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पर घर प्रीत मत कीजे राजस्थानी भजन लिरिक्स – Par Ghar Preet Mat Kije Rajasthani Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – यह कविता पराई स्त्री के प्रति प्रेम न करने की चेतावनी देती है और घर की प्रतिष्ठा बनाए रखने पर जोर देती है।
  • – घर की समस्याओं और अंधकार के बावजूद, चोरी और बुरे कर्मों से दूर रहने की सलाह दी गई है।
  • – पराई संपत्ति या खेत में बीज न बोने की हिदायत दी गई है, जिससे परिवार की बर्बादी और बदनामी न हो।
  • – भाई-बहन के रिश्तों की मर्यादा बनाए रखने और सामाजिक नियमों का पालन करने का संदेश है।
  • – कवि कबीर के शब्दों के माध्यम से सच्चे साधु बनने और भौतिक मोह से दूर रहने की प्रेरणा दी गई है।
  • – कुल मिलाकर, यह कविता परिवार, मर्यादा और नैतिकता की रक्षा करने का आग्रह करती है।

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पर घर प्रीत मत कीजे,



छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,

पर घर प्रीत मत कीजे,
पर घर प्रीत मत कीजे,
पराई नार आ नैण कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजै।।



घर के मंदरिया में निपट अंधेरो,

पर घर दीवला मत जोजे,
घर को गुड़ कालो ही खा लीजे,
पर चोरी की खांड मत खाजे,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।



पराया खेत में बीज मत बोजे,

बीज अकारत जावे,
कुल में दाग जगत बदनामी,
बुरा करम मत कीजे,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।



भाइला री नार जमाण जाई लागे,

बेहनड़ के बतलाजे,
कहत कबीर सुनो रे भाई साधु,
बैकुंठा पद पाजे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।

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छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,

तू पर घर प्रीत मत कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नारी रा रूप कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।

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