- – यह कविता भगवान श्याम (कृष्ण) के दर्शन और उनके प्रति गहरी भक्ति की अभिव्यक्ति है।
- – कवि अपने दिल में श्याम को बसाने और उनसे मिलने की तीव्र इच्छा व्यक्त करता है।
- – जीवन की कठिनाइयों और दुखों में श्याम की मेहरबानी और साथ की आवश्यकता बताई गई है।
- – कवि भगवान से विनती करता है कि वे उनके हृदय में बसें और उनके जीवन को सफल बनाएं।
- – यह कविता प्रेम, भक्ति और समर्पण की भावना से ओतप्रोत है, जिसमें श्याम के प्रति अटूट विश्वास दिखाया गया है।

नैनो में चले आओ,
श्याम दर्शन दिखाने को,
मेरे दिल में समा जाओ,
मेरे दिल में समा जाओ,
लौट के फिर ना जाने को,
नैनो में चले आओ,
श्याम दर्शन दिखाने को।।
तर्ज – मुझे पिने का शौक नहीं।
देखा है निगाहों ने,
जन्मों से तेरा रस्ता,
तेरे मिलने की चाहत में,
कभी रोता कभी हँसता,
मालिक दिल नहीं माना,
आजा तू ही मनाने को,
नैनो मे चले आओ,
श्याम दर्शन दिखाने को।।
मिल जाते अगर मोहन,
मेरी इस जिंदगानी में,
मेरा जीवन सफल होता,
तेरी इस मेहरबानी में,
तेरे चरणों में रहना है,
छोड़कर इस ज़माने को,
नैनो मे चले आओ,
श्याम दर्शन दिखाने को।।
विनती है यही मेरी,
दिनों पे दया करना,
भगवान मेरे बनके,
ह्रदय में रहा करना,
मन मंदिर बना तेरा,
आजा उसमे बसाने को,
नैनो मे चले आओ,
श्याम दर्शन दिखाने को।।
नैनो में चले आओ,
श्याम दर्शन दिखाने को,
मेरे दिल में समा जाओ,
मेरे दिल में समा जाओ,
लौट के फिर ना जाने को,
नैनो में चले आओ,
श्याम दर्शन दिखाने को।।
