाले हैं। संकटहरणा का अर्थ ही संकटों का नाश करने वाला है।

सीता राम राधे श्याम

यह पंक्ति भगवान राम और उनकी पत्नी सीता, तथा भगवान कृष्ण और राधा के दिव्य जोड़े को समर्पित है, जो प्रेम, त्याग और ईश्वर के आदर्श युगल माने जाते हैं।

जय जय आरती गौरी मनोहर

यह पंक्ति देवी गौरी की आरती का आह्वान करती है। गौरी का अर्थ है पार्वती, जो शिव की पत्नी हैं। “मनोहर” का अर्थ है सुंदर, यानी देवी गौरी, जो अपने सौंदर्य और शक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं।

गौरी मनोहर भवानी शंकर

इस पंक्ति में “भवानी” देवी पार्वती का एक और नाम है, जो जगत की मां मानी जाती हैं। “शंकर” भगवान शिव का नाम है। यह श्लोक शिव और शक्ति (पार्वती) के संगम को इंगित करता है।

सदाशिव उमा महेश्वर

“सदाशिव” भगवान शिव के सर्वोच्च रूप को सूचित करता है। “उमा” देवी पार्वती का एक और नाम है, और “महेश्वर” भगवान शिव को दर्शाता है। यह पंक्ति शिव और पार्वती के दिव्य संगम को इंगित करती है।

जय जय आरती राज राजेश्वरि

“राज राजेश्वरी” देवी दुर्गा का एक नाम है। इसका अर्थ है राजा की भी राजा, यानी सभी शक्तियों की अधिपति।

राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि

त्रिपुरसुंदरी देवी का एक रूप है, जो तीनों लोकों की सबसे सुंदर देवी मानी जाती हैं। वे शक्तियों की सर्वोच्च देवी मानी जाती हैं।

महा सरस्वती महा लक्ष्मी

यहाँ देवी सरस्वती और लक्ष्मी की स्तुति की गई है। देवी सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।

महा काली महा लक्ष्मी

यह पंक्ति देवी काली और लक्ष्मी की स्तुति करती है। देवी काली का रूप विनाश और पुनर्जन्म का प्रतीक है, जबकि देवी लक्ष्मी समृद्धि और धन की देवी हैं।

जय जय आरती आन्जनेय

“आन्जनेय” हनुमानजी का नाम है। वे आञ्जनेय माता अंजना के पुत्र होने के कारण यह नाम प्राप्त करते हैं। हनुमानजी की आरती उनकी भक्ति और शक्ति की आराधना करती है।

आन्जनेय हनुमन्ता

यह पंक्ति हनुमानजी के अन्य नामों का उच्चारण है, जो उनकी वीरता और भक्ति का प्रतीक है। हनुमानजी को उनके बल, पराक्रम और ईश्वर भक्ति के लिए जाना जाता है।

जय जय आरती दत्तात्रेय

“दत्तात्रेय” त्रिमूर्ति के अवतार माने जाते हैं। वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समग्र रूप में पूजे जाते हैं।

दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार

यह पंक्ति बताती है कि दत्तात्रेय त्रिमूर्ति के अवतार हैं, अर्थात् वे सृष्टिकर्ता, पालक और संहारक तीनों रूपों का समावेश रखते हैं।

जय जय आरती सिद्धि विनायक

“सिद्धि विनायक” भगवान गणेश का नाम है। वे सिद्धियों के दाता और सभी कार्यों में सफलता के प्रदाता माने जाते हैं।

सिद्धि विनायक श्री गणेश

यह पंक्ति भगवान गणेश की महिमा का बखान करती है। वे सभी बाधाओं को दूर करने वाले और हर कार्य को सफल बनाने वाले माने जाते हैं।

जय जय आरती सुब्रह्मण्य

सुब्रह्मण्य भगवान कार्तिकेय का एक नाम है। वे देवताओं के सेनापति और शक्ति के प्रतीक हैं।

सुब्रह्मण्य कार्तिकेय

यह पंक्ति भगवान कार्तिकेय की स्तुति करती है, जो शक्ति, साहस और युद्ध कौशल के देवता माने जाते हैं।

इस आरती का मुख्य उद्देश्य सभी प्रमुख देवताओं का आह्वान करना और उनके प्रति श्रद्धा अर्पित करना है। इसका पाठ करने से भक्तों को देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों से मुक्ति मिलती है।

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