- – यह गीत अंत समय में भगवान भोलेनाथ की भक्ति और ध्यान की अपील करता है।
- – भक्त अपने मन की भावनाओं को व्यक्त करते हुए भोलेनाथ की छवि में वास करने की प्रार्थना करते हैं।
- – मृत्यु के समय भय न हो, इसके लिए प्रभु से अभय और मुक्ति की दान की विनती की गई है।
- – भक्ति, ज्ञान और दर्शन का दान अंत समय में मिलने की इच्छा जताई गई है।
- – जीवन में भगवान का नाम होंठों पर बना रहे और उनका आशीर्वाद सदैव बना रहे, इसकी कामना की गई है।
- – समग्र रूप से यह गीत भगवान शिव की भक्ति और उनके प्रति पूर्ण समर्पण का संदेश देता है।
प्रभु इतना ध्यान देना,
जब अंत समय आये,
भोले इतना ध्यान देना,
जब अंत समय आये,
ओ भोले इतना ध्यान देना,
जब अंत समय आये,
दर्शन का दान देना,
जब अंत समय आये,
भोले इतना ध्यान देना,
जब अंत समय आये।।
भावना मेरे मन की,
भावुक होकर बोली,
इस मन में वास करे,
भोले की छवि भोली,
भक्तो सा मान देना,
भक्तो सा मान देना,
जब अंत समय आये,
दर्शन का दान देना,
जब अंत समय आये।।
बाघंबर हो तन पे,
भस्मी हो रची अंग में,
आना भोले बाबा,
मैया को ले संग में,
प्रभु मुक्ति दान देना,
भोले मुक्ति दान देना,
जब अंत समय आये,
भोले इतना ध्यान देना,
जब अंत समय आये।।
हो मरने का चित में ना भय,
करता हूँ मैं तुमसे विनय,
चरणामृत देकर के,
कर देना मुझको अभय,
भक्ति का दान देना,
भक्ति का ज्ञान देना,
जब अंत समय आये,
दर्शन का दान देना,
जब अंत समय आये।।
होंठो पे नाम तेरा,
बनकर श्रृंगार रहे,
सबकुछ मिला तुमसे,
क्या ‘लख्खा’ और कहे,
हाथो में हाथ लेना,
हाथो में हाथ लेना,
जब अंत समय आये,
दर्शन का दान देना,
जब अंत समय आये।।
प्रभु इतना ध्यान देना,
जब अंत समय आये,
भोले इतना ध्यान देना,
जब अंत समय आये,
ओ भोले इतना ध्यान देना,
जब अंत समय आये,
दर्शन का दान देना,
जब अंत समय आये,
भोले इतना ध्यान देना,
जब अंत समय आये।।