हिंदू कैलेंडर में सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है—एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में। सप्तमी तिथि को सातम तिथि भी कहा जाता है। पूरे वर्ष में, यह कुल 24 बार आती है। इस लेख में, हम आपको सप्तमी तिथि के महत्व, उसकी तारीखें, और इससे जुड़े सवालों के उत्तर प्रदान करेंगे।
सप्तमी तिथि का महत्व
हिंदू धर्म में सप्तमी तिथि का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। इसे शुभ कार्यों के लिए विशेष दिन माना जाता है। कुछ विशेष पूजा, व्रत, और धार्मिक अनुष्ठान इस दिन संपन्न होते हैं।
सप्तमी तिथि कब आती है?
सप्तमी तिथि हर माह में दो बार आती है:
- शुक्ल पक्ष की सप्तमी: अमावस्या के बाद आने वाले शुक्ल पक्ष में।
- कृष्ण पक्ष की सप्तमी: पूर्णिमा के बाद शुरू होने वाले कृष्ण पक्ष में।
नीचे 2025 में आने वाली सप्तमी तिथियों की सूची दी गई है। इसमें आप हर सप्तमी तिथि की तारीख और वार की जानकारी पा सकते हैं।
2025 में सप्तमी तिथियों की सूची
महीना | शुक्ल पक्ष सप्तमी | कृष्ण पक्ष सप्तमी |
---|---|---|
जनवरी | 6 जनवरी 2025, सोमवार | 21 जनवरी 2025, मंगलवार |
फरवरी | 4 फरवरी 2025, मंगलवार | 20 फरवरी 2025, गुरुवार |
मार्च | 6 मार्च 2025, गुरुवार | 21 मार्च 2025, शुक्रवार |
अप्रैल | 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार | 20 अप्रैल 2025, रविवार |
मई | 4 मई 2025, रविवार | 19 मई 2025, सोमवार |
जून | 2 जून 2025, सोमवार | 18 जून 2025, बुधवार |
जुलाई | 2 जुलाई 2025, बुधवार | 17 जुलाई 2025, गुरुवार |
अगस्त | 31 जुलाई 2025, गुरुवार | 15 अगस्त 2025, शुक्रवार |
सितंबर | 29 सितंबर 2025, सोमवार | 13 सितंबर 2025, शनिवार |
अक्टूबर | 29 अक्टूबर 2025, बुधवार | 13 अक्टूबर 2025, सोमवार |
नवंबर | 27 नवंबर 2025, गुरुवार | 11 नवंबर 2025, मंगलवार |
दिसंबर | 27 दिसंबर 2025, शनिवार | 11 दिसंबर 2025, गुरुवार |
तिथि से जुड़े सामान्य प्रश्न
सप्तमी का महत्व क्या है?
सप्तमी तिथि को सूर्य पूजा, रथ सप्तमी, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शुभ माना जाता है।
सप्तमी को सातम क्यों कहा जाता है?
हिंदी भाषा में सप्तमी को सामान्यतः “सातम” नाम से भी जाना जाता है। यह नामकरण संस्कृत शब्द “सप्तमी” से हुआ है।
सप्तमी तिथि का ज्योतिषीय महत्व क्या है?
ज्योतिष में सप्तमी तिथि को शुभ माना जाता है, और इसे कुछ विशेष कार्यों के लिए आदर्श समय माना गया है।