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- – गीत में कन्हैया (कृष्ण) और साँवरे (श्याम) से प्रेम और जुड़ाव की भावनाएँ व्यक्त की गई हैं।
- – गोकुल की गलियों और पनघट की सुंदरता का वर्णन है, जहाँ ब्रजवासियों का प्रेम और संवेदनाएँ झलकती हैं।
- – प्रेमिका अपने प्रेमी मुरली वाले से दूर न जाने की विनती कर रही है, क्योंकि उससे दिल नहीं लगता।
- – झूठे वादों और इरादों के बीच प्रेमिका की चिंता और भावुकता प्रकट होती है।
- – गीत में बार-बार “जी ना लगे” का प्रयोग प्रेम की गहराई और विरह की पीड़ा को दर्शाता है।

कन्हैया नहीं जाना की जी ना लगे,
साँवरे नहीं जाना की जी ना लगे,
मुरली वाले नहीं जाना,
की जी ना लगे।।
तर्ज – साथिया नहीं जाना की।
गलियाँ गोकुल की सुनी,
पनघट भी होगा सुना,
सुनो साँवरे,
रोएगा ब्रज सारा की,
जी ना लगे,
साँवरे नहीं जाना की जी ना लगे,
मुरली वाले नहीं जाना,
की जी ना लगे।।
मैं तेरी प्रेम दीवानी,
तुझ पर मैं जाऊँ वारि,
सुनो सांवरे,
ये दिल तुझपे हारा की,
जी ना लगे,
साँवरे नहीं जाना की जी ना लगे,
मुरली वाले नहीं जाना,
की जी ना लगे।।
करते हो झूठा वादा,
जानू मैं तेरा इरादा,
सुनो सांवरे,
कहदो नहीं है जाना,
जी ना लगे,
साँवरे नहीं जाना की जी ना लगे,
मुरली वाले नहीं जाना,
की जी ना लगे।।
कन्हैया नहीं जाना की जी ना लगे,
साँवरे नहीं जाना की जी ना लगे,
मुरली वाले नहीं जाना,
की जी ना लगे।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
