- – यह गीत होली और फागुन के त्योहार की खुशियों और रंगों का वर्णन करता है, जिसमें श्याम (कृष्ण) और ग्वालिनों के साथ होली खेलने का दृश्य प्रस्तुत है।
- – गीत में कान्हा की लुकाछिपी, रंगों से खेलना, और पिचकारी से रंग उड़ाने की मनमोहक झलक मिलती है।
- – ग्वालिनों और सखियों के साथ मिलकर होली खेलने का आनंद और प्रेमभाव गीत में प्रमुख रूप से व्यक्त हुआ है।
- – श्याम की खोज और सखियों द्वारा उन्हें पकड़कर रंग लगाने का प्रसंग भी गीत में उल्लिखित है।
- – यह गीत ब्रज की संस्कृति और होली के पारंपरिक उत्सव की जीवंतता को दर्शाता है।

खेले कुंज गलिन में श्याम,
होरी फाग मच्यो री भारी,
फाग मच्यो भारी,ओ कान्हा,
फाग मच्यो भारी,
खेलें कुंज गलिन में श्याम,
होरी फाग मच्यो री भारी।।
गोपियन संग में ग्वालन खेले,
खेल रहे नर नारी,
रंग अबीर उड़ावे कान्हा,
भरके पिचकारी,
खेलें कुंज गलिन में श्याम,
होरी फाग मच्यो री भारी।।
लुक छिप कान्हा रंग लगावे,
कहु नजर ना आये,
कदे छिपे गोपिन के घर कदे,
चढ़े कदम डारी,
खेलें कुंज गलिन में श्याम,
होरी फाग मच्यो री भारी।।
(छिप गया श्याम कौन नगरी में,
आओ री ढूंढो सखियों,
रे सारी नगरी में।)
सखियां लायी श्याम पकड़ के,
रंग डारयो बृजनारी,
‘तुलसी’ कर दिया लाल लाल जो,
सूरत थी कारी,
खेलें कुंज गलिन में श्याम,
होरी फाग मच्यो री भारी।।
खेले कुंज गलिन में श्याम,
होरी फाग मच्यो री भारी,
फाग मच्यो भारी,ओ कान्हा,
फाग मच्यो भारी,
खेले कुंज गलिन में श्याम,
होरी फाग मच्यो री भारी।।
Singer – Sunita Bagri
– लेखक एवं प्रेषक –
रोशनस्वामी”तुलसी”
9610473172
